वैशाली: बिहार के सोनपुर में एनआईए और झारखंड पुलिस ने रिटायर्ड बीएसएफ जवान के आवास पर नौ घंटे तक छापेमारी ( Retired BSF Jawan Arun Kumar Singh) की. इस दल में छत्तीसगढ़ और झारखंड की टीमें शामिल थीं. बाद में पटना की टीम को भी शामिल किया गया. छापेमारी के दौरान कई जरूरी कागजात मिले हैं. अरुण सिंह पर नक्सलियों से सांठगांठ का आरोप है. उसकी पहले भी गिरफ्तारी हो चुकी है.
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कागजात के मिलने के बाद दो बैंक कर्मियों को भी बुलाया गया. सूत्रों की मांनें तो एनआईए की टीम के हाथ जरूरी कागजात लगे हैं. जिससे नक्सल गतिविधियों का भी खुलासा हो सकता है. बताया गया कि इसी वर्ष अगस्त महीने में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सल अटैक हुआ था, जिसमें दो दर्जन से ज्यादा जवान शहीद हुए थे. वहीं, 3 दर्जन से अधिक गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. इसी मामले की जांच चल रही है.
टीम जब 9 घंटे तक छापेमारी करके बाहर निकली, तो उनके पास छापेमारी में बरामद कागजात थे. उन्होंने मीडिया को इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी. कई बार पूछने पर एनआईए के डीएसपी ने सिर्फ इतना बताया कि मामला बेहद गोपनीय है. देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. इसलिए कुछ भी नहीं बताया जा सकता है. पुलिस सूत्रों की मानें तो बीएसएफ में नौकरी करते समय अरुण सिंह के तार नक्सलियों से जुड़ गए थे.
छत्तीसगढ़ में बैक टू बैक दो बड़े नक्सली हमले ने देश को हिला कर रख दिया था. 2020 में जहां एक दर्जन से ज्यादा जवान नक्सली हमले में शहीद हुए थे. वहीं 2021 में यह संख्या दोगुनी हो गई. दो दर्जन से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे. जाहिर है ऐसे में एनआईए अपनी जांच में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. यही कारण है कि 9 घंटे घर के हर सदस्य के मोबाइल और कागजात की गंभीरता जांच की गई. साथ में घर के चप्पे-चप्पे को खंगाला गया. भले ही एनआईए ने इस विषय में कुछ नहीं बताया, लेकिन जिस तरह छापेमारी हुई, उससे स्पष्ट है कि मामला काफी गंभीर है.
दरअसल, कुछ दिनों पहले बड़े पैमाने पर नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने की खबर मिली थी. इस मामले की सूचना मिलते ही झारखंड पुलिस ने जांच को आगे बढ़ाया. जांच में पाया गया कि वैशाली जिले के रसूलपुर थाना क्षेत्र के अरुण कुमार की संलिप्तता सामने आई. इसके बाद अरुण कुमार सिंह की गिरफ्तारी हुई. बताया जा रहा है कि अरुण कुमार सिंह ही नक्सलियों को मुख्य रूप से हथियारों सप्लाई करता था. इसके बदले उसे उन्हें मोटी रकम मिलती थी.
बता दें कि बीते 18 नवंबर को झारखंड एटीएस की टीम ने सारण जिले के सोनपुर थाना क्षेत्र के साहपुर से रिटायर्ड बीएसएफ जवान अरुण कुमार सिंह को गिरफ्तार था. एटीएस की टीम ने रिटायर्ड जवान के घर से छापेमारी में करीब एक हजार जिंदा कारतूस जब्त किया था. रिटायर्ड जवान पर नक्सलियों और अपराधियों को गोली और हथियार आपूर्ति करने का आरोप लगाया गया था.
जानकारी के मुताबिक, जम्मू कश्मीर के बेहद संवेदनशील इलाके पुलवामा में तैनात सीआरपीएफ जवान को झारखंड एटीएस की टीम ने हथियारों की तस्करी करते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. इसके बाद अरुण कुमार सिंह का नाम सामने आया था. रांची से सारण आई एटीएस की टीम ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से बीएसएफ के रिटायर्ड जवान अरुण कुमार सिंह को गिरफ्तार किया. एटीएस की टीम के साहपुर गांव में पहुंचते ही वहां हड़कंप मच गया.
इस मामले में सोनपुर पुलिस और एसडीपीओ को भी कोई जानकारी नहीं दी गई थी. जब स्थानीय पुलिस अधिकारियों से इस मामले में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है. हालांकि एटीएस की कार्रवाई के बारे में लोग भी अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं. हालांकि बताया जाता है कि एटीएस की टीम रिटायर्ड बीएसएफ जवान को गिरफ्तार कर अपने साथ रांची ले गई थी.
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