पश्चिम चंपारण: बिहार में छठे चरण के प्राथमिक शिक्षक नियोजन के तहत 23 फरवरी से (Primary Teachers Get Appointment Letter in Bagaha) नए नियोजित शिक्षकों को प्रमाण पत्र बांटा जा रहा है. ऐसे में पश्चिमी चंपारण के रामनगर से एक बेहद खूबसूरत तस्वीर (divyang got Bihar Teacher Appointment Letter in Bagaha) सामने आई है, जहां दिव्यांगजन भी अपना प्रमाण पत्र लेने पहुंचे. खुद की लाचारी को दरकिनार कर एक दिव्यांग जब शिक्षक बना और शिक्षा व्यवस्था में उसने योगदान का जो संकल्प लिया उसे देखकर सभी हैरान हो गए. पैर से दिव्यांग शिक्षक का नाम सागर चौधरी है. जबकि एक हाथ से दिव्यांग शिक्षक अंगद कुमार ने नियुक्ति पत्र लिया है.
खुद खड़ा होने के लिए भले ही लाठी का सहारा लेना पड़ता हो लेकिन मन मे बच्चों को उनके पैर पर खड़ा करने का मकसद लिए दिव्यांग युवक शिक्षक नियोजन का नियुक्ति पत्र लेने पहुंचे. जी हां हम बात कर रहे है ऐसे ही दिव्यांग युवकों की जिनका सपना हर छात्र को शिक्षित कर उनका भविष्य संवारना है. पूरे राज्य में टीईटी पास शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है. ऐसे में रामनगर प्रखंड कार्यालय में जब एक नहीं दो-दो दिव्यांग शिक्षक अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र लेने पहुंचे तो वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया.
इन दोनों ने अपने हौसला से नियोजन सभा में मौजूद सभी का मन मोह लिया. दरअसल इन दिव्यांगों के जज्बे को देख सभी तारीफ करते नहीं थक रहे थे. लोगों को इन दिव्यांगजनों ने सीख देते हुए बताया कि, हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए. जो जो गुरुजी खुद खड़े नहीं हो पा रहे और जिस गुरुजी को गोद में टांग कर ले जाना पड़ रहा है, वो गुरुजी भी अब बच्चों को शिक्षित कर उनकी नींव मजबूत करेंगे.
इतना ही नहीं एक गुरुजी तो ऐसे मिले जो इंग्लिश, हिंदी, उर्दू और संस्कृत सभी भाषाओं में बच्चों को शिक्षित कर उन्हें काबिल बनाने का गुर सिखाते नजर आएंगे. बिहार में इससे पहले भी शिक्षक बहाली हुई है. जिसके तहत बहाल शिक्षकों के ज्ञान के कारण अक्सर बिहार की शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठता रहा है. ऐसे में अगर शिक्षा का अलख जगाने का जिम्मा ऐसे युवको के कंधे पर दिया जाता है तो निश्चित तौर से आने वाले समय मे ना सिर्फ शिक्षा के स्तर में सुधार होगा, बल्कि छात्रों का भविष्य भी उज्ज्वल होगा.
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