ETV Bharat / state

वैशालीः मकर-संक्रांति को लेकर बाजारों में सजी तिलकुट की दुकानें - मकर-संक्रांति को लेकर बाजारों में दर्जनों तिलकुट की दुकानें सजी

हाजीपुर के एक दुकानदार का कहना है कि पारंपरिक कारीगरों के साथ-साथ कुछ वर्षों से औरंगाबाद, गया, पटना के गुलजारबाग जैसे शहरों से कुशल कारीगरों को एक महीने के लिये बुक किया जाता है. प्रत्येक कारीगर को प्रतिदिन 400 से 500 रुपये तिलकुट बनाने के एवज में दिया जाता है.

hajipur
hajipur
author img

By

Published : Jan 5, 2020, 8:32 AM IST

वैशालीः प्रदेश में इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 14 और 15 जनवरी दोनों दिन मनाया जाएगा. इसको लेकर वैशाली जिले के हाजीपुर प्रखंड के सभी चौक-चौराहे अभी से ही तिलकुट और चुड़े से सज गया है.

vaishali
तिलकुट की दुकान

मकर संक्रांति का त्योहार
हिंदुओं का प्रसिद्ध पर्व मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है. इस दिन खरमास खत्म होने के साथ ही लोग गंगा में स्नान कर सूर्य देवता को काला तिल, चावल, तिलकुट, पैसा, हरी-साग सब्जी, चूड़ा और गुड़ दिखाकर स्पर्श करते हैं. इसके बाद उसे ब्राह्मण को दान करते हैं. ऐसा करना शुभ माना जाता है. इसके बाद लोग पारंपरिक चूड़ा-दही और गुड़ खाते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

ये भी पढ़ेः कटिहारः घायल अवस्था में बरामद हुआ दुर्लभ पक्षी

हाजीपुर बाजार तिलकुट, चावल और चूड़ा से सजा
हाजीपुर के एक दुकानदार का कहना है कि पारंपरिक कारीगरों के साथ-साथ कुछ वर्षों से औरंगाबाद, गया, पटना के गुलजारबाग जैसे शहरों से कुशल कारीगरों को एक महीने के लिये बुक किया जाता है. प्रत्येक कारीगर को प्रतिदिन 400 से 500 रुपये तिलकुट बनाने के एवज में दिया जाता है. वहीं, ग्राहकों का कहना है कि तिलकुट की कीमतों में बहुत वृद्धि हुई हैं, लेकिन उन्हें बाहर का स्वाद यहीं मिल जाता है. दाम बढ़ा है तो कोई दिक्कत नहीं है, सामान तो अच्छा है.

वैशालीः प्रदेश में इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 14 और 15 जनवरी दोनों दिन मनाया जाएगा. इसको लेकर वैशाली जिले के हाजीपुर प्रखंड के सभी चौक-चौराहे अभी से ही तिलकुट और चुड़े से सज गया है.

vaishali
तिलकुट की दुकान

मकर संक्रांति का त्योहार
हिंदुओं का प्रसिद्ध पर्व मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है. इस दिन खरमास खत्म होने के साथ ही लोग गंगा में स्नान कर सूर्य देवता को काला तिल, चावल, तिलकुट, पैसा, हरी-साग सब्जी, चूड़ा और गुड़ दिखाकर स्पर्श करते हैं. इसके बाद उसे ब्राह्मण को दान करते हैं. ऐसा करना शुभ माना जाता है. इसके बाद लोग पारंपरिक चूड़ा-दही और गुड़ खाते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

ये भी पढ़ेः कटिहारः घायल अवस्था में बरामद हुआ दुर्लभ पक्षी

हाजीपुर बाजार तिलकुट, चावल और चूड़ा से सजा
हाजीपुर के एक दुकानदार का कहना है कि पारंपरिक कारीगरों के साथ-साथ कुछ वर्षों से औरंगाबाद, गया, पटना के गुलजारबाग जैसे शहरों से कुशल कारीगरों को एक महीने के लिये बुक किया जाता है. प्रत्येक कारीगर को प्रतिदिन 400 से 500 रुपये तिलकुट बनाने के एवज में दिया जाता है. वहीं, ग्राहकों का कहना है कि तिलकुट की कीमतों में बहुत वृद्धि हुई हैं, लेकिन उन्हें बाहर का स्वाद यहीं मिल जाता है. दाम बढ़ा है तो कोई दिक्कत नहीं है, सामान तो अच्छा है.

Intro:लोकेशन: वैशाली ।
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा ।

: प्रदेश में इस बार मकर सक्रांति त्यौहार 14, 15 जनवरी को हैं। पर वैशाली जिला के सभी क्षेत्रों के चौक- चौराहों, बाजारों में अभी से ही तिलकुल की दर्जनों दुकानें सज चुकी हैं। खरीदारी भी खूब हो रहीं हैं।


Body: : प्रदेश में इस बार मकर- सक्रांति 14, 15 जनवरी को हैं। पर वैशाली जिला के हाजीपुर प्रखण्ड क्षेत्र के सभी चौक- चौराहों से लेकर बाजारों में अभी से ही तिलकुट, चावल, चूड़ा का बना हुआ लाई धोन्धा से पटा पड़ा हुआ हैं।

: यहां बदलते परिवेश के साथ ही दुकानदारी की ट्रेंड में भी कमोवेश बदलाव देखा जा रहा हैं। हाजीपुर के एक दुकानदार की मानें तो पारंपरिक कारीगरों के साथ- साथ कुछ वर्षो से औरंगाबाद, गया, पटना के गुलजारबाग जैसे शहरों से कुशल कारीगरों को एक महीनें के लिये बुक किया जाता हैं । प्रत्येक कारीगर को प्रति दिन 400 से 500 रुपया तिलकुट बनाने के एवज में दिया जाता हैं।

दुकानदारों की मानें यहा तिलकुट साधारण 200 रुपया प्रति किलो से लेकर खोआ 600 रुपया किलो तक कीमत में बिक जाता हैं। यहा इसकी कई वैराइटी भी होती हैं।

ग्राहकों की मानें तो तिलकुट की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई हैं पर उन्हें बाहर के स्वाद यही मिल जाता हैं। ऐसे में बढ़ी कीमत से भी उन्हें कोई गुरेज नहीं हैं।

हिंदुओं का मकर- सक्रांति त्यौहार इसी महीनें के 14 जनवरी से शुरू हो रहा हैं। इस दिन को खरवास खत्म होने के साथ ही लोग गंगा में स्नान कर सूर्य देवता को काला तिल, चावल, तिलकुट, चावल, चूड़ा , पैसा, हरा - साग सब्जी चूड़ा और गुड़, दिखाकर स्पर्श करते हैं । इसके बाद उसे ब्राह्मण को दान करते हैं। इसे ऐसा करना शुभ माना जाता हैं। इसके बाद वे पारंपरिक चूड़ा- दही और गुड़ खाते हैं ।


Conclusion:बहरहाल, आने वाले दिनों में शहर में तिलकुट की दुकानों की संख्या में भारी इजाफा होने वाला हैं ।

स्टोरी रेडी टू अपलोड स्टोरी

OPEN PTC, संवाददाता, राजीव, वैशाली ।

01 .VO..
बाइट: विभा, महिला ग्राहक हाजीपुर
02: दुकानदार मनीष हाजीपुर

02.VO..
CLOSE PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.