पश्चिम चंपारण: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar Will Come In West Champaran) के आगमन पर जिले के सारे प्रशासनिक अधिकारी तैयारियों में जुटे है. एक बार फिर मुख्यमंत्री अपनी यात्रा की शुरुआत वाल्मीकीनगर से करने वाले हैं. जिसके लिए जिले में जलजीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत पोखर का सौंदर्यीकरण और जीर्णोधार किया जा रहा है. सीएम नीतीश के आगमन से पहले इन कामों को जल्दबाजी में करवाने के लिए आनन- फानन में बुजुर्गों और बाल मजदूरों से काम करवाया जा रहा है.
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बगहा से सीएम की यात्रा: दरअसल, वाल्मीकिनगर के आदिवासी बहुल इलाके में दरुआबारी स्थित दलदलिया पोखरा का जीर्णोधार किया जा रहा है. इसके साथ ही पेवर ब्लॉक और अन्य कामों को किया जा रहा है. इसके अलावे भी अन्य काम किए जा रहे हैं. साथ ही पोखर किनारे आम लोगों के लिए जिम खाना स्थापित किया जा रहा है. यहां जलजीवन हरियाली अभियान को गति देने के लिए बाल मजदूरों और काफी बुजुर्गो से काम करवाया जा रहा है. ताकि सारा काम सही समय पर किया जा सके. वहां पर मौजूद लोगों का कहना है कि यहां पर सारे काम को जल्दबाजी से निपटाने के लिए घटिया ईंट का प्रयोग किया गया है. इसके साथ ही बाल मजदूरों से मजदूरी कराई गई. इस मामले में जब वहां मौजूद मनरेगा कर्मी, रोजगार सेवक से बात की गई. तब उनलोगों ने बताया कि जल्दबाजी में काम समाप्त करने के लिए ज्यादा लोगों को एक साथ लगाकर काम किया जा रहा है.
जल्दबाजी में गलत सामानों का इस्तेमाल: स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां पर काम को निपटाने के लिए दो नंबर के ईंटों को लगाया जा रहा है. साथ ही जल्दबाजी में मजदूर नहीं मिलने के कारण बच्चों से मजदूरी कराया जा रहा है. जब इस बात की जानकारी दी गई तब रोजगार सेवक ने कुछ भी कहने से इंकार किया. यहां पर मौजूद 2 कार्यक्रम पदाधिकारियों ने स्वीकार किया है कि आनन फानन में काम को जल्दी से पूरा करने की मजबूरी में इन बच्चों को काम पर लगाया गया है. इसके साथ ही जो भी सामग्री आसानी से मिल पा रहा है. उसी का इस्तेमाल किया जा रहा है. ताकि सीएम के आगमन के पहले यहां नहर का निर्माण और जीर्णोद्धार समेत सौंदर्यीकरण कार्य संपन्न किया जा सके.
बाल मजदूरी पर सवाल: इन कार्यों को देखें तब सवाल यह उठता है कि प्रशासन समय पर काम करवाने से क्यों बचता दिखाई देता है. आखिरकार सरकार के मुखिया के आगमन पर नियम कानून और मानक को ताक पर रखकर क्या ऐसे विकास कार्य पूरे किये जाएंगे? जबकि पूरे राज्य में कड़ाके की ठंड और सर्द मौसम को देखते हुए जहां एक ओर स्कूलों को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है और यहां उन्हीं उम्र के बच्चों से काम कराया जाना कितना जायज है..?
"यहां पर काम को निपटाने के लिए दो नंबर के ईंटों को लगाया जा रहा है. साथ ही जल्दबाजी में मजदूर नहीं मिलने के कारण बच्चों से मजदूरी कराया जा रहा है"- स्कूली छात्र
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