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भीषण ठंड में खुले में जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं बच्चे, फरियाद नहीं सुनते अधिकारी - govt school bettiah

स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षक की मानें, तो सरकारी उदासीनता के कारण आज इस स्कूल की हालत ऐसी है. वहीं, उस स्कूल के बच्चों का कहना है कि ठंड बहुत है लेकिन स्कूल में पढ़ने के लिए भवन नहीं है. इस कारण खुले में बैठकर पढ़ना पड़ता है.

बेतिया
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Published : Jan 22, 2020, 2:37 PM IST

बेतिया: सूबे की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कहानी कोई नई नहीं है. बदहाल शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर आए दिन सामने आती रहती है. सरकार बच्चों को शिक्षा की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के दावे लगातार करती है, लेकिन जमीन पर इन दावों की हकीकत खोखली नजर आती है. ऐसा ही एक नजारा बेतिया में देखने को मिला, जहां स्कूल में ठंड के इस मौसम में बच्चों को जमीन पर बैठाकर पढ़ाया जा रहा है.

जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर चल रहा राजकीय उच्च मध्य विद्यालय जमुनिया नवका टोला में जमीन पर पढ़ रहे बच्चों को देखकर हालात का अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. कंपकंपाती ठंड होने के बावजूद स्कूल में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

बेतिया से जितेंद्र कुमार गुप्ता की रिपोर्ट

जब इस बारे में उस स्कूल के प्रधानाध्यापक से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि स्कूल में बच्चों की संख्या 342 है और उस स्कूल में मात्र 3 कमरे हैं. जिसमें से सिर्फ एक कमरे में लाखों रुपये का बेंच और टेबल रखा गया है. इसके कारण बच्चों को बाहर बैठाकर पढ़ाया जाता है. उन्होंने कहा कि स्कूल के भवन को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कई बार लिखा गया. लेकिन आज तक स्कूल के भवन का निर्माण नहीं हुआ.

जमीन पर लगी क्लास
जमीन पर लगी क्लास

हमारा स्कूल बना ही नहीं है- बच्चे
स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षक की मानें, तो सरकारी उदासीनता के कारण आज इस स्कूल की हालत ऐसी है. वहीं, उस स्कूल के बच्चों का कहना है कि ठंड बहुत है लेकिन स्कूल में पढ़ने के लिए भवन नहीं है. इस कारण खुले में बैठकर पढ़ना पड़ता है.

'क्या करें कमरे ही नहीं है'
'क्या करें कमरे ही नहीं है'

बहरहाल, जो भी हो शिक्षा के नाम पर सरकार करोड़ों रुपया खर्च तो कर रही है. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण आज वर्षों से जमुनिया उच्च माध्य विद्यालय नवका टोला में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे कड़ाके की ठंड और बरसात के दिनों में जमीन और खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

बेतिया: सूबे की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कहानी कोई नई नहीं है. बदहाल शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर आए दिन सामने आती रहती है. सरकार बच्चों को शिक्षा की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के दावे लगातार करती है, लेकिन जमीन पर इन दावों की हकीकत खोखली नजर आती है. ऐसा ही एक नजारा बेतिया में देखने को मिला, जहां स्कूल में ठंड के इस मौसम में बच्चों को जमीन पर बैठाकर पढ़ाया जा रहा है.

जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर चल रहा राजकीय उच्च मध्य विद्यालय जमुनिया नवका टोला में जमीन पर पढ़ रहे बच्चों को देखकर हालात का अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. कंपकंपाती ठंड होने के बावजूद स्कूल में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

बेतिया से जितेंद्र कुमार गुप्ता की रिपोर्ट

जब इस बारे में उस स्कूल के प्रधानाध्यापक से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि स्कूल में बच्चों की संख्या 342 है और उस स्कूल में मात्र 3 कमरे हैं. जिसमें से सिर्फ एक कमरे में लाखों रुपये का बेंच और टेबल रखा गया है. इसके कारण बच्चों को बाहर बैठाकर पढ़ाया जाता है. उन्होंने कहा कि स्कूल के भवन को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कई बार लिखा गया. लेकिन आज तक स्कूल के भवन का निर्माण नहीं हुआ.

जमीन पर लगी क्लास
जमीन पर लगी क्लास

हमारा स्कूल बना ही नहीं है- बच्चे
स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षक की मानें, तो सरकारी उदासीनता के कारण आज इस स्कूल की हालत ऐसी है. वहीं, उस स्कूल के बच्चों का कहना है कि ठंड बहुत है लेकिन स्कूल में पढ़ने के लिए भवन नहीं है. इस कारण खुले में बैठकर पढ़ना पड़ता है.

'क्या करें कमरे ही नहीं है'
'क्या करें कमरे ही नहीं है'

बहरहाल, जो भी हो शिक्षा के नाम पर सरकार करोड़ों रुपया खर्च तो कर रही है. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण आज वर्षों से जमुनिया उच्च माध्य विद्यालय नवका टोला में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे कड़ाके की ठंड और बरसात के दिनों में जमीन और खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

Intro:सुबे की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कहानी कोई नई नहीं है, बदहाल शिक्षा व्यवस्था का नजारा आए दिन सामने आता रहता है , सरकार के द्वारा बच्चों को शिक्षा की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के दावे लगातार किया जाता रहा है लेकिन असलियत इसके उलट है, जिसका एक नजारा बेतिया में देखने को मिला जहां स्कूल में ठंड के इस मौसम में बच्चों को जमीन पर बिठाकर शिक्षा दी जा रही है।


Body:बेतिया जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर चल रहा राजकीय उच्च माध्य विद्यालय जमुनिया नवका टोला में जमीन पर पढ़ रहे बच्चों को देखकर हालात का अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है, कंपकंपाती ठंड होने के बावजूद उस स्कूल मे बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हुए नजर आए, जब इस बारे में उस स्कूल के प्रधानाध्यापक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि स्कूल में बच्चों की संख्या 342 है और उस स्कूल में मात्र 3 कमरे हैं, जिसमें से एक कमरे में लाखों रुपए का बेच व टेबल रखा गया है जिसके कारण बच्चों को बाहर बैठा कर पढ़ाया जाता है, उन्होंने कहा कि स्कूल के भवन को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कई बार लिखा गया मगर आज तक स्कूल के भवन का निर्माण नहीं हुआ, स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षक की मानें तो सरकारी उदासीनता के कारण आज इस स्कूल की हालत यह है।

बाइट- मनोज कुमार, प्रधानाध्यापक
बाइट- प्रशांत प्रियदर्शी, शिक्षक

वही उस स्कूल के बच्चों का कहना है कि ठंड बहुत है लेकिन स्कूल में पढ़ने के लिए भवन नहीं है, जिस कारण खुले में बैठकर पढ़ना पड़ता है।

बाइट- स्कूल के बच्चे


Conclusion:बहरहाल जो भी हो सुब की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कहानी कोई नई नहीं है, शिक्षा के नाम पर सरकार करोड़ों रुपया खर्च तो कर रही है लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण आज वर्षों से जमुनिया उच्च माध्य विद्यालय नवका टोला में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे कड़ाके के ठंड और बरसात के दिनों में जमीन पर और खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर है।

जीतेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत बेतिया
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