बगहा: बिहार बगहा (Bagaha) जिले के दियारावर्ती इलाकों में भी बाढ़ का कहर देखने को मिला है. मधुबनी और भितहां प्रखण्ड के कई गांव अब भी बाढ़ में डूबे हुए हैं. यहां दोनों प्रखंड के गांवों को जोड़ने वाला एप्रोच पथ तकरीबन 20 फीट ध्वस्त हो गया है. जिसके बाद लोग प्रशासनिक मदद का इंतेजार कर रहे हैं. वहीं कुछ लोग नाव का सहारा ले रहे हैं, जबकि कुछ ग्रामीण तटबंध पर शरण लिए हुए हैं.
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बाढ़ में टूटा एप्रोच पथ
गण्डक नदी में छोड़े गए 4 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी से आई बाढ़ ने इलाके में बर्बादी के कई निशान छोड़ गए हैं. मधुबनी और भितहां प्रखण्ड अंतर्गत नैनाहा और करैया बसौली गांव को जोड़ने वाला एप्रोच पथ गुरुवार की शाम टूट कर पानी मे बह गया है. लिहाजा दोनों गांवों का संपर्क एक दूसरे से खत्म हो गया है. जिससे एक बड़ा तबका बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
पलायन करने को मजबूर हुए लोग
बता दें कि नैनाहा, सिसई और करैया बसौली जैसे गांव बाढ़ के पानी से जलमग्न हैं. यहां के कुछ ग्रामीण बगहा से धनहा को जोड़ने वाली गौतम बुद्ध सेतु के किनारे तटबंध पर शरण लिए हुए हैं. वहीं कुछ लोग निजी नाव के सहारे सुरक्षित स्थानों या रिश्तेदारों के यहां शरण करने के लिए पलायन कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ आये दो दिन हो गया लेकिन अब तक उनका सुध लेने वाला कोई नहीं पहुंचा है.
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प्रशासनिक मदद का इंतेजार
एप्रोच पथ टूटने से आवागमन बाधित होने के बाद बाढ़ में घिरे लोगों को प्रशासनिक मदद का इंतेजार है. ग्रामीणों का कहना है कि अब तक न तो कोई स्थानीय जनप्रतिनिधि और न ही प्रशासन के लोग ही सुध लेने आये हैं. बांध पर शरण लिए लोगों का कहना है कि उनका राशन, पानी सब कुछ पानी में डूब गया है. इलाके के लोग फसलों के नुकसान से भी काफी चिंतित हैं.
इलाकों में तबाही का मंजर
बता दें कि बगहा (Bagaha) में मानसून के पहली ही बारिश के बाद से ही कई इलाकों में तबाही का मंजर दिख रहा है. चकदहवा के बाद गंडक दियारा पार के पिपरासी प्रखंड में भी कई गांव बाढ़ में डूबे हुए हैं. लिहाजा प्रभावित लोगों ने अर्धनिर्मित रेलवे बांध पर शरण ली है. यहां गांवों में पानी घुसने के भय से लोग पूरी रात जागकर बिता रहे हैं.
पिछले वर्ष ही टूट गया था बांध
लबेदाहा पंचायत के कुछ हिस्सों से होकर रेल मार्ग प्रस्तावित थी. जिसके लिए बांध का निर्माण किया गया था और बांध के दोनों तरफ लोग बसे हुए हैं. ऐसे में जब पिछले साल गंडक नदी ने रौद्र रूप अपनाया तो यहां का बांध टूट गया और कई गांव जलमग्न हो गए. उस समय भी लोगों का आशियाना अर्धनिर्मित रेल बांध बना था. कुछ लोगों ने बांध पर ही अपना आशियाना भी बना लिया. फिर से बाढ़ आने से लोगों ने इस बांध पर शरण ली है.