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बारिश होने से किसानों के खिले चेहरे, बोले- हमारे लिए ये पानी अमृत के समान

बीते एक-दो माह से गर्मी का प्रकोप चरम पर था. चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था. चारों ओर लोग त्राहिमाम कर रहे थे. ऐसे में बारिश की बहुत जरूरत थी.

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Published : Jun 24, 2019, 2:29 PM IST

खेतों में उर्वरक डालना शुरू

बेतिया: मॉनसून की पहली बारिश होने से प्रदेश भर के किसानों के चेहरे खिल गए हैं. बारिश के बाद किसानों ने अपने खेतों में उर्वरक डालने शुरू कर दिए हैं. किसानों का कहना है कि बरसात होने से उनमें खुशी तो है. लेकिन, यही बारिश कुछ दिनों पहले हुई होती तो बात कुछ और होती. सिंचाई करने में उनका काफी पैसा खर्च हो गया.

बारिश ना होने से परेशान थे किसान
मालूम हो कि बीते एक-दो माह से गर्मी का प्रकोप चरम पर था. चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था. चारों ओर लोग त्राहिमाम कर रहे थे. ऐसे में बारिश की बहुत जरूरत थी. प्रचंड गर्मी के कारण गन्ना और धान की रोपनी को लेकर किसान खासे चिंतित थे. अब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली है.

betiah
किसान

खेतों में छाई हरियाली
बरसात होते ही किसान अब खेतों में खाद उर्वरक डालने की मुहिम में जुट गए हैं. 24 घण्टे की बरसात के बाद अब खेतों के साथ-साथ किसानों के चेहरे पर भी हरियाली छा गई है. किसानों का कहना है कि यह बरसात उनके लिए अमृत के समान है. हालांकि किसानों में निराशा इस बात को लेकर भी है कि डीजल व पम्प सेट में पैसा खर्च कर देने के बाद बारिश आई.

खेतों में उर्वरक डालना शुरू

हर बार फेल साबित होती है सरकार
गौरतलब हो कि नहरों में पानी होने के बावजूद पाइप-लाइन की व्यवस्था नहीं होने के वजह से लोगों को पटवन के लिए पम्प सेट पर निर्भर होना पड़ा. ऐसे में इस बारिश ने किसानों के लिए संजीवनी का काम किया है. देश की 80 फीसदी आबादी कृषि पर आश्रित है. ऐसे में सरकार की ओर से डीजल पर अनुदान सहित किसानों के लिए सिंचाई की सुचारू व्यवस्था करने में सरकार प्रत्येक वर्ष विफल साबित होती है. देश के किसान भगवान भरोसे रहकर बारिश का इंतजार करते हैं.

बेतिया: मॉनसून की पहली बारिश होने से प्रदेश भर के किसानों के चेहरे खिल गए हैं. बारिश के बाद किसानों ने अपने खेतों में उर्वरक डालने शुरू कर दिए हैं. किसानों का कहना है कि बरसात होने से उनमें खुशी तो है. लेकिन, यही बारिश कुछ दिनों पहले हुई होती तो बात कुछ और होती. सिंचाई करने में उनका काफी पैसा खर्च हो गया.

बारिश ना होने से परेशान थे किसान
मालूम हो कि बीते एक-दो माह से गर्मी का प्रकोप चरम पर था. चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था. चारों ओर लोग त्राहिमाम कर रहे थे. ऐसे में बारिश की बहुत जरूरत थी. प्रचंड गर्मी के कारण गन्ना और धान की रोपनी को लेकर किसान खासे चिंतित थे. अब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली है.

betiah
किसान

खेतों में छाई हरियाली
बरसात होते ही किसान अब खेतों में खाद उर्वरक डालने की मुहिम में जुट गए हैं. 24 घण्टे की बरसात के बाद अब खेतों के साथ-साथ किसानों के चेहरे पर भी हरियाली छा गई है. किसानों का कहना है कि यह बरसात उनके लिए अमृत के समान है. हालांकि किसानों में निराशा इस बात को लेकर भी है कि डीजल व पम्प सेट में पैसा खर्च कर देने के बाद बारिश आई.

खेतों में उर्वरक डालना शुरू

हर बार फेल साबित होती है सरकार
गौरतलब हो कि नहरों में पानी होने के बावजूद पाइप-लाइन की व्यवस्था नहीं होने के वजह से लोगों को पटवन के लिए पम्प सेट पर निर्भर होना पड़ा. ऐसे में इस बारिश ने किसानों के लिए संजीवनी का काम किया है. देश की 80 फीसदी आबादी कृषि पर आश्रित है. ऐसे में सरकार की ओर से डीजल पर अनुदान सहित किसानों के लिए सिंचाई की सुचारू व्यवस्था करने में सरकार प्रत्येक वर्ष विफल साबित होती है. देश के किसान भगवान भरोसे रहकर बारिश का इंतजार करते हैं.

Intro:मॉनसून की पहली बरसात ने किसानों के चेहरे पर लाली ला दी है। बारिश आने के बाद किसान अपने खेतों में उर्वरक छींटने शुरू कर दिए हैं। किसानों का कहना है कि बारिश तो खुशी लेकर आई लेकिन डीज़ल का पैसा खर्च करवाने के बाद।


Body:चिलचिलाती धूप व प्रचंड गर्मी की वजह से सुख रहे गन्ना के फसल व धान की रोपनी को लेकर चिंतित किसानों ने बारिश के बाद अब राहत की सांस ली है। बरसात होते ही किसान अब खेतों में खाद उर्वरक छींटने की मुहिम में जुट गए हैं। 24 घण्टे की बरसात के बाद अब खेतों के साथ साथ किसानों के चेहरे पर भी हरियाली छा गई है। किसानों का कहना है कि यह बरसात उनके लिए अमृत के समान है। हालांकि किसानों में निराशा इस बात को लेकर है कि बारिश आई भी तो डीजल व पम्प सेट में पैसा खर्च करवाकर।
गौरतलब हो कि नहरों में पानी होने के बावजूद पईन- नाला की व्यवस्था नही होने की वजह से लोगों को पटवन के लिए पम्प सेट पर निर्भर होना पड़ा। ऐसे में इस बारिश ने किसानों के लिए संजीवनी का काम किया है।
बाईट-1@ उमेश यादव
बाईट-2@


Conclusion:देश की 80 फीसदी आबादी कृषि पर आश्रित है, ऐसे में सरकार द्वारा डीजल पर अनुदान सहित किसानों के लिए सिंचाई की सुचारू व्यवस्था करने में सरकार प्रत्येक वर्ष विफल साबित होती है । देश के किसान भगवान भरोसे रहकर बारिश का इंतजार करते हैं ऐसे में माना जा रहा धान की रोपनी के पहले यह बरसात किसानों के लिए रामबाण साबित हो रही है।
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