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वैशालीः नहीं मिल पा रही किसानों को सरकारी मदद, 'चुनावी बजट' से भी निराश

किसानों ने बताया कि सरकार ने सब्बलपुर के चारों पंचायतों में सिंचाई के लिये कोई व्यवस्था नहीं की है, कई बार कृषि विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाई गई, पर स्थिति जस की तस बनीं हुई है.

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किसान परेशान
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Published : Feb 27, 2020, 12:17 PM IST

वैशालीः सोनपुर के कुल 23 पंचायतों में से ज्यादातर पंचायतों में खेती के लिये सरकार की तरफ से की गई व्यवस्था नहीं के बराबर है. विपक्षी पार्टियों के बाद अब सोनपुर के सैकड़ों किसानों ने भी सरकार के बजट को महज चुनावी बजट करार दिया है.

ईटीवी भारत ने प्रखण्ड के सब्बलपुर के चार पंचायतों में जाकर पड़ताल की. जहां सिंचाई के लिये न तो सरकारी बोरिंग चालू स्थिति में है और न ही उनके क्षेत्रों में नहर और बिजली ही पहुंची है.

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हस्ती टोला

बजट से किसानों में छाई नाराजगी
पिछले कई सालों से प्रदेश की सरकार किसानों के हित की बात करती आ रही है. लेकिन यहां के किसानों की मानें तो किसान सिंचाई के लिये खुद से लाखों रुपये खर्च कर अपने और अपने परिवार की आजीविका के लिये खेती करने पर मजबूर हैं. एक किसान ने बताया कि सरकार ने सब्बलपुर के चारों पंचायतों में सिंचाई के लिये कोई व्यवस्था नहीं की है. क्षेत्र में सभी सरकारी बोरिंग खस्ता हालत में बंद पड़े हुए हैं. इसको लेकर कई बार कृषि विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई, लेकिन स्थिति जस की तस बनीं हुई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः 'बेरोजगारी हटाओ यात्रा' को लेकर गया पहुंचे तेजस्वी, करेंगे चुनावी शंखनाद

सरकार की कथनी और करनी में है फर्क
जब इस मामले में कृषि विभाग के एसएमएस से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि प्रखण्ड के ज्यादातर पंचायतों में किसानों के खेतों में 25% बिजली पहुंचायी जा चुकी है. उन्हें अनुदान भी समय पर मिलता है, लेकिन कुछ किसानों की बातों से यह साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है.

वैशालीः सोनपुर के कुल 23 पंचायतों में से ज्यादातर पंचायतों में खेती के लिये सरकार की तरफ से की गई व्यवस्था नहीं के बराबर है. विपक्षी पार्टियों के बाद अब सोनपुर के सैकड़ों किसानों ने भी सरकार के बजट को महज चुनावी बजट करार दिया है.

ईटीवी भारत ने प्रखण्ड के सब्बलपुर के चार पंचायतों में जाकर पड़ताल की. जहां सिंचाई के लिये न तो सरकारी बोरिंग चालू स्थिति में है और न ही उनके क्षेत्रों में नहर और बिजली ही पहुंची है.

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बजट से किसानों में छाई नाराजगी
पिछले कई सालों से प्रदेश की सरकार किसानों के हित की बात करती आ रही है. लेकिन यहां के किसानों की मानें तो किसान सिंचाई के लिये खुद से लाखों रुपये खर्च कर अपने और अपने परिवार की आजीविका के लिये खेती करने पर मजबूर हैं. एक किसान ने बताया कि सरकार ने सब्बलपुर के चारों पंचायतों में सिंचाई के लिये कोई व्यवस्था नहीं की है. क्षेत्र में सभी सरकारी बोरिंग खस्ता हालत में बंद पड़े हुए हैं. इसको लेकर कई बार कृषि विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई, लेकिन स्थिति जस की तस बनीं हुई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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सरकार की कथनी और करनी में है फर्क
जब इस मामले में कृषि विभाग के एसएमएस से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि प्रखण्ड के ज्यादातर पंचायतों में किसानों के खेतों में 25% बिजली पहुंचायी जा चुकी है. उन्हें अनुदान भी समय पर मिलता है, लेकिन कुछ किसानों की बातों से यह साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है.

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