बेतिया: जिले के पिलरसी प्रखंड स्थित मंझरिया पंचायत में बाढ़ राहत राशि के वितरण में काफी अनियमितता बरती गई है. इससें नाराज ग्रामीणों ने विधानसभा और लोकसभा उपचुनाव में नोटा दबाने की बात कही.
नोटा दबाकर वोट का बहिष्कार
नाराज ग्रामीणों ने बताया कि जुलाई माह में आई भीषण बाढ़ के कारण पूरे पंचायत के लोग प्रभावित हुए थे. इस दौरान तत्कालीन एसडीएम ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण कर पूरे पंचायत को बाढ़ ग्रस्त घोषित कर दिया था. इसके साथ ही जल्द से जल्द पीड़ित परिवारों को सुखा राशन के साथ राहत राशि के रूप में 6000 रुपये मुहैया कराने का निर्देश दिया था, लेकिन निर्देश के तीन माह बीत जाने के बाद भी अधिकांश लोगों को राहत राशि नहीं मिल पाई. इस संबंध में कोई भी जिम्मेदार सार्थक पहल भी नहीं कर रहे है. इसके लिए राहत राशि से वंचित लोग नोटा दबाकर चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
पति-पत्नी के नाम से मिला अनुदान
ग्रामीणों ने बताया कि जिम्मदारों ने राहत राशि वितरण करने के लिए बनाए गए लिस्ट में काफी अनियमितता बरती गई है. अवैध उगाही करके ये लोग पति-पत्नी दोनों को लाभ पहुंचाने के साथ पंचायत के बाहर के लोगों को लिस्ट में नाम जोड़ दिया है. इन लोगों ने बताया कि पंचायत के एक ही परिवार के चार-पांच लोगों को लाभ दिया गया है. वहीं सैकडों परिवार इससें वंचित रह गए है.
बरती जा रही अनियमितता
मंझरिया पंचायत के वार्ड नंबर-5 के ग्रामीण केदार कुशवाहा, मोतीलाल राम, हरि राम, सोमारी देवी, मुध्रुपति देवी, सुरेश कुशवाहा, कलावती देवी, कृष्णा गिरी आदि ने बताया कि वार्ड के विनोद कुशवाहा पत्नी सरस्वती देवी, राजेश कुशवाहा पत्नी सिंधु देवी, लालबिहारी कुशवाहा पत्नी आशा देवी, नागा कुशवाहा पत्नी नगीना देवी सहित कई लोगों को को राहत राशि मिली है. वहीं अवधेश चौहान और उनकी पत्नी सुगी देवी का नाम वार्ड नंबर-6 में होने के काफी अनियमितता बरती गई है. पीड़ित लोगों ने बताया कि वार्ड सदस्यों से लिस्ट बनवाया गया था. ये लोग अपने पूरे परिवार का नाम जोड़ दिए है, लेकिन जो विरोधी थे उनका नाम काट दिया गया है.
2017 के लिस्ट में नाम होने के बाद भी नहीं मिला अनुदान
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि सरकारी नियम के अनुसार 2017 में आए बाढ़ के दौरान वितरण की गई राहत राशि के लिस्ट के सभी लोगों को राहत राशि देने के साथ 10 प्रतिशत और लोगों का नाम जोड़ना था, लेकिन जिम्मदारों ने ऐसा नहीं किया. अवैध उगाही करके नए नाम जोड़ दिया गया है. वहीं लोगों ने बताया कि इसके जांच के लिए लोगों ने डीएम, एसडीएम, बीडीओ, सीओ को आवेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. वहीं सीओ फहीमुद्दीन अंसारी ने बताया कि पंचायत अनुश्रवण समिति के दिए गए लिस्ट को ही भुगतान के लिए भेज दिया गया है. इसमें उनकी कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि विभाग की बेबसाइट न खुलने के वजह से कई कर्मियों की जांच नहीं हो पा रही है.