बेतियाः आस्था और उपासना के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. भगवान को प्रसाद चढ़ाने के लिए छठ व्रती ठेकुआ बना रहे हैं. उसके बाद शाम को सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाएगा और रात में कोसी भरने की परंपरा निभाई जाएगी. सभी छठ व्रती पूरी श्रद्धा और पवित्रता के साथ छठ पूजा में जुटे हुए हैं.
व्रती देंगे डूबते सुर्य को अर्घ्य
4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का कल यानी शुक्रवार को दूसरा दिन था. जिसे खरना कहा जाता है. खरना के साथ ही छठ व्रतियों का 36 घण्टे का निर्जला उपवास शुरू हो गया था. तीसरे दिन शनीवार को डूबते सुर्य को अर्घ्य और चौथे दिन सुबह में निकलते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व समाप्त होगा.
रात में भरी जाएगी कोसी
शनिवार को तीसरे दिन हर घर में छठ व्रती छठ के डाले और दउरे में रखने वाले प्रसाद के रूप में ठेकुआ बना रहे हैं. छठ व्रतियों का कहना है कि छठ मईया को प्रसाद के रूप में आंटे और गुड़ के मिश्रण का प्रसाद चाढ़ाया जाता है. जिसको ठेकुआ कहा जाता है. इसके बाद शाम में घाटों पर जाकर जल में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. रात में कोसी भरने की परंपरा है. जो घर घर भरी जाती है.
सजा कर तैयार हैं छठ घाट
बता दें कि हर घर में आज शाम को अस्ताचलगामी सूर्य और चौथे दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए जिले के सभी घाटों को सजा कर तैयार कर लिया गया है. छठ पूजा को लेकर जिला प्रशासन भी मुस्तैद है. नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ यह पावन पर्व का कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही खत्म हो जाएगा.