प. चंपारण: वाल्मीकिनगर गंडक बराज (Valmikinagar Gandak Barrage) से निकलने वाली तिरहुत नहर में एक मृत गैंडे का शव मिला. ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम ने उसे नहर से निकाल कर पोस्टमार्टम करवाया. बताया जा रहा है कि नेपाल के जंगल से भटका गैंडा गंडक नदी (Gandak River) के रास्ते बहकर त्रिवेणी कैनाल में आकर फंसा था. बुधवार की सुबह जैसे ही गैंडे के शव पर लोगों की नजर पड़ी, वैसे ही लोगों की भीड़ जमा हो गई.
यह भी पढ़ें- बेतिया: 3 करोड़ की लागत से विकसित होगा गैंडा अधिवास क्षेत्र, केंद्र सरकार को भेजा गया प्रस्ताव
लोगों ने तत्काल वन विभाग के आला अधिकारियों को इसकी सूचना दी. जिसके बाद वनकर्मियों ने घंटों मशक्कत के बाद गैंडे के शव को निकाला. बता दें कि गंडक बराज के गेट और नहर के दोनों तरफ स्लोप होने के कारण उसे निकालने में काफी दिक्कतें आईं. अंत में जेसीबी मशीन की मदद ली गई और करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद गेंडे के शव को निकाल लिया गया.
'वीटीआर जंगल सीमा से नेपाल स्थित चितवन नेशनल पार्क की सीमा लगी हुई है. जहां सैकड़ों की संख्या में गेंडों का अधिवास है. अक्सर बरसात के दिनों में लैंड स्लाइड व पहाड़ी नालों में आए पानी के वेग से चितवन नेशनल पार्क के जानवर गंडक नदी में गिरकर बहते हुए गंडक बराज तक पहुंच जाते हैं.
कुछ जानवर गंडक नदी के किनारे व्याघ्र परियोजना के जंगल में चले आते हैं. तो कुछ जानवर नदी में बहते हुए आगे निकल जाते हैं. लम्बे समय तक नदी में बहने के कारण कई जानवरों की मौत भी हो जाती है. गंडक बराज से निकाले गए गैंडे की भी मौत अनुमानतः इसी वजह से हुई होगी. हालांकि मौत के कारणों का खुलासा पोस्टमार्टम के बाद ही सम्भव है.
बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में गैंडा नही हैं. यदा कदा नेपाल के चितवन नेशनल पार्क जंगल से मेहमान के तौर पर इनका आगमन वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में होता है. लिहाजा अब वन विभाग गैंडा के लिए अधिवास क्षेत्र बनाने की योजना पर कार्य कर रहा है. ऐसे में एक हफ्ते पूर्व एक अन्य गैंडा भी वाल्मीकि आश्रम के तरफ विचरण करते देखा गया था.
यह भी पढ़ें- बेतियाः गैंडे ने बदली अपनी लोकेशन, जटाशंकर वन क्षेत्र पहुंचा