बेतिया: बेतिया में नदियों पर संकट गहरा गया है. यहां जमीन का सौदा करने वालों ने नदी को भी नहीं बख्शा. भूमाफियाओं ने नदियों के ऊपर अतिक्रमण कर उसे बेच दिया है. जिससे अब नदी का नामों निशान तक मिट गया है. दरअसल हम बात कर रहे हैं बेतिया शहर के किनारे से निकलने वाली चंन्द्रावत नदी की, जिसका अब नामों निशान तक मिट गया है.
व्यवसाय के नाम से मशहूर था चंद्रावत नदी: बेतिया में पहले चंन्द्रावत नदी के जरिये व्यवसाय हुआ करता था. यहां बंदरगाह हुआ करता था. जिन नदियों के गर्भ में बड़ी-बड़ी जहाज आया करती थी. वह नदियां आज नाला में तब्दील हो गई है. अब इसका अस्तित्व समाप्त हो गया है. नदी के सौदागरों ने बड़ी बड़ी नदियों को ही बेच डाला है. बता दें कि नदियों की जमीन पर आज बड़े-बड़े आलिशान मकान बन गए हैं.
मुकदर्शक बनी है सरकार व प्रशासन: यहां जनप्रतिनिधियों ने विधानसभा से लेकर लोकसभा तक नदी के संरक्षण के लिए सवाल उठाये. कई बार अतिक्रमण मुक्त करने के लिए आदेश भी जारी हुआ. लेकिन यह सब कागजों में महज खानापूर्ति बनकर रह गया. जिला प्रशासन हो या नगर निगम, सभी ने अपनी आंखे बंद कर ली है.
पन्नों में सिमटा कोहड़ा नदी का इतिहास: बता दें कि 17वीं शताब्दी के वर्ष 1659 में जलमार्ग विकसित करने और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बेतिया के राजा गज सिंह ने गंडक से चंद्रावत नदी को जोड़ने का काम किया था. पूर्व में चंन्द्रावत नदी, कोहड़ा नदी के नाम से जाना जाता था, जो इतिहास के पन्नो में व्यवसाय के लिए काफी मशहूर था. यह जलमार्ग का बड़ा केंद्र बन गया था.
व्यवसाय के नाम से मशहूर था कोहड़ा नदी: गंडक के जरिए विभिन्न जगहों से लाई गई सामग्री यहां उतारी जाती थी. ढ़ाका से मलमल के कपड़े और उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से पत्थर लाया जाता था. इंग्लैंड से कोलकाता बंदरगाह के रास्ते जहाज से गंगा, फिर गंडक के रास्ते लोहा लाया जाता था. करीब ढाई सौ वर्षों तक इस जलमार्ग का उपयोग होता रहा. लेकिन आज इसमें कचरा डाला जाता है.
अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही नदियां: नालों में सिमट कर बहने वाली ये नदियां सरकार से यह गुहार लगा रही हैं कि कम से कम हमारा नाम बचा रहे. कह रही है कि जितने में सिमटे हैं, उतना ही सरकार बचा ले. बहरहाल शहर के प्रबुद्धजनों का कहना है कि जिला प्रशासन की लापरवाही और सरकार की उदासीनता की वजह से बेतिया की ये बड़ी-बड़ी नदियों का नामों निशान मिट गया और नदी के सौदागरों ने इन नदियों का सौदा कर दिया.
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