मोतिहारी: बिहार के एक बड़े हिस्से ने इस साल भी बाढ़ की त्रासदी झेली है. ऐसे में कई गांवों का वजूद तक खत्म हो गया था. इलाके से पानी निकल गया है, लेकिन बाढ़ प्रभावित गांवों में तबाही का मंजर साफ तौर पर देखा जा सकता है. लेकिन अब लोगों की जिंदगी धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, हालांकि बाढ़ पीड़ितों के लिए किये गये राहत और बचाव पर्याप्त नहीं दिख रहे हैं. बाढ़ में अपना सब कुछ गवां चुके लोग अब दाने-दाने को मोहताज हैं.
गांवों की हालत बदतर
बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी समस्याएं जस की तस हैं. बाढ़ से घिरे गांव के लोग अब जिंदगी की जद्दोजहद के साथ संघर्ष कर रहे हैं. गांव या आसपास के बाजारों से संपर्क टूट चूका है. कई जगह बाढ़ की तेज धारा में सड़कें क्षतिगस्त हो है. यहां लोगों के घरों में आने-जाने का रास्ता एक पोल के सहारे है.
तीन दिन ही मिली थी सरकारी खिचड़ी
दरअसल मामला जिले के ढ़ाका प्रखंड के गुड़हेनवा दलित टोला का है. जहां बाढ़ में अपना सबकुछ गवां चुके लोगों के घरों में अभी भी पानी की नमी बनी हुई है. घर में रखा अनाज बाढ़ के पानी में बर्बाद हो गया है, खाने को कुछ नहीं है. बाढ़ आने के शुरुआती दिनों में तीन दिन सरकारी खिचड़ी खाने को मिला, उसके बाद कोई हुक्मरान हाल तक पूछने नहीं आया.
स्थानीय लोगों का कहना है कि वह अपने रिश्तेदारों के यहां से मदद मांगकर और आसपास के लोगों से खाद्य सामग्री मांगकर लाते हैं और उसी से किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. विपदा की इस घड़ी में उन्हें काम भी नहीं मिल रहा है. जिससे वह मजदूरी कर के पेट भरने लायक पैसों का इंतजाम कर सकें.
प्रशासन ने अनुग्रह अनुदान राशी देना का किया वादा
वहीं, इस मामले पर जिला प्रशासन ने दावा किया है कि सभी बाढ़ पीड़ितों को अनुग्रह अनुदान राशी मिल चुकी है.