वैशाली: सोनपुर प्रखण्ड के गंगा किनारे के सब्बलपुर के चार पंचायतों में रहने वाले हजारों किसानों ने कार्तिक महीनें में खेती की तैयारी करने में जुट गए हैं. किसानों ने ट्रैक्टर, हल, कुदाल और खुरपी लेकर खेतों की जुताई की. बता दें कि कार्तिक महीने में आलू, फूल, पत्ता गोभी, मूली, सभी तरह की साग- सब्जियों की खेती होती है.
किसानों का लाखों का हुआ नुकसान
पिछले दिनों गंगा के जल-स्तर में बढ़ोतरी होने के चलते इनकी लाखों की फसल और हरी सब्जियों का नुकसान हुआ था. इस इलाके में गंगा के बाढ़ का पानी घुस आया था. पानी घटने के बाद इनकी जमीन और उर्वक, उपजाऊ हो गई है. किसान सब कुछ भुलाकर अपनी खेती करने के लिए फिर से जुट गए हैं.
किसान ने की खेतों की सफाई
सोनपुर प्रखण्ड के रहने वाले सैकड़ों किसान अपनी खेतों की सफाई की. फिर ट्रैक्टर, हर, कुदाल से मिट्टी काटकर समतल बनाया. इसके बाद खेतों की जोताई कर आलू, मूली पालक, बथुआ, नोनी, लाल साग की खेती के लिए क्यारियां बनाने में जुटे गए.
'तबाह कर दिया बाढ़ ने'
किसानों ने बाढ़ से अपनी सब्जियों की नुकसान होने पर चिंता जताई. वहीं, एक किसान ने बताया कि पूर्व में मूली और गाजर की खेती की थी. लेकिन, बाढ़ के पानी ने सब कुछ तबाह कर दिया. उन्होंने कहा कि फिर से मूली, गाजर और अन्य सब्जियों की खेती करने में जुटा हूं. किसान ने मीडिया के माध्यम सर सरकार से अपने नुकसान हुए सब्जियों की भरपाई की मांग की.
'नहीं सूखा है बाढ़ का पानी'
गंगा के जल स्तर में बढ़ोतरी होने से यहां के सैकड़ों एकड़ जमीन पर खेती बुरी तरह से प्रभावित हुई थी. इसके अलावा गंगाजल, पहलेजा, राहर दियरा सहित आधे दर्जन से ज्यादा पंचायत चपेट में आए थे. अभी भी कुछ पंचायत में गंगा के बाढ़ का पानी पूरी तरह से नहीं सूखा है.
'बाढ़ के पानी ने मचाई थी तबाही'
2016 में भी इन इलाको में बाढ़ के पानी ने तबाही मचाई थी. उस वक्त सरकार के तरफ से कुछ किसानों को नुकसान की भरपाई हुई थी. जबकि ज्यादातर किसानों को मुवावजा आज तक नहीं मिला है. वहीं, अनुमण्डल के एसडीओ शम्भूशरण पांडेय ने इस दौरान बताया कि उन्होंने इसके लिए संबंधित विभाग के अधिकारी को सूचना दी है.