वैशाली: बिहार में लगातार नाव हादसे हो रहे हैं, जिससे लोग नाव से आवागमन करने में डर भी रहे हैं. इसी बीच वैशाली जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां नाव से आवागमन करने के डर से एक एंबुलेंस चालक ने दवा खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई, उसे आनन-फानन में इलाज के महनार रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से बेहतर इलाज के लिए हाजीपुर सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया.
क्या है पूरा मामला: दरअसल मामला जिले के महनार थाना क्षेत्र के महनार अनुमंडल अस्पताल का है जहां 102 नंबर एंबुलेंस चालक कुंदन कुमार का ट्रांसफर महनार से बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र राघोपुर कर दिया गया था और राघोपुर आने-जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है. नाव पर चढ़ने के डर से एंबुलेंस चालक ने सुसाइड करने की कोशिश की.
नाव से डूब कर भाई की मौत: बताया गया कि कुंदन कुमार को नाव फोबिया है, 10 साल पहले उसके चचेरे भाई की नाव से डूब कर मौत हो गई थी तब से ये नाव पर चढ़ने से डरता है. नाव पर नहीं चढ़ना पड़े इसके लिए एंबुलेंस चालक ने नींद की 10 गोलियां एक साथ खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था. इधर एंबुलेंस चालक की पत्नी वंदना देवी का आरोप है कि राघोपुर नहीं जाने के लिए संबंधित अधिकारियों ने उनसे 10 हजार रुपए घूस की मांग की गई थी, 5 हजार दे दिया लेकिन बचे रुपए नहीं देने पर राघोपुर भेज दिया गया.
"ये क्या कर लिए हमको बाद में जानकारी हुआ, पैसा भी दे दिए हैं उसके बावजूद ऐसे तंग कर रहा है. 10 हजार रुपए घूस मांगा जिसमें 5 हजार दे चुके हैं, 5 हजार नहीं दिए इसके कारण इनको यह आत्महत्या का प्रयास करना पड़ा और इनका ट्रांसफर कर दिया गया है. कोई दवा खाकर बहुत सीरियस हो गए थे"- वंदना देवी, एम्बुलेंस चालक की पत्नी
एंबुलेंस चालक ने बताई परेशानी: कुंदन कुमार ने बताया कि वह 102 एंबुलेंस चलाता है, महनार हॉस्पिटल से उसे मोहनपुर राघोपुर ट्रांसफर कर दिया. उसने रिक्वेस्ट किया कि वह नाव पर जीवन में कभी नहीं चढ़ा है, उसे जान जाने का डर लगता है, लेकिन अधिकानी नहीं मानें. सबने मिलकर टॉर्चर किया, तब जाकर उसने आत्महत्या की कोशिश की. उसने बताया कि उसने कंप्लेन भी किया था लेकिन किसी ने नहीं सुनी.
"हम 102 एंबुलेंस चलाते हैं, मेरा ट्रांसफर मोहनपुर राघोपुर कर दिया गया, हम रिक्वेस्ट किए कि हम नाव पर जीवन में कभी नहीं चढ़ें हैं, हमको डर लगता है, कभी भी मर सकते हैं. हम बोले हाजीपुर कर दीजिए, भगवानपुर कर दीजिए लेकिन सब मिलकर हमको टॉर्चर कर रहे थे. इसी वजह से हमने नींद वाली दवा एक ही साथ खा ली. मेरा चचेरा भाई था वह नाव से ही डूब कर मर गया था."- कुंदन कुमार, एंबुलेंस चालक.