वैशाली: बिहार के हाजीपुर सदर अस्पताल (Hajipur Sadar Hospital) में संवेदनाओं को झकझोर देने वाली तस्वीर दिखाई दी. बीमार पति को गोद में उठाकर एक महिला अस्पताल में चली आ रही थी. राहगीर मदद के लिए बढ़े लेकिन अस्पताल प्रशासन पत्थर की तरह खड़ा था. जहां ये वाकया हो रहा था वहीं पास में ही मीडिया की टीम भी खड़ी थी. मीडिया ने जब महिला से इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि उसे स्ट्रेचर नहीं दिया गया. उसे बताया गया कि उस तरफ स्ट्रेचर नहीं जा सकता. मीडिया कर्मियों को वीडियो बनाता देख अस्पताल के कर्मियों की नींद टूटी और तुरंत ही स्ट्रेचर लेकर दौड़े आए.
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दरअसल, महिला का नाम पार्वती है जो कि लालगंज थाना क्षेत्र से अपने पति शंभू पासवान को लेकर सदर अस्पताल पहुंची थी. ब्रेन टीवी और पैर लकवा ग्रस्त होने के कारण मरीज चल नहीं सकता था. डॉक्टर ने HIV टेस्ट कराने के लिए बोला था. महिला ने अस्पताल से हेल्प मांगी लेकिन अस्पताल की ओर से उसे स्ट्रेचर नहीं दिया गया. थक हारकर महिला अपने पति को गोद में उठाकर चलने लगी. उसे देखकर कुछ लोग मदद के लिए आगे आए. लेकिन अस्पताल कर्मियों का दिल नहीं पसीजा.
मीडिया कर्मियों को वीडियो बनाता देख अस्पताल के कर्मचारी मौके पर पहुंचे और बताने लगे कि उनके हॉस्पिटल में एंबुलेंस है. स्ट्रेचर है, इलाज की सारी सुविधाएं हैं. सवाल यही कि सारी सुविधाएं होते हुए महिला को स्ट्रेचर क्यों नहीं दिया गया? इस विषय में प्रभारी सिविल सर्जन व डीएस डॉ एसके वर्मा ने बताया कि लोग हड़बड़ी में ऐसा कर लेते हैं. जबकि सभी जगहों पर सदर अस्पताल में स्ट्रेचर लगा हुआ है. हड़बड़ाने से अच्छा है कि बात कर स्ट्रेचर ले लेना चाहिए था. वैसे मामला क्या है इसकी जानकारी भी ली जाएगी और जरूरत के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी. अस्पताल प्रशासन पूरी मुस्तैदी से लोगों को हर सुविधा मुहैया करा रहा है.
कुछ लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में दलालों का कब्जा है. चंद लोग बैठकर यहां की व्यस्था खराब करने में लगे हैं. ताकि लोग परेशान होकर निजी अस्पतालों की ओर रुख करें. इन दलालों का इसके लिए कमीशन बंधा है. जरूरत है अस्पताल प्रशासन को ऐसे लोगों की पहचान कर उनपर कार्रवाई करें. स्वास्थ्य का मुद्दा बेहद ही संवेदनशील है. इसपर अस्पताल प्रबंधन को काफी गंभीरता से काम करने की जरूरत है. बिहार सरकार स्वास्थ्य के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करती है. लेकिन बंदरबांट के चलते जरूरतमंदों तक सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं.
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