बगहा: पश्चिम चंपारण के बगहा में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (Wildlife Trust of India) द्वारा ग्रामीणों और स्थानीय मछुआरों के सहयोग से सैकड़ों घड़ियाल का हैचिंग (Gharials in the Gandak) कराने के बाद उसे गण्डक नदी (Gandak River In Bagaha) में छोड़ा गया. पूर्व से गण्डक नदी में 300 से अधिक घड़ियाल थे. जिनकी संख्या बढ़कर तकरीबन 500 पहुंच चुकी है. WTI के मुताबिक गण्डक नदी घड़ियालों के लिए एक बेहतर अधिवास साबित हो रहा है.
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गंडक नदी में बढ़ा घड़ियालों की संख्या: बगहा में इंडो नेपाल सीमा से होकर गुजरने वाली गण्डक नदी घड़ियालों के लिए बेहतर जगह साबित हो रहा है. वर्ष 2016 से लेकर अब तक वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार द्वारा घड़ियाल के 350 से ज्यादा अंडों को संरक्षित कर उसका हैचिंग कराया जा चुका है. लिहाजा वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक घड़ियालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है.
स्थानीय मछुआरों को किया जा रहा प्रशिक्षित: वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारी सुब्रत बहेरा ने बताया कि गण्डक नदी किनारे पता कर पाना मुश्किल होता है कि घड़ियालों ने रेत में कहां अंडा दिया है. नतीजतन इसके लिए WTI और फारेस्ट डिपार्टमेंट ने स्थानीय ग्रामीणों और मछुआरों को प्रशिक्षित किया और अंडों के संरक्षण और उसके प्रजनन का गुर सिखाया.
'गंडक नदी घड़ियाल का अच्छा अधिवास है. 2016 में पहली बार यहां घड़ियाल के घोसला मिला था. तब अब तक लगातार गंडक नदी में घड़ियाल का घोसला पाया जा रहा है. इसे सर्च कर पाना आसान काम नहीं है. इसके चलते स्थानीय लोग और मछुवारा समुदाय को ट्रेनिंग दी गई है. इनकी मदद से ही इन घड़ियालों का संरक्षण हो पा रहा है. इस बार कुल 148 बच्चे अंडों में से निकले हैं'. सुब्रत बहेरा, अधिकारी, वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया
गण्डक नदी में छोड़े गए 148 घड़ियाल के बच्चे: वर्ष 2022 में गण्डक नदी किनारे वाल्मीकिनगर से रतवल पूल तक 5 जगहों पर घड़ियालों के अंडे मिले. इन अंडों को मछुआरों ने संरक्षित किया और फिर उसका हैचिंग कराया गया. जिसके बाद तीन जगहों के अंडों से सुरक्षित प्रजनन हुआ. जबकि, दो जगहों के अंडे बर्बाद हो गए. इन तीन जगहों के अंडों का प्रजनन कर 148 घड़ियाल के बच्चों को गण्डक नदी में छोड़ा गया.
चंबल नदी में है सबसे अधिक घड़ियाल: बता दें कि चंबल नदी के बाद देश का दूसरा नदी गण्डक नदी है, जहां घड़ियालों की संख्या बहुत ज्यादा है. लिहाजा WTI और वन एवं पर्यावरण विभाग भविष्य में भी घड़ियालों के प्रजनन के लिए ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों और मछुआरों को प्रशिक्षित करेगी. ताकि सभी मिलकर अंडों का हैचिंग करा इनकी संख्या बढ़ाने की दिशा में प्रयास किया जाएगा.
इन कारणों से होती घड़ियाल की मौत: घड़ियालों की मौत को लेकर डब्ल्यूटीआई के अधिकारी सुब्रत बहेरा ने बताया कि इनके मौत के मुख्य तीन कारण हैं. सबसे पहला कारण गंडक नदी में अधिक जल स्तर बढ़ने से घड़ियालों के अंडें और उनके छोटे बच्चों की बहकर मौत हो जाती है. वहीं, नदी में जल स्तर की अधिक कमी होने की वजह से भी इनती मौत हो जाती है. कई बार मछुआरों द्वारा लगाये गए जाल मे फंसकर भी घड़ियालों की मौत हो जाती है. इन सबके अलावा बैट्री संचालित करंट लगाने से भी घड़ियाल और अन्य जलीय जीवों की मौत हो जाती है.
बेहतर संरक्षण के बन रहा मास्टर प्लान: वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉक्टर नेशामणी के. ने बताया कि गंडक नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण घड़ियालों के द्वारा दिये गए अंडे और उनके छोटे बच्चे की बहकर मौत हो जाती है. जिसे देखते हुए उनके अंडे और छोटे बच्चों को बेहतर रखरखाव और संरक्षण के लिए डब्ल्यू टी आई और वन विभाग प्रशासन की ओर से एक मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. जिसमे घड़ियालों के अंडे और छोटे-छोटे बच्चों को निकाल कर सुरक्षित और बेहतर रखरखाव किया जा सकेगा. जहां से घड़ियालों को बड़ा होने के बाद गंडक नदी में छोड़ जा सकेगा.
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