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डेढ़ दशक बाद सोनपुर मेले में फिर लगा Bioscope Show, देखने के लिए उमड़ी युवाओं का हुजूम - विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला

सोनपुर मेले में बाइस्कोप (Bioscope in Sonepur Mela) कौतूहल का विषय बना हुआ है. लगभग डेढ़ दशक बाद अचानक बाइस्कोप को देखने के लिए युवाओं की भीड़ लग गई है. मेला घूमने आए युवा बाइस्कोप को लेकर काफी आकर्षित हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

सोनपुर मेले में बाइस्कोप
सोनपुर मेले में बाइस्कोप
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Published : Dec 4, 2022, 9:23 AM IST

सोनपुर: विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले में बाइस्कोप (World Famour Sonepur Mela) आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. खास तौर से युवा बाइस्कोप के दीवाने नजर आ रहे हैं. लगभग डेढ़ दशक बाद मेले में अचानक बाइस्कोप दिख जाने से लोगों को अपने बचपन की याद ताजा होती हुई दिख रही है. कई युवा बता रहे हैं कि 20 साल पहले उनके गांव में बूढ़े बाबा आते थे जो बाइस्कोप दिखाया करते थे. जिसके बाद वह आज सोनपुर मेला में बाइस्कोप देख रहे हैं. वहीं कुछ युवाओं का कहना है कि इसमें पूरे बिहार के बारे में बताया गया है.

पढ़ें-सोनपुर मेला का रेल ग्राम हर तबके के लोगों को लुभा रहा, यहां मिल रही रेल से जुड़ी तमाम जानकारियां


बाइस्कोप के दीवाने युवा: युवाओं का कहना है कि सभी लोग मोबाइल पर सब कुछ देखते हैं. यह एक यूनिक चीज है जो बचपन की यादें ताजा कर रही हैं. हम लोग बचपन में देखा करते थे आज इसको देख कर बहुत अच्छा लगा है. दूसरी ओर बाइस्कोप का संचालन कर रहे अमृत कुमार ने बताया कि बाइस्कोप विलुप्त होने के कगार पर है. हम लोगों ने कर्नाटक से इसको बनवाया है और हमें खुशी है कि मेला में इसको युवा पसंद कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य ऐतिहासिक धरोहर को बचाना है जिस में सफलता मिल रही है. इसलिए हम लोग बेहद खुश हैं. अमृत कुमार बताते हैं कि बाइस्कोप का मशीन आज से लगभग 600 साल पुरानी है. यूरोप और इंग्लैंड में इसका अविष्कार हुआ था और भारत में सर्वप्रथम कोलकाता में मशीन आई थी.


"इसमें पूरे बिहार के बारे में दिए हुए हैं. राजगीर, नालंदा वगैरा के बारे में दिए हुए. राजभवन के बारे में बताया गया है. इसको पहले बचपन में देखे थे आज इस पर मेला देखने आए हैं तो दिखा है. बचपन की यादें ताजा हो गई इसीलिए देखे तो देखने बैठ गए. इसको देख कर बहुत अच्छा लगा." - प्रिंस कुमार

"यह बहुत यूनिक चीज है इसे बाइस्कोप कहते हैं लोग तो मोबाइल पर सब कुछ देखते हैं यह एक यूनिक चीज है. बचपन की यादें हैं हम लोग बचपन में देखा करते हैं आज इसको देख कर बहुत अच्छा लगा. बचपन याद आगया 20 वर्षों के बाद यह देखने को मिला है. अपने गांव में बूढ़े बाबा लोग आते थे इसको दिखाते थे." - विकास कुमार


"यह मशीन लगभग आज से 600 साल पुरानी मशीन है जो यूरोप और इंग्लैंड में इसका आविष्कार हुआ था और भारत में सर्वप्रथम कोलकाता में यह मशीन आया था और कोलकाता से भारत के विभिन्न प्रांतों में इसका विस्तार हुआ और फिर भारत के हर राज्य में आया एक समय ऐसा था. एक जमाने में यह अपने आप का बादशाह था जब मेला में लगता था तो मेला इस पर ही फोकस होता था. इसके बिना मेला अधूरा होता था. जैसे टावर झूला लगता है मौत का कुंआ लगता है वैसे ही एक समय था जब बाइस्कोप मेले के आकर्षण का केंद्र होता था यह हमारे दादा परदादा बताते हैं पिता बताते हैं. मशीन कर्नाटका से बनवाकर मंगवाया है. लॉकडाउन के समय जब रामायण दे रहा था हम लोगों ने सोचा कि रामायण जब इतना पुरानी धारावाहिक फिर से स्टार्ट किया गया तो लोग इतने चाव से देख रहे हैं तो बाइस कोप जो भारत का धरोहर है यह लगभग लगभग बिलुप्त होनर के कगार पर है. अगर इसे फिर से लांच किया जाए तो निश्चित रूप से चलेगा. इसका रिस्पांस बहुत अच्छा है आज के जो नए जमाने की युवा पीढ़ी हैं उनमे इसको लेकर अलग कौतूहल देखने को मिलता है दूर से देख कर आते हैं. आमदनी ठीक-ठाक है सबसे बड़ी बात यह है कि हम लोग जो सोच कर लाए थे हम लोगों को दिखाएं. मैने हमारे ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का प्रयास किया है. वह प्रयास सफल हो जाए इसलिए हम लोग खुश हैं."- अमृत कुमार, पटना

पढ़ें-गजब..! ड्राई फ्रूट खाता है सोनपुर मेला पहुंचा ये 'डांसर बाहुबली', पैर में घुंघरू बांधते ही दौड़ने लगता

सोनपुर: विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले में बाइस्कोप (World Famour Sonepur Mela) आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. खास तौर से युवा बाइस्कोप के दीवाने नजर आ रहे हैं. लगभग डेढ़ दशक बाद मेले में अचानक बाइस्कोप दिख जाने से लोगों को अपने बचपन की याद ताजा होती हुई दिख रही है. कई युवा बता रहे हैं कि 20 साल पहले उनके गांव में बूढ़े बाबा आते थे जो बाइस्कोप दिखाया करते थे. जिसके बाद वह आज सोनपुर मेला में बाइस्कोप देख रहे हैं. वहीं कुछ युवाओं का कहना है कि इसमें पूरे बिहार के बारे में बताया गया है.

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बाइस्कोप के दीवाने युवा: युवाओं का कहना है कि सभी लोग मोबाइल पर सब कुछ देखते हैं. यह एक यूनिक चीज है जो बचपन की यादें ताजा कर रही हैं. हम लोग बचपन में देखा करते थे आज इसको देख कर बहुत अच्छा लगा है. दूसरी ओर बाइस्कोप का संचालन कर रहे अमृत कुमार ने बताया कि बाइस्कोप विलुप्त होने के कगार पर है. हम लोगों ने कर्नाटक से इसको बनवाया है और हमें खुशी है कि मेला में इसको युवा पसंद कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य ऐतिहासिक धरोहर को बचाना है जिस में सफलता मिल रही है. इसलिए हम लोग बेहद खुश हैं. अमृत कुमार बताते हैं कि बाइस्कोप का मशीन आज से लगभग 600 साल पुरानी है. यूरोप और इंग्लैंड में इसका अविष्कार हुआ था और भारत में सर्वप्रथम कोलकाता में मशीन आई थी.


"इसमें पूरे बिहार के बारे में दिए हुए हैं. राजगीर, नालंदा वगैरा के बारे में दिए हुए. राजभवन के बारे में बताया गया है. इसको पहले बचपन में देखे थे आज इस पर मेला देखने आए हैं तो दिखा है. बचपन की यादें ताजा हो गई इसीलिए देखे तो देखने बैठ गए. इसको देख कर बहुत अच्छा लगा." - प्रिंस कुमार

"यह बहुत यूनिक चीज है इसे बाइस्कोप कहते हैं लोग तो मोबाइल पर सब कुछ देखते हैं यह एक यूनिक चीज है. बचपन की यादें हैं हम लोग बचपन में देखा करते हैं आज इसको देख कर बहुत अच्छा लगा. बचपन याद आगया 20 वर्षों के बाद यह देखने को मिला है. अपने गांव में बूढ़े बाबा लोग आते थे इसको दिखाते थे." - विकास कुमार


"यह मशीन लगभग आज से 600 साल पुरानी मशीन है जो यूरोप और इंग्लैंड में इसका आविष्कार हुआ था और भारत में सर्वप्रथम कोलकाता में यह मशीन आया था और कोलकाता से भारत के विभिन्न प्रांतों में इसका विस्तार हुआ और फिर भारत के हर राज्य में आया एक समय ऐसा था. एक जमाने में यह अपने आप का बादशाह था जब मेला में लगता था तो मेला इस पर ही फोकस होता था. इसके बिना मेला अधूरा होता था. जैसे टावर झूला लगता है मौत का कुंआ लगता है वैसे ही एक समय था जब बाइस्कोप मेले के आकर्षण का केंद्र होता था यह हमारे दादा परदादा बताते हैं पिता बताते हैं. मशीन कर्नाटका से बनवाकर मंगवाया है. लॉकडाउन के समय जब रामायण दे रहा था हम लोगों ने सोचा कि रामायण जब इतना पुरानी धारावाहिक फिर से स्टार्ट किया गया तो लोग इतने चाव से देख रहे हैं तो बाइस कोप जो भारत का धरोहर है यह लगभग लगभग बिलुप्त होनर के कगार पर है. अगर इसे फिर से लांच किया जाए तो निश्चित रूप से चलेगा. इसका रिस्पांस बहुत अच्छा है आज के जो नए जमाने की युवा पीढ़ी हैं उनमे इसको लेकर अलग कौतूहल देखने को मिलता है दूर से देख कर आते हैं. आमदनी ठीक-ठाक है सबसे बड़ी बात यह है कि हम लोग जो सोच कर लाए थे हम लोगों को दिखाएं. मैने हमारे ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का प्रयास किया है. वह प्रयास सफल हो जाए इसलिए हम लोग खुश हैं."- अमृत कुमार, पटना

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