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वैशालीः POP से बनी मां सरस्वती की प्रतिमाओं से पटा बाजार, स्थानीय मूर्तिकारों को रोजी का संकट

प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां कम कीमत, हल्के वजन और दिखने में आकर्षक होती हैं. जिस वजह से आम लोग POP से बनी मूर्तियों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. हालांकि ये मूर्तियां पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह होती हैं.

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Published : Jan 9, 2020, 9:59 AM IST

प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी हुई मुर्तियां
प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी हुई मुर्तियां

वैशालीः विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्‍वती की पूजा वसंत पंचमी को यानी आगामी 29 जनवरी को है. ये पूरे प्रदेश समेत जिले में धूमधाम से मनाई जाती है. इस अवसर पर विद्यार्थी, लेखक, कवि, गायक, वादक और साहित्‍यकार मां शारदे की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करते हैं. आस्था के इस पर्व को लेकर जिले में सरस्वती प्रतिमा का काफी अच्छा बाजार है. जिसको लेकर सोनपुर में राजस्थान से दर्जनों की संख्या में शिल्पकार आए हुए हैं. ये सभी लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस से मूर्तियों का निर्माण करते हैं.

100 रुपये से लेकर 2 हजार तक की मूर्तियां
इस बाबत राजस्थान से आए हुए मूर्तिकार मीरा बताती हैं कि वे प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी हुई मूर्तियों को तैयार करती है. उनके यहां 100 रुपये से लेकर 2 हजार तक की मूर्तियां उपलब्ध हैं. सभी प्रतिमाओं को अभी से ही अंतिम रूप दिया जा रहा है. ग्राहक भी अपनी पसंद की प्रतिमाओं को बुक करा रहे हैं.

मीरा , मुर्तिकार राजस्थान
मीरा, मूर्तिकार राजस्थान

'महंगाई ने मुनाफा किया कम'
मूर्तिकार बताती हैं कि वे यहां पर बीते 3 साल से आ रही हैं. पहले काफी अच्छा मुनाफा हो जाता था. लेकिन वर्तमन समय में महंगाई चरम सीमा पर है. मूर्ति बनाने की सामग्रियों के दाम काफी बढ़ गए हैं. ऐसे में उनकी ओर से तय की गई कीमत ग्राहकों को रास नहीं आते हैं. जिस वजह से वे मोल भाव करने को मजबूर हो जाती है. मीरा का कहना है कि दूसरे प्रदेश से आकर यहां जीविकोपार्जन के लिए ये कार्य करना पड़ता है.

पूरी रिपोर्ट

'आकर्षक, मजबूत और कीमत भी कम'
प्रतिमा का आर्डर देने के लिए आए सोनपुर के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि पहले उन्हें मूर्तियों का आर्डर देने के लिए हाजीपुर शहर जाना पड़ता था. लेकिन यहां पर बन रही प्रतिमाओं को देखने के लिए वे आए हुए हैं. ये मूर्तियां आकर्षक और मजबूत होते हैं.

मिट्टी से बनी प्रतिमाओं पर POP भारी
गौरतलब है कि प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां कम कीमत, हल्के वजन और दिखने में आकर्षक होती हैं. जिस वजह से आम लोग POP से बनी मूर्तियों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. हालांकि ये मूर्तियां पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह होती हैं. इन मूर्तियों ने स्थानीय मूर्तिकारों के जीवनयापन पर भी एक संकट पैदा कर दिया है.

वैशालीः विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्‍वती की पूजा वसंत पंचमी को यानी आगामी 29 जनवरी को है. ये पूरे प्रदेश समेत जिले में धूमधाम से मनाई जाती है. इस अवसर पर विद्यार्थी, लेखक, कवि, गायक, वादक और साहित्‍यकार मां शारदे की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करते हैं. आस्था के इस पर्व को लेकर जिले में सरस्वती प्रतिमा का काफी अच्छा बाजार है. जिसको लेकर सोनपुर में राजस्थान से दर्जनों की संख्या में शिल्पकार आए हुए हैं. ये सभी लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस से मूर्तियों का निर्माण करते हैं.

100 रुपये से लेकर 2 हजार तक की मूर्तियां
इस बाबत राजस्थान से आए हुए मूर्तिकार मीरा बताती हैं कि वे प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी हुई मूर्तियों को तैयार करती है. उनके यहां 100 रुपये से लेकर 2 हजार तक की मूर्तियां उपलब्ध हैं. सभी प्रतिमाओं को अभी से ही अंतिम रूप दिया जा रहा है. ग्राहक भी अपनी पसंद की प्रतिमाओं को बुक करा रहे हैं.

मीरा , मुर्तिकार राजस्थान
मीरा, मूर्तिकार राजस्थान

'महंगाई ने मुनाफा किया कम'
मूर्तिकार बताती हैं कि वे यहां पर बीते 3 साल से आ रही हैं. पहले काफी अच्छा मुनाफा हो जाता था. लेकिन वर्तमन समय में महंगाई चरम सीमा पर है. मूर्ति बनाने की सामग्रियों के दाम काफी बढ़ गए हैं. ऐसे में उनकी ओर से तय की गई कीमत ग्राहकों को रास नहीं आते हैं. जिस वजह से वे मोल भाव करने को मजबूर हो जाती है. मीरा का कहना है कि दूसरे प्रदेश से आकर यहां जीविकोपार्जन के लिए ये कार्य करना पड़ता है.

पूरी रिपोर्ट

'आकर्षक, मजबूत और कीमत भी कम'
प्रतिमा का आर्डर देने के लिए आए सोनपुर के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि पहले उन्हें मूर्तियों का आर्डर देने के लिए हाजीपुर शहर जाना पड़ता था. लेकिन यहां पर बन रही प्रतिमाओं को देखने के लिए वे आए हुए हैं. ये मूर्तियां आकर्षक और मजबूत होते हैं.

मिट्टी से बनी प्रतिमाओं पर POP भारी
गौरतलब है कि प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां कम कीमत, हल्के वजन और दिखने में आकर्षक होती हैं. जिस वजह से आम लोग POP से बनी मूर्तियों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. हालांकि ये मूर्तियां पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह होती हैं. इन मूर्तियों ने स्थानीय मूर्तिकारों के जीवनयापन पर भी एक संकट पैदा कर दिया है.

Intro:लोकेशन: वैशाली ।
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा ।

: वसंतपंचमी यानी माँ सरस्वती पूजा 29 जनवरी को हैं। इस को लेकर सोंनपुर में इस बार राजस्थान से आये दर्जनों शिल्पकार द्वारा सैकडों मूर्तियां बनाने का कार्य पूरा कर लिया गया हैं।


Body:: बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की मूर्ति की आराधना होती हैं ।इस दिन पीला वस्त्र पहनना काफी शुभ माना जाता हैं।सोंनपुर में माँ सरस्वती की मूर्ति बनाने वाले कुम्हार से लेकर शिल्पकार अपना काम को अंजाम देने में जुट गए हैं।

तीन वर्षों से राजस्थान से सोंनपुर आकर प्लास्टर ऑफ पेरिस से माँ सरस्वती की मूर्ति से लेकर अनेक देवी - देवता, गुलदस्ता, सुगा जैसे चीजो की मूर्तियां बनाने वाली शिल्पकार मीरा की मानें तो इस बार उसका यह धंधा अच्छा नहीं चल रहा हैं। वजह बताया महंगाई और ठंड ।

मालूम हो कि ग्राहकों को कुम्हारों द्वारा मिट्टी के बनाया गए सरस्वती माँ की मूर्ति की जगह उन्हें प्लास्टर ऑफ पेरिस मिट्टी की बनी हुई मूर्तियां काफी पसंद आ रहीं हैं।

यहां सौ रुपये से लेकर 2000 रुपये की कीमत का प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी हुई माँ सरस्वती की मूर्ति बिकने को तैयार हैं। ग्राहकों द्वारा अभी से मूर्ति को पसंद कर इसे ऑर्डर देना शुरू कर दिया हैं।

सोंनपुर के स्थानीय निवासी मनीष की माने तो राजस्थानी कारीगरों द्वारा मूर्ति काफी फिनिसिंग, मजबूत और पैसा भी मुनासिब होती हैं। जिसके चलते अब उन्हें हाजीपुर शहर नहीं जाना पड़ता हैं।

इन मूर्तिकार कारीगरों की मानें तो महंगाई चरम सीमा पर हैं ।इसके मैटेरियल, रंग, सामग्री की कीमत पहले से ज्यादा बढ़ गई हैं। इसके चलते उनके द्वारा बढ़ाये गए कीमत ग्राहक को पसंद नहीं आता हैं। यही वजह हैं कि अपना एवँ परिवार के जीविकोपार्जन के लिये उन्हें मूर्ति की कीमत को कम करने पर मजबूर होना पड़ता हैं।



Conclusion:बहरहाल, इनका सभी मूर्तियां बिक जाएं यहीं ईश्वर से कामनाएँ करती हैं।

स्टोरी: रेडी टू अपलोड
OPEN PTC, संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
01.VO
बाईट्: मीरा मूर्तिकार, राजस्थान ।
02. VO
बाईट्: ग्राहक मनीष
03.VO
CLOSE PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
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