बेतिया: पश्चिम चंपारण जिले के हरदिया मन की मछली काफी प्रसिद्ध है. लोग दूर-दूर से हरदिया मन की मछली खरीदने आ रहे हैं. पूर्वी चंपारण व आसपास के जिले से भी लोग हरदिया मन की मछली की खरीदारी करने आते हैं.
लोग दूर-दूर से आते हैं मछली खरीदने
यहां प्रतिदिन 3 से 4 क्विंटल मछली की बिक्री होती है. लोग दूर-दूर से मछली खरीदने आते हैं. अमूमन आंध्रा, बंगाल, गोरखपुर से जो मछलियां लाई जाती हैं वह बर्फ में रखी हुई होतीं हैं और उन्हें दवा देकर बड़ा किया जाता है. ऐसे में हरदिया मन की मछली हमें जिंदा और स्वादिष्ट मिलती है. इस मछली के खाने से पेट का पाचन तंत्र भी अच्छा रहता है.
मछुआरों का कहना है कि तालाब की जो मछली होती है उसे दाने देकर बड़ा किया जाता है. जबकि जो मन की मछली होती है वह पानी के अंदर ही घास हरे- हरे पत्ते खाती है. जिसे सेवार कहते हैं. यही कारण है कि मन की मछली मीठी होती है.
''यह मछली बहुत मिठी होती है इसके जोड़ कहीं मछली नहीं मिलती है. हर जगह सेवार डालकर मछली पालते हैं, लेकिन यहां मिट्टी का मछली मिलता है. यह बहुत बढ़िया होता है..'' -मछली खरीददार
मछली की खासियत
हरदिया मन की मछली की खासियत यह है कि वह बहुत मीठी होती है. इस मछली के खाने से पाचन तंत्र भी अच्छा रहता है और कई तरह की बीमारियां शरीर में नहीं होती है. लोगों का कहना है कि तालाब में मछलियों को दाना देकर बड़ा किया जाता है. जबकि हरदिया मन की मछली सेवार खाकर बड़ी होती है. यहां का जलक्षेत्र भी मछली पालन करने के लिए बेहतर है. इससे अन्य क्षेत्रों की तुलना में यहां की पानी में मछली का अधिक उत्पादन हो सकता है.
बता दें कि हरदिया मन की मछली पश्चिमी चंपारण जिले में काफी प्रसिद्ध है. यह मछली 'मन' में पाया जाता है. हरदिया मन की मछली 250 रुपये किलो से लेकर 450 रुपये किलो तक बिकती है.