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हाजीपुर: महज एक डॉक्टर पर है रेल जोनल मुख्यालय के 4 हजार कर्मचारियों के इलाज की जिम्मेदारी - अस्पताल प्रभारी डॉक्टर श्वेता

अस्पताल प्रभारी डॉक्टर श्वेता ने बताया कि रोजाना सैकड़ों की संख्या में मरीज अपना इलाज कराने आते हैं. संसाधन की कमी की वजह से इलाज में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

पॉली क्लिनिक अस्पताल
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Published : Aug 2, 2019, 10:49 AM IST

हाजीपुर: पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय हाजीपुर में कुव्यवस्था का आलम देखने को मिल रहा है. जोनल ऑफिस के पास में बना पॉली क्लिनिक अस्पताल जैसे-तैसे चलाया जा रहा है. यहां सभी विभाग के कर्मचारी मात्र एक डॉक्टर के भरोसे हैं. अस्पताल प्रभारी के कंधों पर लगभग चार हजार कर्मचारियों के इलाज की जिम्मेदारी है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में कई बातें उभर कर सामने आयी. रेलवे कर्मचारी भी विभाग की व्यवस्था से खुश नहीं दिखे. अपना इलाज कराने आये आरपीएफ जवान मुकेश कुमार ने ईटीवी को बताया कि यहां दवाईयों की कमी है. डॉक्टर से दिखाने के बाद बाहर से दवाईयां लेनी पड़ती है.

hajipur
पूर्व मध्य रेल मुख्यालय

मुख्यालय हाजीपुर, सेन्ट्रल हॉस्पीटल पटना में
वहीं, दूसरे स्टाफ ने बताया कि जब रेलवे का मुख्यालय यहां है तो करोड़ों का सेन्ट्रल हॉस्पीटल पटना में बनाने का क्या मतलब है. कुछ भी होने पर पटना जाना पड़ता है. जबकि हाजीपुर में अस्पताल निर्माण के लिए पर्याप्त जमीन थी. उसने बताया कि यह पॉली क्लिनिक अस्पताल रात में बन्द हो जाता है. परिसर के रेलवे क्वार्टर में रहने वाले लोगों की तबीयत खराब होने पर इलाज कैसे होगा. ऐसे में पटना हॉस्पीटल जाते-जाते मरीज के साथ अनहोनी भी हो सकती है.

doctor shweta
अस्पताल प्रभारी डॉक्टर श्वेता

डॉक्टर, जांच मशीन और एम्बुलेंस की कमी
अस्पताल प्रभारी डॉक्टर श्वेता ने बताया कि रोजाना सैकड़ों की संख्या में मरीज अपना इलाज कराने आते हैं. संसाधन की कमी की वजह से इलाज में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि यहां, एक्सरे मशीन, ब्लड (खून) और यूरिन की जांच तुरंत करने की कोई मशीन नहीं है. इसके कारण दवा देने में कन्फ्यूजन की स्थिति रहती है. डॉक्टर ने किट्स की सुविधा नहीं मिलने का भी जिक्र किया. हालांकि डॉक्टर ने इस संबंध में संबंधित विभाग के अधिकारी को पत्र लिखकर निजात दिलाने का आग्रह किया है. यहां तक इस अस्पताल के पास अपना एम्बुलेंस तक नहीं है. परिसर में एक भाड़े का एंबुलेंस है. मरीज की ज्यादा तबीयत खराब होने पर पटना स्थित रेलवे सेंट्रल अस्पताल में रेफर किया जाता है.

पॉली क्लिनिक अस्पताल पर ग्राउंड रिपोर्ट

20 साल बाद भी नहीं सुधरे हालात
गौरतलब है कि हाजीपुर मुख्यालय से महज 500 मीटर की दूरी पर रेलवे का जोनल कार्यालय है. यहां लगभग साढ़े तीन हजार रेलवे कर्मचारी ड्यूटी करते हैं. कार्यालय के अलावा 500 से ज्यादा रेलवे स्टाफ अपने परिवार के साथ रहते हैं. 20 साल बीत जाने के बाद भी यहां एक पॉली क्लिनिक अस्पताल है. जिसमें डॉक्टर और संसाधन की भारी कमी है. बहरहाल, यहां पॉली क्लिनिक अस्पताल में विस्तार के लिए रेलवे के कर्मचारी से लेकर ऑफिसरों ने दबी जुबान से अपनी मांग दोहराई है.

हाजीपुर: पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय हाजीपुर में कुव्यवस्था का आलम देखने को मिल रहा है. जोनल ऑफिस के पास में बना पॉली क्लिनिक अस्पताल जैसे-तैसे चलाया जा रहा है. यहां सभी विभाग के कर्मचारी मात्र एक डॉक्टर के भरोसे हैं. अस्पताल प्रभारी के कंधों पर लगभग चार हजार कर्मचारियों के इलाज की जिम्मेदारी है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में कई बातें उभर कर सामने आयी. रेलवे कर्मचारी भी विभाग की व्यवस्था से खुश नहीं दिखे. अपना इलाज कराने आये आरपीएफ जवान मुकेश कुमार ने ईटीवी को बताया कि यहां दवाईयों की कमी है. डॉक्टर से दिखाने के बाद बाहर से दवाईयां लेनी पड़ती है.

hajipur
पूर्व मध्य रेल मुख्यालय

मुख्यालय हाजीपुर, सेन्ट्रल हॉस्पीटल पटना में
वहीं, दूसरे स्टाफ ने बताया कि जब रेलवे का मुख्यालय यहां है तो करोड़ों का सेन्ट्रल हॉस्पीटल पटना में बनाने का क्या मतलब है. कुछ भी होने पर पटना जाना पड़ता है. जबकि हाजीपुर में अस्पताल निर्माण के लिए पर्याप्त जमीन थी. उसने बताया कि यह पॉली क्लिनिक अस्पताल रात में बन्द हो जाता है. परिसर के रेलवे क्वार्टर में रहने वाले लोगों की तबीयत खराब होने पर इलाज कैसे होगा. ऐसे में पटना हॉस्पीटल जाते-जाते मरीज के साथ अनहोनी भी हो सकती है.

doctor shweta
अस्पताल प्रभारी डॉक्टर श्वेता

डॉक्टर, जांच मशीन और एम्बुलेंस की कमी
अस्पताल प्रभारी डॉक्टर श्वेता ने बताया कि रोजाना सैकड़ों की संख्या में मरीज अपना इलाज कराने आते हैं. संसाधन की कमी की वजह से इलाज में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि यहां, एक्सरे मशीन, ब्लड (खून) और यूरिन की जांच तुरंत करने की कोई मशीन नहीं है. इसके कारण दवा देने में कन्फ्यूजन की स्थिति रहती है. डॉक्टर ने किट्स की सुविधा नहीं मिलने का भी जिक्र किया. हालांकि डॉक्टर ने इस संबंध में संबंधित विभाग के अधिकारी को पत्र लिखकर निजात दिलाने का आग्रह किया है. यहां तक इस अस्पताल के पास अपना एम्बुलेंस तक नहीं है. परिसर में एक भाड़े का एंबुलेंस है. मरीज की ज्यादा तबीयत खराब होने पर पटना स्थित रेलवे सेंट्रल अस्पताल में रेफर किया जाता है.

पॉली क्लिनिक अस्पताल पर ग्राउंड रिपोर्ट

20 साल बाद भी नहीं सुधरे हालात
गौरतलब है कि हाजीपुर मुख्यालय से महज 500 मीटर की दूरी पर रेलवे का जोनल कार्यालय है. यहां लगभग साढ़े तीन हजार रेलवे कर्मचारी ड्यूटी करते हैं. कार्यालय के अलावा 500 से ज्यादा रेलवे स्टाफ अपने परिवार के साथ रहते हैं. 20 साल बीत जाने के बाद भी यहां एक पॉली क्लिनिक अस्पताल है. जिसमें डॉक्टर और संसाधन की भारी कमी है. बहरहाल, यहां पॉली क्लिनिक अस्पताल में विस्तार के लिए रेलवे के कर्मचारी से लेकर ऑफिसरों ने दबी जुबान से अपनी मांग दोहराई है.

Intro:लोकेशन: वैशाली
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा

:- वैशाली जिले के हाजीपुर मुख्यालय क्षेत्र में स्थित रेलवे जोनल ऑफिस के पास में बने पॉली क्लिनिक अस्पताल में मात्र एक डॉक्टर के कंधे पर रेलवे विभाग के लगभग चार हजार कर्मचारियों की इलाज की जिम्मेवारियां हैं। यहा मामूली खून, यूरिन की जांच करने के लिये मशीन तक नही हैं न ही यहा एक्सरे की मशीन से लेकर कई जरुरी उपचार के लिय किट्स नही हैं ।


Body:हाजीपुर के रेलवे जोनल कार्यालय के पास में रेलवे कॉलोनी के परिसर में पॉली क्लिनिक अस्पताल हैं जो आजकल कुव्यवस्था की शिकार हैं ।यहा एक मात्र डॉक्टर तैनात किया गया है जिसपर रेलवे के 4 हजार कर्मचारियों की इलाज की जिम्मेवारियां हैं। यहा जरूरत के दवाइयां से लेकर छोटी मोटी मशीन तक नहीं हैं ।यहा तैनात डॉक्टर स्वेता ने बताया कि यहा रेलवे के कर्मचारी रोजाना सैकड़ो की संख्या में अपनी इलाज के लिये आते हैं पर संसाधन की भारी कमी होने के चलते उनकी इलाज में परेशानी होती हैं ।उंसने आगें बताया कि यहा सड़क दुर्घटना में कोई इलाज के लिये आता हैं तो एक्सरे की मशीन , ब्लड (खून), यूरिन की जांच तुरंत करने की कोई मशीन नही होने के चलते उसे दवा देने में कन्फ्यूजन बनी रहती हैं। उंसने बताया कि यहा किट्स की भी सुविधा नही होने से मरीज से लेकर डॉक्टर को दिक्कत होती हैं।
डॉक्टर की मानें तो उसने यहा कमियां के लिये संबंधित विभाग के अधिकारी को इसके लिये पत्र लिख कर सभी जरूरत के चीजे दिलाने के लिये आग्रह किया हैं। परिसर में भाड़े पर एक एम्बुलेंस रखा गया हैं । डॉक्टर ने आगे बताया कि मेजर तबियत खराब होने पर पटना के रेलवे सेंट्रल अस्पताल में रेफर करते हैं।

रेलवे के दर्जनों कर्मचारियों से बात करने पर यह भी पता चला कि जब हाजीपुर में रेलवे के जोनल कार्यालय बनाया गया तो फिर यहा से 20 किलोमीटर सेंट्रल अस्पताल बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी , यह समझ मे नही आता हैं। यहा कर्मचारियों में बताया कि करोड़ो की लागत से पटना में रेलवे का अस्पताल बनवा दिया गया और जहा हजारो कर्मचारी, अफसर कार्यरत से लेकर अपने ड्यूटी के बाद परिवार के साथ रहते हैं पर यह पॉली क्लिनिक अस्पताल रात में बन्द हो जाता हैं ।आखिर यहा परिसर के रेलवे क्वाटर में रहने वाले को तबियत ख़राब होने पर इलाज कैसे होंगा पटना जाते जाते मरीज की मौत हो जाएगी ।

हाजीपुर मुख्यालय से महज आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित रेलवे का जोनल कार्यालय हैं । यहा तकरीबन साढ़े तीन हजार रेलवे कर्मचारी ड्यूटी करते हैं। यहा मध्य रेलवे के महाप्रबंधक भी बैठते हैं ।लगभग 20 वर्ष पूर्व जोनल ऑफिस कार्यालय का स्थापना हुए हो गया । इतनी तादाद में रेलवे के कर्मचारी यहा ड्यूटी करते हैं उसके बीच मात्र एक पॉली क्लिनिक अस्पताल जहा डॉक्टरों की कमी के साथ साथ संसाधनों की कमी होना यह दर्शाता हैं कि रेलवे के जिम्मेवार अधिकारी इस बाबत कभी निरीक्षण करने की जरूरत नही समझे ।

रेलवे का जोनल कार्यालय के अलावे रेलवे के कर्मचारियों के लिये एक सौ से ज्यादा रेलवे क्वाटर्स बने हुए हैं ।यहा लगभग 500 से ज्यादा रेलवे स्टाफ अपनी परिवार के साथ रहते हैं ।


Conclusion:बहरहाल, यहा पॉली क्लिनिक अस्पताल में विस्तार के लिये यहा के रेलवे के कर्मचारी से लेकर ऑफिसरों ने दबी जुबान से अपनी मांग दोहराई हैं।

VO:
बाइट : स्टाफ
बाइट: डॉक्टर
PTC: संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
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