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बेतियाः गंडक नदी में बढ़ते जलस्तर से पीपी बांध में कटाव, यूपी-बिहार के कई गांवों को खतरा

बीडीओ सोनी सौरभ ने बताया कि फिलहाल डरने की कोई बात नहीं है. नदी में वाटर डिस्चार्ज लो लेबल पर है. लेकिन जलस्तर बढ़ने पर पीपी तटबन्ध को खतरा हो सकता है.

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Published : Sep 25, 2019, 2:27 AM IST

गण्डक नदी से कटाव

बेतिया: बिहार और उत्तरप्रदेश सीमा पर ठकराहा प्रखण्ड की धुमनगर पंचायत बसी है. यहां गंडक नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण तटबंध में लगातार कटाव जारी है. कटाव के डर से तटबंध के आस-पास रहने वाले लोग भयभीत हैं. वहीं, पीपी तटबन्ध के तलहटी में बसे लोग अब पलायन करने लगे हैं. गंडक नदी का जलस्तर बढ़ता है तो पीपी तटबन्ध पर कटाव का खतरा मंडरा सकता है. हालांकि प्रशासन का कहना है कि डरने की बात नहीं है.

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गंडक नदी से हो रहा कटाव

नदी के जल स्तर में वृद्धि से कटाव का सिलसिला जारी है. भय के साये में जी रहे लोग अब सुरक्षित स्थानों की तरफ रुख करने लगे हैं. साथ ही जिन लोगों की फसल गंडक नदी के किनारे खेतों में लगी है, उसे चारे के रूप में उपयोग कर रहे हैं.

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बीडीओ सोनी सौरभ

दर्जनों घर नदी में विलीन
आपको बता दें कि विगत एक सप्ताह से गंडक नदी बिहार-यूपी सीमा के अमवा खास के पास से गुजरने वाले पीपी तटबन्ध पर कहर बरपा रही है. अब तक धुमनगर पंचायत के दर्जनों घर नदी की धारा में समा गए हैं. जबकि नदी के कटाव से कई एकड़ फसल भी बर्बाद हो गयी है. ऐसे में लोग अब पलायन करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि फिलहाल किसी रिश्तेदार के यहां शरण लेंगे. लोगों ने प्रशासन पर मदद नहीं करने का आरोप लगाया है.

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ग्रामीण

कटाव पर जल्द होगा नियंत्रण- BDO
वहीं, ठकराहा प्रखण्ड के बीडीओ सोनी सौरभ ने बताया कि यदि गंडक का जलस्तर बढ़ता है तभी पीपी तटबन्ध को खतरा हो सकता है. फिलहाल वाटर डिस्चार्ज लो लेवल पर है. खतरे की कोई बात नहीं है. बाढ़ राहत के काम को वरीयता दी जा रही है. शीघ्र ही कटाव पर अंकुश लगा लिया जाएगा.

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ग्रामीण

बिहार-यूपी के गांवों पर मंडरा रहा खतरा
ऐसे में कटाव को देखते हुए कहा जा सकता है कि बिहार और यूपी के ग्रामीण जो पीपी तटबन्ध के आसपास बसे हैं उनकी किस्मत गंडक नदी के जलस्तर पर निर्भर है. यदि नदी का जलस्तर बढ़ा तो पीपी तटबन्ध खतरे में पड़ सकता है. इससे दोनों प्रदेशों के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे.

बेतिया: बिहार और उत्तरप्रदेश सीमा पर ठकराहा प्रखण्ड की धुमनगर पंचायत बसी है. यहां गंडक नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण तटबंध में लगातार कटाव जारी है. कटाव के डर से तटबंध के आस-पास रहने वाले लोग भयभीत हैं. वहीं, पीपी तटबन्ध के तलहटी में बसे लोग अब पलायन करने लगे हैं. गंडक नदी का जलस्तर बढ़ता है तो पीपी तटबन्ध पर कटाव का खतरा मंडरा सकता है. हालांकि प्रशासन का कहना है कि डरने की बात नहीं है.

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गंडक नदी से हो रहा कटाव

नदी के जल स्तर में वृद्धि से कटाव का सिलसिला जारी है. भय के साये में जी रहे लोग अब सुरक्षित स्थानों की तरफ रुख करने लगे हैं. साथ ही जिन लोगों की फसल गंडक नदी के किनारे खेतों में लगी है, उसे चारे के रूप में उपयोग कर रहे हैं.

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बीडीओ सोनी सौरभ

दर्जनों घर नदी में विलीन
आपको बता दें कि विगत एक सप्ताह से गंडक नदी बिहार-यूपी सीमा के अमवा खास के पास से गुजरने वाले पीपी तटबन्ध पर कहर बरपा रही है. अब तक धुमनगर पंचायत के दर्जनों घर नदी की धारा में समा गए हैं. जबकि नदी के कटाव से कई एकड़ फसल भी बर्बाद हो गयी है. ऐसे में लोग अब पलायन करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि फिलहाल किसी रिश्तेदार के यहां शरण लेंगे. लोगों ने प्रशासन पर मदद नहीं करने का आरोप लगाया है.

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ग्रामीण

कटाव पर जल्द होगा नियंत्रण- BDO
वहीं, ठकराहा प्रखण्ड के बीडीओ सोनी सौरभ ने बताया कि यदि गंडक का जलस्तर बढ़ता है तभी पीपी तटबन्ध को खतरा हो सकता है. फिलहाल वाटर डिस्चार्ज लो लेवल पर है. खतरे की कोई बात नहीं है. बाढ़ राहत के काम को वरीयता दी जा रही है. शीघ्र ही कटाव पर अंकुश लगा लिया जाएगा.

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ग्रामीण

बिहार-यूपी के गांवों पर मंडरा रहा खतरा
ऐसे में कटाव को देखते हुए कहा जा सकता है कि बिहार और यूपी के ग्रामीण जो पीपी तटबन्ध के आसपास बसे हैं उनकी किस्मत गंडक नदी के जलस्तर पर निर्भर है. यदि नदी का जलस्तर बढ़ा तो पीपी तटबन्ध खतरे में पड़ सकता है. इससे दोनों प्रदेशों के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे.

Intro:बिहार उत्तरप्रदेश सीमा पर ठकराहा प्रखण्ड के धुमनगर पंचायत में गण्डक नदी द्वारा हो रहे कटाव की वजह से पीपी तटबन्ध के किनारे नदी की तलहटी में बसे लोग अब पलायन करने लगे हैं। हालांकि प्रशासन का कहना है कि यदि गण्डक नदी का जलस्तर बढ़ता है तो पीपी तटबन्ध पर कटाव का खतरा मंडरा सकता है।


Body:लगातार हो रहे कटाव के भय से लोग सुरक्षित स्थानों का रुख करने लगे हैं। साथ ही साथ जिन लोगों की फसलें गण्डक नदी के किनारे उपजी हैं, उसको लोग काटकर चारा के रूप में उपयोग करने को मजबूर हैं।
बता दें कि विगत एक सप्ताह से गण्डक नदी की विनाशलीला बिहार यूपी सीमा के अमवा खास के पास से गुजरने वाले पीपी तटबन्ध पर कहर बरपा रही है। अब तक धुमनगर पंचायत के रहने वाले दर्जनों लोगों के घर नदी की धारा में समा गए हैं वही कई एकड़ फसल भी बर्बाद हो गया है। ऐसे में लोग अब पलायन करने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अपनी जमीन नही है तो फिलहाल किसी रिश्तेदार के यहां शरण लेंगे। लोगों का यह भी आरोप है प्रशासन उनके लिए कुछ नही कर रहा।
वही ठकराहा प्रखण्ड के बीडीओ का कहना है कि यदि गण्डक का जलस्तर बढ़ता है तभी पीपी तटबन्ध को खतरा हो सकता है। लेकिन फिलहाल वाटर डिस्चार्ज लो लेबल पर है और खतरे की कोई बात नही है। फ्लड फाइटिंग के काम को वरीयता दिया जा रहा शीघ्र हीं कटाव पर अंकुश लगा लिया जाएगा।
बाइट- अग्निवेश, ग्रामीण
बाइट- सोनी सौरभ, बीडीओ, ठकराहा।



Conclusion:ऐसे में कटाव को देखते हुए यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नही की बिहार और यूपी के वैसे ग्रामीण जो पीपी तटबन्ध के आसपास बसे हैं उनकी किस्मत गण्डक नदी के जलस्तर पर निर्भर है। यदि नदी का जलस्तर बढ़ता है तो पीपी तटबन्ध खतरे में पड़ जाएगा और दोनों प्रदेशों के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे।
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