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बेतिया: गूंज संस्था और ग्रामीणों के सहयोग से चचरी पुल का निर्माण - बेतिया समाचार

जिले में गूंज संस्था और ग्रामीणों की मदद से चचरी पुल का निर्माण कराया गया है. इस पुल के निर्माण के बाद से ग्रामीण काफी खुश नजर आएं. वहीं चचरी पुल निर्माण कार्य मे लगे 130 परिवारों को गूंज संस्था ने डिग्निटी फॉर वर्क कीट से सम्मानित किया.

gunj institution and villagers built bridge
गुंज संस्था और ग्रामीणों ने पुल का निर्माण किया
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Published : Aug 22, 2020, 9:33 AM IST

बेतिया: प्रदेश में सरकार हर गांव को पक्की सड़क से जोड़ने और हर नाले पर पुल निर्माण करने की बात कह रही है. लेकिन अभी भी जिले में ऐसे बहुत क्षेत्र है, जहां लोगों को आवागमन करने के लिए चचरी पुल का सहारा लेना पड़ता है. इसको देख सरकार के विकास के सभी दावें फेल होते नजर आते है.
दो गांव को जोड़ने के लिए चचरी पुल ही सहारा
गूंज संस्था के सहयोग से शिवलाहा और दरुआबाड़ी के लोगों ने बांस की चचरी पुल का निर्माण किया. यह चचरी पुल दो गांव को जोड़ती है. चचरी पुल बन जाने के बाद लोग अपने खेतों तक जाने के लिए तीन किलोमीटर लंबी दूरी को अब महज चंद कदमों में तय कर पा रहें हैं. दरुआबाड़ी के दलदलिया पोखरा के समीप बने इस चचरी पुल से दोनों गांव के लोगों में काफी खुशी हैं. गूंज के राज्य समन्वयक शिवजी चतुर्वेदी के दिशा-निर्देश पर स्थानीय टीम ने प्रभारी अजय झा के नेतृत्व में पूरे क्षेत्र में लगातार कार्य कर रही है. लोगों ने गांव की सड़क के किनारे की जंगल-झाड़ी की सफाई कर 52 गढ़ी मंदिर परिसर में महिलाओं के लिए प्राइवेट स्पेस का निर्माण किया है.
गूंज संस्था ने लोगों को किया सम्मानित
चचरी पुल निर्माण कार्य मे लगे 130 परिवारों को गूंज संस्था ने डिग्निटी फॉर वर्क कीट से सम्मानित किया गया. वाल्मीकिनगर के टीम गूंज सदस्य अजय झा ने बताया कि चचरी पुल न बनने से पुरुष जान जोखिम में डालकर अपने खेतों तक जाते थे, वहीं महिलाओं को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उन्हें तीन किलोमीटर लंबी दूरी तय करना पड़ता था. इसके अलावा महिलाओं के लिए मुख्य सड़क के बगल में कोई प्राइवेट स्पेस नहीं था, लेकिन ग्रामीणों के सहयोग से इसे भी बनवाया गया. इस मौके पर संस्था के सदस्य राजमंगल उरांव, कौशल्या देवी और सीमा देवी मौजूद रहीं.

बेतिया: प्रदेश में सरकार हर गांव को पक्की सड़क से जोड़ने और हर नाले पर पुल निर्माण करने की बात कह रही है. लेकिन अभी भी जिले में ऐसे बहुत क्षेत्र है, जहां लोगों को आवागमन करने के लिए चचरी पुल का सहारा लेना पड़ता है. इसको देख सरकार के विकास के सभी दावें फेल होते नजर आते है.
दो गांव को जोड़ने के लिए चचरी पुल ही सहारा
गूंज संस्था के सहयोग से शिवलाहा और दरुआबाड़ी के लोगों ने बांस की चचरी पुल का निर्माण किया. यह चचरी पुल दो गांव को जोड़ती है. चचरी पुल बन जाने के बाद लोग अपने खेतों तक जाने के लिए तीन किलोमीटर लंबी दूरी को अब महज चंद कदमों में तय कर पा रहें हैं. दरुआबाड़ी के दलदलिया पोखरा के समीप बने इस चचरी पुल से दोनों गांव के लोगों में काफी खुशी हैं. गूंज के राज्य समन्वयक शिवजी चतुर्वेदी के दिशा-निर्देश पर स्थानीय टीम ने प्रभारी अजय झा के नेतृत्व में पूरे क्षेत्र में लगातार कार्य कर रही है. लोगों ने गांव की सड़क के किनारे की जंगल-झाड़ी की सफाई कर 52 गढ़ी मंदिर परिसर में महिलाओं के लिए प्राइवेट स्पेस का निर्माण किया है.
गूंज संस्था ने लोगों को किया सम्मानित
चचरी पुल निर्माण कार्य मे लगे 130 परिवारों को गूंज संस्था ने डिग्निटी फॉर वर्क कीट से सम्मानित किया गया. वाल्मीकिनगर के टीम गूंज सदस्य अजय झा ने बताया कि चचरी पुल न बनने से पुरुष जान जोखिम में डालकर अपने खेतों तक जाते थे, वहीं महिलाओं को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उन्हें तीन किलोमीटर लंबी दूरी तय करना पड़ता था. इसके अलावा महिलाओं के लिए मुख्य सड़क के बगल में कोई प्राइवेट स्पेस नहीं था, लेकिन ग्रामीणों के सहयोग से इसे भी बनवाया गया. इस मौके पर संस्था के सदस्य राजमंगल उरांव, कौशल्या देवी और सीमा देवी मौजूद रहीं.

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