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Magh Mauni Amavasya 2023: माघ मौनी अमावस्या पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, नारायणी नदी में लगाई आस्था की डुबकी

बिहार के बगहा में माघ मौनी अमावस्या (Magh Mauni Amavasya in Bagaha) के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई है. ब्रह्म मुहूर्त से ही इंडो नेपाल सीमा स्थित गंडक नदी के दोनों किनारों पर उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल से आए श्रद्धालुओं ने स्नान के पश्चात दान पुण्य के साथ मंदिरों में पूजा अर्चना की है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बगहा में माघ मौनी अमावस्या
बगहा में माघ मौनी अमावस्या
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Published : Jan 21, 2023, 1:25 PM IST

बगहा के नारायणी नदी में श्रद्धालुओं की भीड़

बगहा: बिहार के बगहा में माघ मौनी अमावस्या के मौके पर गंडक नारायणी नदी में स्नान (Holy Bath in Gandak Narayani River) करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ गई है. इंडो नेपाल सीमा स्थित त्रिवेणी संगम पर स्नान दान करने के लिए श्रद्धालु तीन दिन पूर्व से ही पहुंचे हुए हैं. सभी नारायणी नदी में आस्था की डुबकी लगा कर पुण्य और मोक्ष की कामना कर रहे हैं. मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करने के लिए देर रात से ही भारी संख्या में श्रद्धालुओं का वाल्मीकीनगर पहुंचना शुरू हो गया था. बिहार, यूपी और नेपाल के तराई क्षेत्रों से यहां श्रद्धालु आए हैं. ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर गंगा में स्नान करने और दान करने से कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती है. साथ ही पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.

पढ़ें-बगहा: मौनी अमावस्या मेला में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, लगाएंगे पवित्र डुबकी


बन रहा है विशेष योग: पंडित हरेकृष्ण मिश्रा का कहना है कि माघ मास में पड़ने वाले अमावस्या को माघी अमावस्या अर्थात मौनी अमावस्या कहते हैं. नाम के अनुरूप ही यह मौन रहने वाली अमावस्या यानी मौनी अमावस्या कहलाती है. शनिवार के दिन मौनी अमावस्या होने के कारण विशेष योग बना है. उन्होंने बताया कि आज के दिन विशेष स्नान का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि माघ माहिने में ही समुद्र मंथन हुआ था. समुंद्र मंथन से निकले अमृत कलश की चार बूंदें जहां पड़ीं वहां देवता भी स्वयं स्नान करने आते हैं.

"माघ मास में पड़ने वाले अमावस्या को माघी अमावस्या अर्थात मौनी अमावस्या कहते हैं. नाम के अनुरूप ही यह मौन रहने वाली अमावस्या यानी मौनी अमावस्या कहलाती है. शनिवार के दिन मौनी अमावस्या होने के कारण विशेष योग बना है."-हरेकृष्ण मिश्रा, पंडित


इन चीजों का करें दान: आचार्य श्रीराम मिश्रा ने बताया की मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर स्नान करना चाहिए. आज के दिन किसी को दुर्वचन नहीं कहना भी मौन के समान ही माना जाता है. स्नान पश्चात विशेष तौर पर छाता, पलंग, शैया दान अर्थात गौदान, स्वर्णदान करने की परंपरा है. ऐसा कहा जाता है कि सतयुग में तप करने, द्वापर में भक्ति करने और त्रेता युग में ज्ञान अर्जन करने से जो पुण्य प्राप्त होता है उसके बराबर आज मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करके पुण्यफल मिलता है. आज के दिन जो लोग अपने पितरों के निमित्त तर्पण आदि करते हैं उस व्यक्ति के पितृ अनंत काल के लिए उसको आशीर्वाद देते हैं और मोक्ष को प्राप्त करते हैं.

स्नान करने से मिलता है ये फल: मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से परिवार में सुख सृमृद्धि तो आती ही है, पित्रों की आत्मा भी तृप्त होती है और पुण्य की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या पर पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गए हैं. पूरे क्षेत्र में अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है. इस अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया गया है. मेले का मुख्य आकर्षण टावर झूला, बच्चों का झूला, ब्रेक डांस, मौत का कुआं, ड्रैगन सहित दैनिक उपयोग की वस्तु, श्रृंगार प्रसाधन, हरेक माल की दुकानें है. मेले में श्रद्धालु प्रसाद के तौर संतरा और इलाईची दाना खरीदते हैं साथ ही तेजपत्ता की भी खूब बिक्री होती है.

बगहा के नारायणी नदी में श्रद्धालुओं की भीड़

बगहा: बिहार के बगहा में माघ मौनी अमावस्या के मौके पर गंडक नारायणी नदी में स्नान (Holy Bath in Gandak Narayani River) करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ गई है. इंडो नेपाल सीमा स्थित त्रिवेणी संगम पर स्नान दान करने के लिए श्रद्धालु तीन दिन पूर्व से ही पहुंचे हुए हैं. सभी नारायणी नदी में आस्था की डुबकी लगा कर पुण्य और मोक्ष की कामना कर रहे हैं. मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करने के लिए देर रात से ही भारी संख्या में श्रद्धालुओं का वाल्मीकीनगर पहुंचना शुरू हो गया था. बिहार, यूपी और नेपाल के तराई क्षेत्रों से यहां श्रद्धालु आए हैं. ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर गंगा में स्नान करने और दान करने से कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती है. साथ ही पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.

पढ़ें-बगहा: मौनी अमावस्या मेला में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, लगाएंगे पवित्र डुबकी


बन रहा है विशेष योग: पंडित हरेकृष्ण मिश्रा का कहना है कि माघ मास में पड़ने वाले अमावस्या को माघी अमावस्या अर्थात मौनी अमावस्या कहते हैं. नाम के अनुरूप ही यह मौन रहने वाली अमावस्या यानी मौनी अमावस्या कहलाती है. शनिवार के दिन मौनी अमावस्या होने के कारण विशेष योग बना है. उन्होंने बताया कि आज के दिन विशेष स्नान का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि माघ माहिने में ही समुद्र मंथन हुआ था. समुंद्र मंथन से निकले अमृत कलश की चार बूंदें जहां पड़ीं वहां देवता भी स्वयं स्नान करने आते हैं.

"माघ मास में पड़ने वाले अमावस्या को माघी अमावस्या अर्थात मौनी अमावस्या कहते हैं. नाम के अनुरूप ही यह मौन रहने वाली अमावस्या यानी मौनी अमावस्या कहलाती है. शनिवार के दिन मौनी अमावस्या होने के कारण विशेष योग बना है."-हरेकृष्ण मिश्रा, पंडित


इन चीजों का करें दान: आचार्य श्रीराम मिश्रा ने बताया की मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर स्नान करना चाहिए. आज के दिन किसी को दुर्वचन नहीं कहना भी मौन के समान ही माना जाता है. स्नान पश्चात विशेष तौर पर छाता, पलंग, शैया दान अर्थात गौदान, स्वर्णदान करने की परंपरा है. ऐसा कहा जाता है कि सतयुग में तप करने, द्वापर में भक्ति करने और त्रेता युग में ज्ञान अर्जन करने से जो पुण्य प्राप्त होता है उसके बराबर आज मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करके पुण्यफल मिलता है. आज के दिन जो लोग अपने पितरों के निमित्त तर्पण आदि करते हैं उस व्यक्ति के पितृ अनंत काल के लिए उसको आशीर्वाद देते हैं और मोक्ष को प्राप्त करते हैं.

स्नान करने से मिलता है ये फल: मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से परिवार में सुख सृमृद्धि तो आती ही है, पित्रों की आत्मा भी तृप्त होती है और पुण्य की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या पर पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गए हैं. पूरे क्षेत्र में अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है. इस अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया गया है. मेले का मुख्य आकर्षण टावर झूला, बच्चों का झूला, ब्रेक डांस, मौत का कुआं, ड्रैगन सहित दैनिक उपयोग की वस्तु, श्रृंगार प्रसाधन, हरेक माल की दुकानें है. मेले में श्रद्धालु प्रसाद के तौर संतरा और इलाईची दाना खरीदते हैं साथ ही तेजपत्ता की भी खूब बिक्री होती है.

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