पश्चिम चंपारण : कोरोना की दूसरी लहर से जंग लड़ने के लिए जीविका दीदियों ने कमर कस ली है. मार्केट में मास्क की डिमांड को देखते हुए अब बगहा की जीविका दीदियों ने मास्क निर्माण का जिम्मा लिया है. जीविका दीदियां प्रतिदिन 15 हजार मास्क बना रहीं है. पिछले साल कोरोना काल में दीदियों के बनाये गये मास्क की 1 करोड़ से ज्यादा की बिक्री की गई थी.
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हर दिन हजारों रुपये कमा रही दीदियां
बगहा में 150 जीविका दीदियों का समूह मास्क उत्पादन के कार्यों में लगी हैं. प्रतिदिन बगहा में तकरीबन 15000 मास्क बनाए जा रहे हैं. जीविका समूह की फेसिलिटेटर प्रियंका देवी बताती हैं कि इस मास्क निर्माण से अधिकांश आदिवासी थारू माहिलाएं जुड़ी हैं. इस आपदा की घड़ी में भी प्रतिदिन हजारों रुपये कमा रही हैं. पिछले साल इनके द्वारा बनाए गए 1 करोड़ 25 लाख रुपये से अधिक लागत के मास्क की बिक्री बाजार में की गई थी. जीविका दीदीयों को लाखों रुपये मेहनताना के तौर पर मिला था.
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प्रतिदिन 15 हजार मास्क का निर्माण
एक मास्क बनाने पर जीविका दीदी को 3 से 4 रुपये दिया जाता है. लिहाजा एक दीदी की आमदनी प्रतिदिन तकरीबन हजार रुपये हो जाती है. जीविका के प्रखण्ड को ऑर्डिनेटर वासिफ अली का कहना है कि पिछले कोरोना काल में 21 लाख रुपये जीविका दीदियों को मास्क सिलने के लिए मेहनताना दिया गया था. आने वाले समय में प्रतिदिन 35 से 40 हजार मास्क सिलाई का लक्ष्य है.