वैशालीः एशिया का सबसे बड़ा सोनपुर का हरिहरन क्षेत्र मेला ( Asia Famous Sonepur fair ) औपचारिक रूप से इस बार नहीं लग रहा है. यह पशु मेले के रूप में भी विख्यात है. कोविड के कारण सोनपुर मेले पर प्रतिबंध है. राज्य सरकार की ओर से पाबंदी लगी हुई है. इसके बावजूद स्थानीय लोगों के प्रयास इस बार सोनपुर मेला धीरे धीरे गुलजार हो रहा है. लेकिन मेले में इस बार पशु नहीं दिख रहे हैं. पशु बाजार नहीं होने से लोग निराश हैं.
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मेला घूमने वाले लोगों को मेले में आना अच्छा तो लग रहा है. लेकिन ज्यादातर लोग मेले में हाथी, घोड़ा, ऊंट, गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि को काफी मिस कर रहे हैं. सोनपुर मेला घूमने आने वालों की पहली पसंद हाथी बाजार, घोड़ा बाजार और गाय बाजार होता है. इसको घूमने के बाद लोग मेले में खाते पीते हैं. झूले का आनंद लेने के बाद फिर सामानों की खरीदारी घर वापस लौट जाते हैं.
लोगों के अनुसार, जिस तरह सरकारी रोके के बाद भी धीरे धीरे सोनपुर मेला लगना शुरू हो गया है. चंद दिनों में पशुओं को भी मेले में लाया जाएगा. बताते चलें कि हर वर्ष सोनपुर मेला कार्तिक पूर्णिमा स्नान के बाद लगता लगता है. लाखों की संख्या में लोग सोनपुर मेला घूमने आते थे. सोनपुर मेले में करोड़ों का कारोबार होता था. सोनपुर मेले में हर प्रकार के लोगों का आना होता था.
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मेले में घरेलू सामान खरीदने, ऊनी वस्त्र खरीदने, जादू देखने और देर रात तक थिएटर में नृत्य देखने वाले आदि के कारण मेले में लोगों की भीड़ होती थी. 1 महीने तक सरकारी स्तर पर इस मेले को चलाया जाता था, लेकिन निजी तौर पर मेले की दुकानें 2 महीने से ज्यादा मौजूद रहती थी. लकड़ी बाजार भी लंबे समय तक बना रहता था.
मेला घूमने आ रहे लोगों में मेले को लेकर उत्साह तो है वहीं छोटे स्वरूप में दिख रहे मेले से संतुष्टि भी हो रही है. आसपास के इलाकों से लोग मेला घूमने आ रहे हैं. मेले में काफी संख्या में दुकानें तो खुल ही हैं. यहां बच्चों के लिए कई प्रकार के झूले के साथ-साथ जंपिंग स्टेज आदि भी लग चुका है. वहीं मेले में इस बार किसी भी प्रकार के प्रशासनिक व्यवस्था नहीं है. दूरदराज से आने वाले लोगों में सुरक्षा को लेकर चिंता हो रही है.
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