बेतिया: पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. कोरोना मरीज का शव नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल में 11 घंटे तक पड़ा रहा. अंतिम संस्कार के लिए शव को उठाकर श्मशान घाट ले जाने वाला कोई नहीं था.
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दरअसल, शहर के शिवगंज मुहल्ला निवासी 35 वर्षीय अमित प्रशांत उर्फ गोल्डी की मौत कोरोना से सुबह 9 बजे अनुमंडलीय अस्पताल में हो गयी. मृतक की मां व पत्नी शव के पास बेसुध पड़ी थीं. वृद्ध पिता शव के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था करने में जुटे थे. डेढ़ बजे तक लकड़ी की व्यवस्था भी हो गयी लेकिन शव को घाट तक ले जाने वाला कोई नहीं था.
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अपनों ने ही अपनों से फेरा मुंह
माता-पिता व पत्नी को छोड़कर मृतक के अन्य सगे संबंधी परिवार का हाल भी पूछने नहीं आये. तब काफी प्रयास के बाद दोपहर तीन बजे एम्बुलेंस शव लेने अस्पताल पहुंचा. लेकिन शव को उठाकर एम्बुलेंस में लादने वाला भी कोई नहीं था. अस्पताल कर्मी शव को हाथ लगाने को तैयार नहीं थे.
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शव को ले जाने वाला कोई नहीं मिला
मृतक की पत्नी ने भी अनुमंडल के आला अधिकारी व सिटी मैनेजर को फोन कर बताया कि उसके पति के शव को उठाकर एम्बुलेंस में लादने वाला कोई नहीं है. सिटी मैनेजर विनय रंजन मौके पर पहुंचे और पत्रकार के साथ स्वयं पीपीई किट पहनकर शव को घाट तक ले गये. देर रात शव का अंतिम संस्कार किया गया. इसमें नप का सफाई कर्मी राकेश कुमार, एम्बुलेंस चालक राधेश्याम व पुरानी बाजार का एक युवक राहुल कुमार शामिल रहे.