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बेतिया के मंगलपुर कला गांव में बाढ़ ने मचाई तबाही, घर-बार छोड़कर ऊंचे स्थान पर शरण ले रहे हैं लोग - Flood Victims did not Get Government Help

बेतिया में गंडक नदी ने तबाही मचा दी है. बेतिया के नौतन प्रखंड में बाढ़ का भयानक मंजर देखने को मिल रहा है. प्रखंड का मंगलपुर काला पंचायत सबसे ज्यादा प्रभावित है. यहां के सारे घर बाढ़ के पानी में डूब (Houses Submerged in Mangalpur Kala Panchayat) गए हैं. लोग अपने घर-बार छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. पढ़ें पूरी खबर..

बेतिया में बाढ़
बेतिया में बाढ़
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Published : Oct 8, 2022, 1:15 PM IST

बेतियाः बिहार के बेतिया में बाढ़ (Flood in Bettiah) ने भारी तबाही मचा रखी है. जिले के नौतन प्रखंड के मंगलपुर काला पंचायत के मंगलपुर काला गांव के लोग अपना घर छोड़कर पलायन कर चुके है. गांव के 80 घर पानी में डूब गए हैं. गंडक नदी की तबाही इसी गांव में देखने को मिल रही हैं. गांव में सिर्फ डूबे हुए घर हैं. गांव में रहने वाला कोई नहीं है. गांव में ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो से पड़ताल की. पड़ताल में पाया कि बाढ़ में सबकुछ बर्बाद हो चुका है. घरों में पांच फीट से ज्यादा पानी चल भर गया है.

ये भी पढ़ेंः बेतिया में गंडक नदी का कहर, बाढ़ में कई गांव डूबे, प्रशासनिक मदद के इंतजार में ग्रामीण

गंडक बराज से छोड़ा गया चार लाख क्यूसेक पानी: गंडक बराज से चार लाख चालीस हजार क्यूसेक पानी छोड़ा (Water Released from Gandak Barrage ) गया है. इसने नौतन प्रखंड के मंगलपुर काला गांव में जो तबाही मचाई है इसे देख बाढ़ की तबाही का आकलन करना मुश्किल हो गया है. बड़ी मुश्किल से ईटीवी भारत की टीम नाव से गांव में पहुंच बाढ़ से बर्बादी का जायजा लिया है. नाव पर सवार ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक प्रशासनिक अधिकारी देखने भी नहीं आये है. तीन दिन से गांव के लोग ऊंचे स्थानों पर, अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए हैं.

"हमलोग बांध पर जा रहे हैं. पानी आए तीन-चार दिन हो गया है. रहने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. हमलोगों को प्रशासन की ओर से अभी तक कोई सहायता नहीं दी गई है" - बाढ़ पीड़ित

सरकारी राहत की बाट जो रहे ग्रामीण: बाढ़ पीड़ित ग्रामीण सरकार की राहत सामग्री का इंतजार कर रहे हैं. सरकारी मदद की राह देखते इनके दिन कट रहे हैं.अभी तक यहां कोई नहीं पहुंचा है. कल सीएम ने चम्पारण का दौरा किया था. गंड़क बराज से अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया था कि निचले इलाके में बाढ़ पीड़ितों को कोई परेशानी नहीं हो, लेकिन सीएम के दिशा निर्देश धरातल पर नहीं दिख रहा है. बाढ़ पीड़ित बेहाल हैं.


"आज तीन दिन हो गया घर में पानी में छाती भर पानी घुस गया है. रहने का कोई साधन नहीं है. कोई सहायता नहीं मिली. हमलोग घर-बार छोड़कर बार रह रहे हैं. किसी का ध्यान नहीं है " - शंभू मांझी, नाविक

ये भी पढ़ेंः बेतिया में बाढ़ का कहर, कटहा नदी पर बना पुल ध्वस्त

बेतियाः बिहार के बेतिया में बाढ़ (Flood in Bettiah) ने भारी तबाही मचा रखी है. जिले के नौतन प्रखंड के मंगलपुर काला पंचायत के मंगलपुर काला गांव के लोग अपना घर छोड़कर पलायन कर चुके है. गांव के 80 घर पानी में डूब गए हैं. गंडक नदी की तबाही इसी गांव में देखने को मिल रही हैं. गांव में सिर्फ डूबे हुए घर हैं. गांव में रहने वाला कोई नहीं है. गांव में ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो से पड़ताल की. पड़ताल में पाया कि बाढ़ में सबकुछ बर्बाद हो चुका है. घरों में पांच फीट से ज्यादा पानी चल भर गया है.

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गंडक बराज से छोड़ा गया चार लाख क्यूसेक पानी: गंडक बराज से चार लाख चालीस हजार क्यूसेक पानी छोड़ा (Water Released from Gandak Barrage ) गया है. इसने नौतन प्रखंड के मंगलपुर काला गांव में जो तबाही मचाई है इसे देख बाढ़ की तबाही का आकलन करना मुश्किल हो गया है. बड़ी मुश्किल से ईटीवी भारत की टीम नाव से गांव में पहुंच बाढ़ से बर्बादी का जायजा लिया है. नाव पर सवार ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक प्रशासनिक अधिकारी देखने भी नहीं आये है. तीन दिन से गांव के लोग ऊंचे स्थानों पर, अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए हैं.

"हमलोग बांध पर जा रहे हैं. पानी आए तीन-चार दिन हो गया है. रहने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. हमलोगों को प्रशासन की ओर से अभी तक कोई सहायता नहीं दी गई है" - बाढ़ पीड़ित

सरकारी राहत की बाट जो रहे ग्रामीण: बाढ़ पीड़ित ग्रामीण सरकार की राहत सामग्री का इंतजार कर रहे हैं. सरकारी मदद की राह देखते इनके दिन कट रहे हैं.अभी तक यहां कोई नहीं पहुंचा है. कल सीएम ने चम्पारण का दौरा किया था. गंड़क बराज से अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया था कि निचले इलाके में बाढ़ पीड़ितों को कोई परेशानी नहीं हो, लेकिन सीएम के दिशा निर्देश धरातल पर नहीं दिख रहा है. बाढ़ पीड़ित बेहाल हैं.


"आज तीन दिन हो गया घर में पानी में छाती भर पानी घुस गया है. रहने का कोई साधन नहीं है. कोई सहायता नहीं मिली. हमलोग घर-बार छोड़कर बार रह रहे हैं. किसी का ध्यान नहीं है " - शंभू मांझी, नाविक

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