वैशालीः बिहार के सोनपुर वाले बाबा हरिहर नाथ (Baba Harihar Nath In Sonpur) का होली में खास महत्व है. हर साल सोनपुर में होली के मौके पर लोग पहले बाबा से होली खेलते हैं, उसके बाद घरों में होली मनाई जाती है. यहां होली में 'बाबा हरिहर नाथ, सोनपुर में रंग खेले' गाना काफी फेमस है. यह गाना बिहार ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में भी प्रचलित है. होली के दिन बिहार के साथ-साथ यूपी के लोग भी बाबा हरिहर नाथ मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना करते हैं. इसके बाद ही होली मनाई जाती है.
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होली गाने की परंपराः बिहार सहित देश के कई जगहों पर होली गाने की परंपरा है. बाबा हरिहर नाथ की होली गीत काफी प्रचलित है. इसी गाने से लोगों की होली शुरू होती है. उत्साह के साथ होली गीत गाया जाता है. सोनपुर के बाबा हरिहर नाथ मंदिर में भी होली गीत का आयोजन किया गया. मान्यता है कि बाबा हरिहर नाथ के मंदिर में होली गीत गाने के बाद स्थानीय लोग कहीं और होली गीत गाते हैं. सबसे पहले रंग और गुलाल भी बाबा हरिहरनाथ को ही चढ़ाया जाता है इसके बाद लोग होली खेलते हैं.
एक ही शिला में विष्णु और महादेवः मान्यता है कि बाबा हरिहर नाथ मंदिर स्थित गर्भगृह के एक ही शिला में हरी अर्थात विष्णु और हर अर्थात शिव का वास है. यहां पूजा-अर्चना से भक्ति और मुक्ति दोनों मिलती है. सांसारिक सुखों के साथ परलोक भी सुधर जाता है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग जमा होकर बाबा हरिहर नाथ के प्रांगण में होली का आनंद लेते हैं. प्रांगण में होली गीत चलते रहता है और लोग मंदिर में जलाभिषेक और पूजा-पाठ करते रहते हैं.
14000 वर्ष पुरानी है मंदिरः इस विषय में बाबा हरिहर नाथ मंदिर के पुजारी सदानंद पंडा ने बताया कि बाबा का यह मंदिर 14000 वर्ष पुरानी है. बाबा हरिहर नाथ की स्थापना ब्रह्मा ने की थी. बाबा के नाम से पूरे बिहार व उत्तर प्रदेश में भी 'बाबा हरिहर नाथ सोनपुर में रंग खेले, यह गीत प्रसिद्ध है. श्रद्धालु यहीं से होली खेलने की शुरुआत करते हैं. हरि और हर शिव दोनों को एक ही शिला में स्थापित किया गया है. इसीलिए होली में कीर्तन 5 दिनों तक चलता रहता है. अबीर गुलाल महादेव प्रभु पर चढ़ेगा.
"बाबा का यह मंदिर बहुत पुराना है. 14000 वर्ष पहले बाबा हरिहर नाथ की स्थापना ब्रह्मा ने की थी. श्रद्धालु यहीं से होली खेलने की शुरुआत करते हैं. तब जाकर घर परिवार अपने होली करते हैं. 'बाबा हरिहर नाथ सोनपुर में रंग खेले' यह गाना काफी प्रचलित है, जो बिहार और यूपी में गाया जाता है." -सदानंद पंडा, बाबा हरिहरनाथ मंदिर.