वैशाली: गलवान घाटी में शहीद हुए जय किशोर के पिता को वैशाली पुलिस ने गिरफ्तार किया है. उनके साथ बदतमीजी करने और पिटाई करने का भी आरोप लगा है. इस घटना से स्थानीय लोग आक्रोशित हैं. आरोप है कि पुलिस द्वारा शहीद के पिता की गिरफ्तारी के बाद पिटाई भी की गयी. इस घटना से गुस्साए लोग शहीद के स्मारक के पास जमा हो गए और पुलिस प्रशासन के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया.
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क्या है मामलाः शहीद जय किशोर की याद में बने स्मारक को लेकर जमीन का विवाद चल रहा है. आरोप है कि स्मारक सरकारी जमीन पर बनाई गई है. इसे लेकर गांव के ही दलित वर्ग के लोगों ने शहीद के पिता राज कपूर सिंह पर जबरन स्मारक बना कर उनके रोड को कब्जा करने का आरोप लगाया. साथ में गाली गलौज करने का मुकदमा भी दर्ज कराया था. महुआ एसडीपीओ पूनम केसरी ने बताया कि जमीन अतिक्रमण कर स्मारक बनाया गया था. जिससे दूसरी पार्टी का रास्ता अवरुद्ध हो गया था. इसी मामले में शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई की गई है.
पुलिस की कार्यशैली पर आक्रोशः लोगों की मानें तो जंदाहा के थाना अध्यक्ष विश्वनाथ राम शहीद के पिता को किसी वांटेड की तरह गिरफ्तार करने रात के अंधेरे में थाने की पूरी टीम लेकर पुहंचे थे. गिरफ्तारी के बाद आनन-फानन में शहीद के पिता को विभिन्न धाराओं में जेल भेज दिया गया है. घटना की सूचना मिलते हैं जिलेभर से लोग स्मारक स्थल पर पहुंचे. गिरफ्तारी का पुरजोर विरोध किया. लोगों में इस बात को आक्रोश था कि शहीद के पिता का अपमान किया गया. जिनके पुत्र ने देश के लिए जान दे दी उनके पिता को आतंकवादी की तरह खींच कर ले जाया गया.
"डीएसपी मैम आई थीं और बोली थीं कि यहां से स्मारक हटा लीजिए 15 दिनों का टाइम देती हूं. हम बोले कि ठीक है हमारे पास जो डॉक्यूमेंट है वह लेकर हम आपको दिखाएंगे. इसी बीच रात में थाना प्रभारी तीन चार गाड़ी से आए और पिताजी को यहां से अरेस्ट कर लिए, पीटते हुए ले गए. ले जाने के क्रम में गाली भी दी फिर थाना पर ले जाकर मारे हैं" - नंदकिशोर, शहीद के भाई
"जंदाहा थाना एक केस हुआ था. हरीनाथ राम की जमीन पर शहीद का स्मारक बनाया था. जमीन को कवर करते हुए पूरे क्षेत्र को अतिक्रमण किया हुआ था और दुर्व्यवहार भी किया था. यह जो जमीन है वह कंपलीटली रास्ता है, जो बिहार सरकार की जमीन है. उसके अगल बगल में दोनों पक्षों का जमीन है. रास्ते को अवरुद्ध करके स्मारक बनाया गया है जिस वजह से केस हुआ है" - पूनम केसरी, महुआ एसडीपीओ.