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बेतिया: कृषि विभाग के साथ DM ने की बैठक, दिए कई निर्देश

बेतिया में डीएम ने कहा कि पश्चिम चम्पारण कृषि प्रधान जिला है. उन्होंने कहा कि गन्ने से विभिन्न प्रकार के अन्य उत्पादों को विकसित करना है.

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डीएम ने अधिकारियों के साथ की बैठक
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Published : Sep 5, 2020, 10:02 PM IST

बेतिया: डीएम कुंदन कुमार ने जिले के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में कृषि, उद्योग, मत्स्य, उद्यान विभागों के कार्य प्रगति की समीक्षा की गई और अधिकारियों को उससे संबंधित दिशा-निर्देश दिया. बेतिया डीएम ने कहा कि पश्चिम चम्पारण कृषि प्रधान जिला है.

कर्मियों के दल का गठन
डीएम ने कहा कि जिलान्तर्गत सर्वाधिक लोगों की निर्भरता कृषि पर है. कृषि और कृषि से सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास और लोगों को खुशहाल बनाने की दिशा में सभी संबंधित अधिकारी समन्वय स्थापित कर तत्परतापूर्वक आवश्यक करें. इस कार्य में लाॅकडाउन के दौरान जिले में वापस लौटे व्यक्तियों को प्राथमिकता दिया जाये. साथ ही इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए जिला कृषि पदाधिकारी अविलंब 20-25 ऊर्जावान कर्मियों के दल का गठन करेंगे.

देश-विदेशों में काफी प्रसिद्ध
यह दल अविलंब सर्वे कर कृषि और कृषि से सम्बद्ध विभिन्न उत्पादों के संदर्भ में संभावनाओं की तलाश कर शीघ्र प्रतिवेदन उपलबध कराना सुनिश्चित करेगा. डीएम ने कहा कि जिले में आनन्दी भूजा, बासमती चावल, मर्चा चूड़ा आदि का उत्पादन प्रचूर मात्रा में होता है. ये उत्पाद देश-विदेशों में काफी प्रसिद्ध भी है.

मिलकर करना है प्रयास
इन उत्पादों के विकास के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा. डीएम ने कहा कि पश्चिम चम्पारण जिला में सर्वाधिक गन्ने की खेती होती है. गन्ने से सिर्फ यहां चीनी का उत्पादन किया जाता है. जरूरत है गन्ने से विभिन्न प्रकार के अन्य उत्पादों को विकसित करना. ताकि अन्य लोगों को रोजगार मिल सके और उनकी आर्थिक उन्नति हो सके.

हर्बल खेती में अपार संभावनाएं
इसके साथ ही हर्बल प्लान्टेशन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं. बस जरूरत है दृढ़ इच्छाशक्ति की. हर्बल प्लान्टेशन के क्षेत्र में मेंथा, लेमन ग्रास, पामा रोजा, आर्टीमिशिया, भेटेबल आदि के व्यापक उत्पादन में भी कारगर कार्रवाई करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को डीएम ने दिया है.

समन्वय स्थापित करने का निर्देश
डीएम ने जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला गव्य विकास पदाधिकारी को कृषि और कृषि से सम्बद्ध विभिन्न क्षेत्रों पाॅल्ट्री, मत्स्य पालन, डेयरी (दूध उत्पादन) आदि को आपस में समन्वय स्थापित कर और अधिक विकसित करने का निर्देश दिया है.

पाॅल्ट्री फीड का निर्माण
डीएम ने कहा कि जिलान्तर्गत जितने भी पाॅल्ट्री का निर्माण हुआ है, उसे जीविका के माध्यम से फंडिंग उपलब्ध करायी जाये. पाॅल्ट्री के साथ ही पाॅल्ट्री फीड का निर्माण, चूजे का उत्पादन और उसके दाने के निर्माण के लिए भी कार्रवाई की जाये.

मत्स्य उत्पादन के लिए प्रेरित
जिला मत्स्य पदाधिकारी को मत्स्य पालन के क्षेत्र में जीरा का उत्पादन, फिश फीड का उत्पादन और मांग के अनुरूप मत्स्य का उत्पादन जिला में ही कर जिला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. साथ ही जिला अंतर्गत जितने भी खेत-पोखर का निर्माण मनरेगा के माध्यम से किया गया है, उसकी सूची जिला ग्रामीण विकास अभिकरण से प्राप्त कर उन किसानों को मत्स्य उत्पादन के लिए प्रेरित करने का निर्देश भी दिया गया है.

उत्पादन की स्थिति का आकलन
जिला कृषि पदाधिकारी को कृषि संबंध अन्य उत्पाद जैसे दलहन, तेलहन, हल्दी, अदरक, लहसुन, धनिया, मिर्चा, अनेको प्रकार की सब्जियां आदि की आवश्यकता और उत्पादन की स्थिति का आकलन कर मांग के अनुरूप उत्पादन के निमित कार्रवाई करने का निदेश डीएम ने दिया है.

साथ ही "मशरूम विलेज" तैयार करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है. वहीं पपीता उत्पादन, अमरूद उत्पादन, फूल उत्पादन, सिल्क उत्पादन आदि क्षेत्रों के विकास के लिए भी कार्रवाई सुनिश्चित करने का निदेश जिला कृषि पदाधिकारी को दिया गया है.

बेतिया: डीएम कुंदन कुमार ने जिले के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में कृषि, उद्योग, मत्स्य, उद्यान विभागों के कार्य प्रगति की समीक्षा की गई और अधिकारियों को उससे संबंधित दिशा-निर्देश दिया. बेतिया डीएम ने कहा कि पश्चिम चम्पारण कृषि प्रधान जिला है.

कर्मियों के दल का गठन
डीएम ने कहा कि जिलान्तर्गत सर्वाधिक लोगों की निर्भरता कृषि पर है. कृषि और कृषि से सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास और लोगों को खुशहाल बनाने की दिशा में सभी संबंधित अधिकारी समन्वय स्थापित कर तत्परतापूर्वक आवश्यक करें. इस कार्य में लाॅकडाउन के दौरान जिले में वापस लौटे व्यक्तियों को प्राथमिकता दिया जाये. साथ ही इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए जिला कृषि पदाधिकारी अविलंब 20-25 ऊर्जावान कर्मियों के दल का गठन करेंगे.

देश-विदेशों में काफी प्रसिद्ध
यह दल अविलंब सर्वे कर कृषि और कृषि से सम्बद्ध विभिन्न उत्पादों के संदर्भ में संभावनाओं की तलाश कर शीघ्र प्रतिवेदन उपलबध कराना सुनिश्चित करेगा. डीएम ने कहा कि जिले में आनन्दी भूजा, बासमती चावल, मर्चा चूड़ा आदि का उत्पादन प्रचूर मात्रा में होता है. ये उत्पाद देश-विदेशों में काफी प्रसिद्ध भी है.

मिलकर करना है प्रयास
इन उत्पादों के विकास के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा. डीएम ने कहा कि पश्चिम चम्पारण जिला में सर्वाधिक गन्ने की खेती होती है. गन्ने से सिर्फ यहां चीनी का उत्पादन किया जाता है. जरूरत है गन्ने से विभिन्न प्रकार के अन्य उत्पादों को विकसित करना. ताकि अन्य लोगों को रोजगार मिल सके और उनकी आर्थिक उन्नति हो सके.

हर्बल खेती में अपार संभावनाएं
इसके साथ ही हर्बल प्लान्टेशन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं. बस जरूरत है दृढ़ इच्छाशक्ति की. हर्बल प्लान्टेशन के क्षेत्र में मेंथा, लेमन ग्रास, पामा रोजा, आर्टीमिशिया, भेटेबल आदि के व्यापक उत्पादन में भी कारगर कार्रवाई करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को डीएम ने दिया है.

समन्वय स्थापित करने का निर्देश
डीएम ने जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला गव्य विकास पदाधिकारी को कृषि और कृषि से सम्बद्ध विभिन्न क्षेत्रों पाॅल्ट्री, मत्स्य पालन, डेयरी (दूध उत्पादन) आदि को आपस में समन्वय स्थापित कर और अधिक विकसित करने का निर्देश दिया है.

पाॅल्ट्री फीड का निर्माण
डीएम ने कहा कि जिलान्तर्गत जितने भी पाॅल्ट्री का निर्माण हुआ है, उसे जीविका के माध्यम से फंडिंग उपलब्ध करायी जाये. पाॅल्ट्री के साथ ही पाॅल्ट्री फीड का निर्माण, चूजे का उत्पादन और उसके दाने के निर्माण के लिए भी कार्रवाई की जाये.

मत्स्य उत्पादन के लिए प्रेरित
जिला मत्स्य पदाधिकारी को मत्स्य पालन के क्षेत्र में जीरा का उत्पादन, फिश फीड का उत्पादन और मांग के अनुरूप मत्स्य का उत्पादन जिला में ही कर जिला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. साथ ही जिला अंतर्गत जितने भी खेत-पोखर का निर्माण मनरेगा के माध्यम से किया गया है, उसकी सूची जिला ग्रामीण विकास अभिकरण से प्राप्त कर उन किसानों को मत्स्य उत्पादन के लिए प्रेरित करने का निर्देश भी दिया गया है.

उत्पादन की स्थिति का आकलन
जिला कृषि पदाधिकारी को कृषि संबंध अन्य उत्पाद जैसे दलहन, तेलहन, हल्दी, अदरक, लहसुन, धनिया, मिर्चा, अनेको प्रकार की सब्जियां आदि की आवश्यकता और उत्पादन की स्थिति का आकलन कर मांग के अनुरूप उत्पादन के निमित कार्रवाई करने का निदेश डीएम ने दिया है.

साथ ही "मशरूम विलेज" तैयार करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है. वहीं पपीता उत्पादन, अमरूद उत्पादन, फूल उत्पादन, सिल्क उत्पादन आदि क्षेत्रों के विकास के लिए भी कार्रवाई सुनिश्चित करने का निदेश जिला कृषि पदाधिकारी को दिया गया है.

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