पश्चिम चंपारण : बिहार के बगहा में बाढ़ (Flood In Bagha) ने तबाही मचा रखी है. वहीं अब कई इलाकों में बाढ़ के सैलाब से अभी लोग उबर भी नहीं पाए कि कटाव के खौफ ने उनकी नींद हराम कर दी है. पहाड़ी नदी मशान की जद में आकर सिसवा बसंतपुर पंचायत के किसानों की सैकड़ों एकड़ गन्ना की फसल नदी की धारा में डूब चुकी है. वहीं इलाके में अभी भी लगातार कटाव (River Erosion) हो रहा है. लिहाजा ग्रामीण कुदरत के दोतरफा मार से इलाके के लोग परेशान हैं.
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बगहा में इस बार गंडक नारायणी नदी ने उतनी तबाही नहीं मचाई जितनी कि पहाड़ी नदियां सिकरहना और मशान ने नुकसान पहुंचाया है. इलाके के रामनगर प्रखण्ड और बगहा एक प्रखंड में मशान नदी की विनाशलीला अब भी देखने को मिल रही है. बाढ़ का कहर बरपाने के बाद अब इस नदी ने कटाव करना शुरू कर दिया है. जिससे ग्रामीण काफी भयभीत हैं. मशान नदी ने उनका सुख चैन छीन लिया है. अब तक सैकड़ों एकड़ गन्ना की फसल नदी में विलीन हो गई है.
दरअसल, रामनगर प्रखण्ड अंतर्गत शेरवा देवराज, धनरपा और झरमहूई जैसे दर्जनों गांव मशान नदी के किनारे बसे हैं. ऐसे में रुक-रुक कर आ रही मूसलाधार की वजह से मशान नदी बार-बार उफना जा रही है. जिससे लोग बाढ़ के कहर से परेशान तो हो ही रहे हैं जब पानी कम हो रहा तो तेजी से कटाव भी शुरू हो जा रहा है. नतीजतन रामनगर प्रखंड के गांवों समेत बगहा एक प्रखण्ड के सिसवा बसंतपुर में मशान लोगों के लिए शोक का कारण बन गई है.
'इस वर्ष नदी की धारा ने सैकड़ों एकड़ खेतों का कटाव करते हुए अपना रुख मोड़ गांव के काफी करीब पहुंच गई है. अब भी गन्ना लगे फसल नदी की धारा में विलीन होते जा रहे हैं,लेकिन अब तक अधिकारियों ने सुध नहीं ली है. पिछले वर्ष भी लिखित शिकायत कर प्रशासन को आगाह किया था लेकिन अधिकारियों ने निरीक्षण करने के बाद अपनी जो रिपोर्ट भेजी वह फाइलों में ही सिमट कर रह गई और फिर कहानी ढाक के तीन पात वाली ही होकर रह गई है.' :- दशरथ महतो, किसान
'एक माह के भीतर आधा दर्जन बार उनके गांवों में मशान नदी का पानी घुसा और तकरीबन 24 दिनों तक नाव के सहारे एक दूसरे के घरों में आना जाना होता रहा. पिछले वर्ष नदी की धारा उनके खेतों से 3 किमी दूर थी लेकिन कटाव करते करते अब गांव के काफी करीब पहुंच चुकी है.' :- मो. इमरान, ग्रामीण
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कुदरत की मार से एक महीने से इलाके लोग परेशान हैं. ग्रामीणों पर मशान नदी कहर बनकर टूटी है. सिसवा बसंतपुर वह इलाका है जहां मशान और सिकरहना का संगम होता है और जब यह उफनाती है तो अपना रौद्र रूप धारण कर लेती है. ऐसे में ग्रामीण कुदरत के दो तरफा मार से काफी परेशान हैं और भय के साए में जीने को मजबूर हैं.