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बगहा: त्रिवेणी संगम तट पर गंडकी महाआरती में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ - नारायणी नदी

उद्घाटन समारोह संपन्न होने के बाद भजपा विधायक विनय बिहारी ने बताया कि इस महाआरती के आयोजन का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म और  पौराणिक आस्था को बढ़ावा देना है. उन्होंने बताया कि देश में तीन संगम हैं, दो अन्य संगमों पर पूर्व से ही महाआरती का आयोजन होता आ रहा है. लेकिन यह संगम तट अछूता था.

बगहा
गंडकी महाआरती में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
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Published : Dec 12, 2019, 12:49 PM IST

पं.चंपारण: जिले के वाल्मीकिनगर अंतर्गत इंडो नेपाल स्थित गण्डक नदी इन दिनों लोगों के आस्था का केंद्र बनी हुई है. त्रिवेणी संगम के इस तट पर 68 वीं महाआरती का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन लौरिया विधानसभा विधायक सह लोक कलाकार विनय बिहारी ने किया. इस अवसर पर नेपाल समेत प्रदेश के कई जिले के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया.

त्रिवेणी संगम तट
महाआरती में भाग लेते हुए भाजपा विधायक

'पौराणिक आस्था का केंद्र'
उद्घाटन समारोह संपन्न होने के बाद भाजपा विधायक विनय बिहारी ने बताया कि इस महाआरती के आयोजन का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म और पौराणिक आस्था को बढ़ावा देना है. उन्होंने बताया कि देश में तीन संगम हैं, दो अन्य संगमों पर पूर्व से ही महाआरती का आयोजन होता आ रहा है. लेकिन यह संगम तट अछूता था. जिस वजह से यहां पर विगत 5 साल से महाआरती का आयोजन किया जा रहा है.

गंडकी महाआरती में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

'रामायण काल से जुड़ा है स्थल'
भाजपा विधायक ने बताया कि इस जगह पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यह धरती रामायण काल से जुड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि इसी स्थल से गज-ग्राह की लड़ाई शुरू हुई थी और सोनपुर में जाकर समाप्त हुई थी. महाआरती के आयोजन से इस संगम तट का प्रचार-प्रसार होगा और पौराणिक स्थल के विकास को बढ़ावा मिलेगा.

ईटीवी भारत संवाददाता को किया गया सम्मानित
बताया गया है कि वाल्मीकिनगर का यह त्रिवेणी संगम जिले का तीर्थ स्थल कहा जाता है. यहां तीन नदियां तमसा, सोनभद्र और नारायणी नदी आकर मिलती हैं. जिसका वर्णन महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में भी है. शास्त्रों के अनुसार इस संगम में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. गण्डक नदी के इस तट पर महाआरती का शुभारंभ 4 नवम्बर 2014 को किया गया था. मौके पर भजपा विधायक ने ईटीवी भारत संवाददाता को सम्मानित भी किया.

पं.चंपारण: जिले के वाल्मीकिनगर अंतर्गत इंडो नेपाल स्थित गण्डक नदी इन दिनों लोगों के आस्था का केंद्र बनी हुई है. त्रिवेणी संगम के इस तट पर 68 वीं महाआरती का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन लौरिया विधानसभा विधायक सह लोक कलाकार विनय बिहारी ने किया. इस अवसर पर नेपाल समेत प्रदेश के कई जिले के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया.

त्रिवेणी संगम तट
महाआरती में भाग लेते हुए भाजपा विधायक

'पौराणिक आस्था का केंद्र'
उद्घाटन समारोह संपन्न होने के बाद भाजपा विधायक विनय बिहारी ने बताया कि इस महाआरती के आयोजन का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म और पौराणिक आस्था को बढ़ावा देना है. उन्होंने बताया कि देश में तीन संगम हैं, दो अन्य संगमों पर पूर्व से ही महाआरती का आयोजन होता आ रहा है. लेकिन यह संगम तट अछूता था. जिस वजह से यहां पर विगत 5 साल से महाआरती का आयोजन किया जा रहा है.

गंडकी महाआरती में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

'रामायण काल से जुड़ा है स्थल'
भाजपा विधायक ने बताया कि इस जगह पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यह धरती रामायण काल से जुड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि इसी स्थल से गज-ग्राह की लड़ाई शुरू हुई थी और सोनपुर में जाकर समाप्त हुई थी. महाआरती के आयोजन से इस संगम तट का प्रचार-प्रसार होगा और पौराणिक स्थल के विकास को बढ़ावा मिलेगा.

ईटीवी भारत संवाददाता को किया गया सम्मानित
बताया गया है कि वाल्मीकिनगर का यह त्रिवेणी संगम जिले का तीर्थ स्थल कहा जाता है. यहां तीन नदियां तमसा, सोनभद्र और नारायणी नदी आकर मिलती हैं. जिसका वर्णन महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में भी है. शास्त्रों के अनुसार इस संगम में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. गण्डक नदी के इस तट पर महाआरती का शुभारंभ 4 नवम्बर 2014 को किया गया था. मौके पर भजपा विधायक ने ईटीवी भारत संवाददाता को सम्मानित भी किया.

Intro:वाल्मीकिनगर अंतर्गत इंडो नेपाल स्थित गंगा की सहायक नदी गण्डक भारत व नेपाल दोनो देशों के लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है। दोनो देशों के लोग प्रतिमाह के पूर्णिमा तिथि को होने वाली गण्डकी महाआरती में शामिल जरूर होते हैं। बुधवार शाम पूर्णिमा तिथि को त्रिवेणी संगम के तट पर 68 वी महाआरती का आयोजन हुआ जिसका उद्घाटन भाजपा से लौरिया विधानसभा के विधायक सह लोक कलाकार विनय बिहारी ने किया।


Body:बता दें कि वाल्मीकिनगर का त्रिवेणी संगम पश्चिम चंपारण का तीर्थ कहा जाता है। यहां तीन नदियों क्रमशः तमसा, सोनभद्र एवं नारायणी नदी आकर मिलती है। जिसका वर्णन महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में भी है। शास्त्रों के अनुसार इस संगम में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि यह स्थल भारत व नेपाल के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है।
बुधवार की शाम इसी त्रिवेणी संगम के तट पर 68 वीं महाआरती की गई जिसमें बिहार, उत्तरप्रदेश व नेपाल के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। गण्डक नदी के किनारे इस महाआरती का शुभारम्भ 4 नवम्बर 2014 को की गई थी तब से लगातार यहां आरती होती आ रही है। इस मौके पर ईटीवी भारत के संवाददाता को भी आरती में शामिल होने के लिए सम्मानित किया गया।
बाइट- विनय बिहारी, लौरिया विधायक।


Conclusion:महाआरती का उद्घाटन करने पहुंचे लौरिया विधायक सह कलाकार विनय बिहारी ने कहा कि इस महारती के अयोजन का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म एवं पौराणिक आस्था को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि देश में तीन संगम हैं, दो अन्य संगमों पर पूर्व से ही महाआरती का आयोजन होता आ रहा है तो इस संगम को क्यों अछूता रखा जाता। जबकि यह पौराणिक स्थल सीता, राम , वाल्मीकि और गज ग्राह के बीच हुई लड़ाई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि यहां से शुरू हुई गज ग्राह की लड़ाई सोनपुर में जाकर खत्म हुई थी। उन स्थलों को सरकार ने बेहतर तरीके से विकसित किया है। महा आरती के आयोजन से इस संगम का भी प्रचार प्रसार होगा और पौराणिक स्थल के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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