बेतिया: मॉनसून की पहली बारिश होने से प्रदेश भर के किसानों के चेहरे खिल गए हैं. बारिश के बाद किसानों ने अपने खेतों में उर्वरक डालने शुरू कर दिए हैं. किसानों का कहना है कि बरसात होने से उनमें खुशी तो है. लेकिन, यही बारिश कुछ दिनों पहले हुई होती तो बात कुछ और होती. सिंचाई करने में उनका काफी पैसा खर्च हो गया.
बारिश ना होने से परेशान थे किसान
मालूम हो कि बीते एक-दो माह से गर्मी का प्रकोप चरम पर था. चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था. चारों ओर लोग त्राहिमाम कर रहे थे. ऐसे में बारिश की बहुत जरूरत थी. प्रचंड गर्मी के कारण गन्ना और धान की रोपनी को लेकर किसान खासे चिंतित थे. अब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली है.
खेतों में छाई हरियाली
बरसात होते ही किसान अब खेतों में खाद उर्वरक डालने की मुहिम में जुट गए हैं. 24 घण्टे की बरसात के बाद अब खेतों के साथ-साथ किसानों के चेहरे पर भी हरियाली छा गई है. किसानों का कहना है कि यह बरसात उनके लिए अमृत के समान है. हालांकि किसानों में निराशा इस बात को लेकर भी है कि डीजल व पम्प सेट में पैसा खर्च कर देने के बाद बारिश आई.
हर बार फेल साबित होती है सरकार
गौरतलब हो कि नहरों में पानी होने के बावजूद पाइप-लाइन की व्यवस्था नहीं होने के वजह से लोगों को पटवन के लिए पम्प सेट पर निर्भर होना पड़ा. ऐसे में इस बारिश ने किसानों के लिए संजीवनी का काम किया है. देश की 80 फीसदी आबादी कृषि पर आश्रित है. ऐसे में सरकार की ओर से डीजल पर अनुदान सहित किसानों के लिए सिंचाई की सुचारू व्यवस्था करने में सरकार प्रत्येक वर्ष विफल साबित होती है. देश के किसान भगवान भरोसे रहकर बारिश का इंतजार करते हैं.