बेतिया: 'नाम बड़े और दर्शन छोटे' वाली कहावत बगहा के कदमहवा में बने अनुसूचित जनजाति बालिका उच्च विद्यालय के लिए बिल्कुल सटीक बैठती है. बाहर से देखने पर यह विद्यालय सभी सुविधाओं और संसाधनों से लैस जान पड़ता है. लेकिन, भीतरी असलियत ठीक इसके विपरीत है. यह सरकारी स्कूल इंफ्रास्ट्रक्टर के मामले में निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ सकता है. लेकिन, यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.
बाहरी लुक देखकर हर कोई यही कहेगा कि यह सरकारी विद्यालय नहीं बल्कि किसी मेट्रोपोलिटन सिटी का विद्यालय है. बावजूद इसके विद्यालय में शिक्षकों और कर्मियों की घोर कमी है. इसके अलावे यहां के छात्रावास में रह रहीं छात्राओं को रोज एक ही खाना दिया जाता है. केवल दिखावे के लिए हॉस्टल मेस में मेनू लटका दिया गया है.
सुविधाओं का नहीं मिल रहा लाभ
बगहा प्रखंड अंतर्गत थरुहट बहुल क्षेत्र कदमहवा में स्थापित अनुसूचित जनजाति बालिका उच्च विद्यालय में तकरीबन 380 छात्राएं पढ़ती हैं. इन छात्राओं के रहने के लिए विद्यालय कैम्पस में ही एक छात्रावास भी बना है. जहां इनके लिए तमाम बेहतर सुविधाएं भी मौजूद हैं. यह विद्यालय सीसीटीवी कैमरों, स्पोर्ट्स के सामानों, लैब के उपकरणों से लैस है. लेकिन, बच्चियों को आजतक इसकी झलक भी नहीं मिली है.
चपरासी की जगह शिक्षक बजाते हैं घंटी
380 छात्राओं के लिए यहां मात्र 4 शिक्षक मौजूद हैं. जबकि यहां 16 शिक्षकों के पद प्रस्तावित हैं. स्कूल में एक चपरासी तक नहीं है. जिस कारण शिक्षक खुद स्कूल का गेट खोलते हैं. इतना ही नहीं यहां की बदहाली इस कदर है कि शिक्षक पीरियड खत्म होने पर खुद ही जाकर घंटी भी बजाते हैं. यहां रहने वाली छात्राओं के लिए स्वास्थ्य के पुख्ता इंतजाम भी नहीं है. जब कोई बच्ची बीमार पड़ती है तो उसे पड़ोस के झोलाझाप डॉक्टरों का मुंह देखना पड़ता है.
रोजाना परोसा जा रहा एक ही खाना
विद्यालय की छात्राओं का आरोप है कि छात्रावास में मेनू बस दिखावे के लिए है. रोजाना नाश्ते में उन्हें लावा और भूंजा ही परोसा जाता है. जब वह शिकायत करती हैं तो कुछ दिनों तक सब ठीक रहता है फिर वही हाल हो जाता है. प्रधानाचार्य की हिदायत के बावजूद मेस संचालित करने वाली एनजीओ संस्था अपनी मनमानी करती है.