पश्चिम चंपारण (बगहा): सरकार और समाज बेटियों को बेटे की बराबरी का दर्जा दे रहे हैं, तो ऐसे वक्त में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो यह स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं. ताजा मामला बिहार के पश्चिम चंपारण के बगहा अनुमंडलीय अस्पताल (Bagaha Sub-Divisional Hospital) से सामने आया है. जहां बेटे के इंतजार में जब चौथी बेटी का जन्म (Birth Of Daughter) हुआ तो महिला के पति और उसकी सास ने नवजात को घर ले जाने से मना कर दिया.
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जिले के शास्त्रीनगर पोखरा टोला वार्ड-18 के प्रदीप सहनी की पत्नी रीता देवी ने बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया. उसके बाद से परिजनों ने सिर्फ इसलिए हंगामा खड़ा कर दिया, क्योंकि यह उनकी चौथी बेटी हुई थी. नवजात बच्ची के पिता और दादी ने बच्ची को घर ले जाने से मना कर दिया. लिहाजा मंगलवार शाम से ही प्रसूता महिला अस्पताल में पड़ी अपने पति की राह देख रही है. महिला रीता देवी का कहना है कि बच्ची का लालन पालन वह कर लेगी. इसके बावजूद परिजन ले जाने से मना कर रहे हैं.
अस्पताल में पीड़िता के साथ आई आशा कर्मी पुष्पा देवी का कहना है कि जब उसने नवजात बच्ची के जन्म की सूचना प्रदीप सहनी (पिता) को दी, तो वह गांव के तालाब में जाकर कूद गया और आत्महत्या करने की कोशिश की. हालांकि स्थानीय लोगों ने उसे बचा लिया है. उन्होंने बताया कि महिला का पति बार-बार यह धमकी दे रहा है कि यदि बच्ची घर आ गई तो उसे जान से मार देंगे.
बात दें कि अस्पताल में पीड़ित महिला के सास को स्थानीय लोग समेत स्वास्थ्यकर्मियों ने भी लाख समझाया, लेकिन वह नवजात और उसकी मां को घर ले जाने को तैयार नहीं हुई. नतीजतन अस्पताल समेत आसपास में इस घटना की चर्चा आग की तरह फैल गई है.
अस्पताल उपाधीक्षक डॉक्टर राजेश सिंह ने बताया कि महिला ने मंगलवार की शाम एक पुत्री को जन्म दिया है. तबसे उसके परिजन उसपर भड़के हुए हैं और बच्ची को घर नहीं ले जाना चाह रहे हैं.
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