बगहा: बिहार में ईको फ्रेंडली चिजों को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है. ऐसा ही कुछ हाल बिहार के बगहा में देखने को मिला है. जहां वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के रघिया और गोवर्धना वन क्षेत्रों में रहने वाले सैकड़ों आदिवासी परिवारों के बीच वन विभाग ने ईको फ्रेंडली चूल्हे का वितरण किया है. बिरसा मुंडा के जन्मदिवस पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जहां जंगल की लकड़ियों पर वनवासियों की निर्भरता कम हो सके, इसके लिए चूल्हे का वितरण किया गया.
ईको फ्रेंडली चूल्हा पाकर वनवासी गदगद: वहीं, बिरसा मुंडा के जन्मदिवस पर आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम के दौरान ईको फ्रेंडली चूल्हा पाकर वनवासी गदगद हो गए. वन विभाग के DFO के नेतृत्व में इस सामरोह का आयोजन आदिवासी बहुल मनचंगवा गांव में किया गया था. इस कार्यक्रम में महिलाओं को इको फ्रेंडली चुल्हा पर खाना बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया.
लकड़ी पर कम होगी निर्भरता: दरअसल शिवालिक की पहाड़ियों के किनारे फैले वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में रहने वाले वनवासी आज भी जलावन के लिए जंगल की लकड़ियों पर निर्भर रहते हैं. जिससे मानव और वन्य जीवों के बीच संघर्ष की स्थिति बन जाती है. जंगल में जाने के कारण वनवासियों को वन्य जीवों से खतरा पहुंचता है. साथ हीं जंगली जानवरों को भी लोगों से नुकसान पहुंच सकता है. यहीं वजह है की जंगल की लकड़ी पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से वनवासियों के बीच वन विभाग ने ईको फ्रेंडली चूल्हा बांटा है. वहीं चूल्हा पाकर आदिवासी महिलाएं भी काफी खुश दिखीं. उन्होंने वन विभाग के इस पहल की काफी सराहना की. इस मौके पर वन विभाग ने आदिवासी खिलाड़ियों के बीच खेल सामग्रियों का भी वितरण किया.
"इस इको फ्रेंडली चूल्हे का उपयोग करने के दौरान लकड़ियों की मामूली खपत होगी. केंद्र सरकार के इस योजना का उद्देश्य यह है कि मानव और वन्य जीवों के संघर्ष में कमी आएं. वनवासियों की जंगल पर निर्भरता काफी कम हो ताकि मानव और जीव दोनों सुरक्षित रहें." - प्रदुम्न गौरव, DFO, वाल्मिकी टाइगर रिजर्व.
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