पटनाः डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू यादव दोषी करार दिए जा चुके हैं. सोमवार को इसपर फैसला आना है. इससे पहले राजद सुप्रीमो के बेटे तेजस्वी यादव ने बड़ा बयान (Tejashwi statement before Verdict on Lalu Yadav) दिया है. तेजस्वी ने कहा कि 1990 के बाद से लालूजी को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. ऐसा लगता है कि आजादी के बाद से देश में और कोई घोटाला हुआ ही नहीं है.
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"आपलोग जान रहे हैं.. 1990 से अब तक देश में और कोई घोटाला अब तक हुआ कहां है? जब से देश को आजादी मिली है. 90 से ही लालूजी को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. सब लोग जान रहे हैं कि षडयंत्र तो है. जब भी लालूजी एक्टिव होते हैं, तब ऐसा काम शुरू हो जाता है."- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार
रविवार को एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने तेजस्वी वैशाली जिले के बिदुपुर पहुंचे थे, जहां उन्होंने यह बयान दिया. तेजस्वी यह बार-बार कहते आ रहे हैं कि लालू प्रसाद यादव को साजिश के तहत फंसाया गया है. उन्होंने इंसाफ मिलने की उम्मीद जताई है.
दरअसल, चारा घोटाले से जुड़ा पांचवां मुकदमा है, जिसमें अदालत ने उन्हें दोषी माना है. इसके पहले चारा घोटाले के चार मुकदमों में अदालत ने लालू प्रसाद यादव को कुल मिलाकर साढ़े 27 साल की सजा दी है, जबकि एक करोड़ रुपए का जुर्माना भी उन्हें भरना पड़ा.
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बहुचर्चित चारा घोटाले केइस पांचवें मामले में रांची के डोरंडा थाने में वर्ष 1996 में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. बाद में सीबीआई ने यह केस टेकओवर कर लिया. मुकदमा संख्या आरसी-47 ए/96में शुरूआत में कुल 170 लोग आरोपी थे. इनमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि सात आरोपियों को सीबीआई ने सरकारी गवाह बना लिया. दो आरोपियों ने अदालत का फैसला आने के पहले ही अपना दोष स्वीकार कर लिया. छह आरोपी आज तक फरार हैं.
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इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में अभियोजन की ओर से कुल 575 लोगों की गवाही कराई गई, जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 25 गवाह पेश किये गये. इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कुल 15 ट्रंक दस्तावेज अदालत में पेश किये थे. पशुपालन विभाग में हुए इस घोटाले में सांढ़, भैस, गाय, बछिया, बकरी और भेड़ आदि पशुओं और उनके लिए चारे की फर्जी तरीके से ट्रांसपोटिर्ंग के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध रूप से निकासी की गयी. जिन गाड़ियों से पशुओं और उनके चारे की ट्रांसपोटिर्ंग का ब्योरा सरकारी दस्तावेज में दर्ज किया था, जांच के दौरान उन्हें फर्जी पाया गया. जिन गाड़ियों से पशुओं को ढोने की बात कही गयी थी, उन गाड़ियों के नंबर स्कूटर, मोपेड, मोटरसाइकिल के निकले.
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चारा घोटाले का ये मामले 1990 से 1996 के बीच के हैं. बिहार के सीएजी (मुख्य लेखा परीक्षक) ने इसकी जानकारी राज्य सरकार को समय-समय पर भेजी थी लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया. सीबीआई ने अदालत में इस आरोप के पक्ष में दस्तावेज पेश किये कि मुख्यमंत्री पर रहे लालू यादव ने पूरे मामले की जानकारी रहते हुए भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. कई साल तक वह खुद ही राज्य के वित्त मंत्री भी थे, और उनकी मंजूरी पर ही फर्जी बिलों के आधारराशि की निकासी की गयी. चारा घोटाले के चार मामलों में सजा होने के चलते राजद सुप्रीमो को आधा दर्जन से भी ज्यादा बार जेल जाना पड़ा. इन सभी मामलों में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली है.
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