पटना: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान दोस्ती की कसौटी पर खड़े उतरते हैं. राज्यपाल के रूप में पटना आने के बाद उन्होंने अपने कॉलेज के जमाने के सहयोगी रहे परवेज अहमद को सबसे पहले याद किया. ईटीवी भारत से खास बातचीत में परवेज अहमद ने आरिफ मोहम्मद खान के बारे में कॉलेज के जमाने की बातें साझा की.
परवेज अहमद से रहा 52 वर्षों का साथ: परवेज अहमद आरिफ मोहम्मद खान के साथ अपनी दोस्ती को याद करते हुए कहते हैं कि "मैं इतना काबिल नहीं हूं कि मैं कह सकूं कि मैं उनका दोस्त हूं, लेकिन हां पिछले 52 वर्षों से हर वक्त उनका साथ मिलता रहा है." 52 साल पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उनसे पहली मुलाकात हुई थी. उस समय आरिफ मोहम्मद खान स्टूडेंट लीडर के रूप में फेमस थे. आरिफ उनसे 2 साल सीनियर थे, 1972 से लगातार वह उनके साथ जुड़े हुए हैं. अपनी दोस्ती के बारे में परवेज अहमद बताते हैं कि दोनों लोगों की विचारधारा एक थी इसलिए उनकी आरिफ साहब के साथ बहुत ज्यादा बनने लगी.
हिंदू वोटरों की पसंद बने आरिफ मोहम्मद खान: परवेज अहमद ने बताया कि आरिफ मोहम्मद खान ऐसे मिलनसार व्यक्ति थे कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जहां हिंदू छात्रों की संख्या अल्पसंख्यक के रूप में थी, उसमें वह बहुत पॉपुलर थे. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हिंदू लड़कों की समस्या को लेकर आरिफ मोहम्मद खान ने शुरू से ही उनके हक में आवाज बुलंद की थी. वह भी इसी विचारधारा के थे इसलिए आरिफ मोहम्मद खान के हर पॉलीटिकल एक्टिविटी में वह उनके साथ खड़े रहे. कॉलेज से निकलने के बाद भी उनकी दोस्ती बनी रही.
दोस्तों के दोस्त हैं आरिफ: परवेज अहमद ने बताया कि आरिफ मोहम्मद खान दोस्ती को निभाने वाले बेहतरीन इंसान हैं. जब वह केरल के राज्यपाल थे और परवेज अहमद ने उन्हें फोन किया था, तो राज्यपाल ने उन्हें उनकी फैमिली के साथ खाने पर बुलाया थी. आरिफ मोहम्मद खान के बारे में उन्होंने बताया कि कॉलेज के जमाने के जो भी उनके साथी हैं, सब के साथ आरिफ इसी तरीके से दोस्ती निभा रहे हैं.
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छात्रों की समस्या के लिए करते थे संघर्ष: परवेज अहमद ने बताया कि आरिफ मोहम्मद खान शुरू से ही सादगी पसंद इंसान रहे हैं. छात्रों की हक की लड़ाई उन्होंने कॉलेज में दाखिला लेने के कुछ साल बाद ही शुरू कर दिया था. परवेज अहमद ने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास रहा है कि जो सीनियर स्टूडेंट होते थे, वही स्टूडेंट लीडर का चुनाव जीतते थे लेकिन आरिफ मोहम्मद खान ने इस परिपाटी को खत्म किया.
आरिफ साहब मुगलई खाने के हैं शौकीन: आरिफ मोहम्मद खान कॉलेज ज्वाइन करने के 4 साल बाद ही स्टूडेंट लीडर के जनरल सेक्रेटरी बन गए थे. सबसे कम उम्र में उन्होंने उस समय जनरल सेक्रेटरी का चुनाव जीता था. उनके सेक्रेटरी रहने के कार्यकाल में वह परवेज अहमद भी उनके कैबिनेट के सीनियर मेंबर रहे हैं. आरिफ मोहम्मद खान खाने-पीने के बहुत ही शौकीन हैं. अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में हर साल एक नुमाइश होता है, जिसमें कॉलेज के छात्र के लिए डिनर की व्यवस्था होती थी. उन्हें उस मुगलई खाना काफी पसंद आता था.
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"छात्रों के लिए हुए इस नुमाइश में आरिफ मोहम्मद खान और मैं एक साथ खाना खा रहे थे. उन्होंने मेरे कान में आकर कहा परवेज कोफ्ता लाजवाब बना है, कुछ कोफ्ता का व्यवस्था और करो. खाने के बहुत ही शौकीन है आरिफ साहब मुगलिया खाना उनको बहुत पसंद है. पटना में मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि आजकल वह ऑर्गेनिक खाना खा रहे हैं." -परवेज अहमद, आरिफ मोहम्मद खान के दोस्त
फ्री में देखा करते थे फिल्मे: परवेज अहमद ने बताया कि आरिफ मोहम्मद खान और वह लोग फिल्मों के शौकीन रहे हैं. कॉलेज के जमाने में यूनिवर्सिटी के बगल में तस्वीर महल सिनेमा हॉल था. इस सिनेमा हॉल में पुरानी फिल्में लगती थी. स्टूडेंट को आधे रेट पर फिल्म दिखाया जाता था. हालांकि आरिफ मोहम्मद खान स्टूडेंट लीडर थे इसलिए उनको कोई टिकट भी नहीं लगता था. यही कारण था कि सारे दोस्त उनके साथ फिल्म देखने के लिए जाते थे. उन्होंने देवदास से लेकर कई फिल्में साथ में फ्री में देखी थी.
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आरिफ साहब को पसंद है लस्सी: परवेज अहमद ने बताया कि आरिफ मोहम्मद खान स्टूडेंट लीडर थे. बहुत सारे दोस्त हमेशा उनके साथ रहते थे लेकिन कभी भी वह दोस्तों को पैसा खर्च करने नहीं देते थे. यूनिवर्सिटी कैंपस के बगल में शमशाद मार्केट था देर रात तक इस मार्केट में वो लोग नाश्ता पानी के लिए बैठे रहते थे. सभी दोस्तों को वो अपने पैसे से नाश्ता करवाते थे और लस्सी पिलाते थे. जिस दिन सभी दोस्तों को लस्सी पर वह इनवाइट करते थे तो वो लोग समझ जाते थे कि आज उनके पास ढेर सारा पैसा आया है. लस्सी पीने के लिए जाते वक्त जो भी रास्ते में दोस्त उनको मिलता था सबको एक साथ ले जाते थे.
आरिफ मोहम्मद खान 26 साल में बने विधायक: परवेज अहमद ने बताया कि इमरजेंसी के बाद आरिफ मोहम्मद खान सक्रिय राजनीति में आ गए. उस समय पिरु मोदी जनता पार्टी के बड़े नेता थे, जो आरिफ मोहम्मद खान को अपने बेटे की तरह स्नेह देते थे. इमरजेंसी के बाद हुए विधानसभा चुनाव में मात्र 26 साल की अवस्था में वह पहली बार विधायक बने. वह शुरू से ही बेहतरीन भाषण देते थे, यही कारण था कि उस समय के बड़े-बड़े नेता चौधरी चरण सिंह, जॉर्ज फर्नांडिस इनसे प्रभावित होने लगे लेकिन बाद में उनके साथ मतभेद होने के बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन किया.
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कॉलेज के दोस्त के साथ निकाह: परवेज अहमद ने बताया कि आरिफ मोहम्मद खान की पत्नी रेशमा भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी. वह भी स्टूडेंट लीडर थी जिस समय आरिफ मोहम्मद खान छात्र संघ के जनरल सेक्रेटरी थे. रेशमा स्टूडेंट यूनियन से जुड़ी हुई थी और वह महिला विंग की प्रेसिडेंट बनी थी. आरिफ मोहम्मद खान की रेशमा से पढ़ाई के दौरान दोस्ती हुई थी. आरिफ मोहम्मद खान सक्रिय राजनीति में गए और रेशमा भी सक्रिय राजनीति में थी. आरिफ मोहम्मद खान ने विधायक बनने के बाद रेशमा से निकाह किया. बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि आरिफ मोहम्मद खान की पत्नी रेशमा जनता पार्टी के टिकट पर एक बार 5 वर्षों के लिए विधायक चुनी गई थी.
पढ़ाई के बाद बिहार वापस: परवेज अहमद ने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई के बाद वह बिहार वापस आ गए और कुछ दिनों तक भागलपुर यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के रूप में काम किया. फिर बाद में वह अमेरिका चले गए. मेरा बेटा और परिवार अमेरिका में रहता है लेकिन वो हर साल ठंड के महीने में बिहार आ जाते हैं. परवेज अहमद ने बताया कि अलीगढ़ छोड़ने के बाद हमेशा आरिफ मोहम्मद खान के साथ उनका संपर्क बना रहा. कोरोना के समय में जब परवेज ने अपने बेटे की शादी तय की तो आरिफ साहब को आने का न्योता दिया, वहां से सहमति भी आ गई थी लेकिन अचानक एक दिन आरिफ साहब का फोन आया कि राष्ट्रपति भवन से गाइडलाइन आया है कि कोई भी गवर्नर अपना घर छोड़कर बाहर नहीं निकलेगा. इसलिए वो उनके बेटे की शादी में शामिल नहीं हो पाए.
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पटना आते ही दोस्त को लगाया फोन: परवेज अहमद ने बताया कि गवर्नर के रूप में जब वह पटना आए तो गवर्नर हाउस से फोन आया की साहब आपसे बात करना चाहते हैं. आरिफ साहब से बात करते ही उन्होंने उनका बिहार की धरती पर स्वागत किया. आरिफ साहब ने कहा कि "मैं तुमसे मिलने आ रहा हूं, मैंने कहा कि मैं ही आपसे मिलने आ जाता हूं, तो उन्होंने कहा कि नहीं तुम्हारे छोटे भाई का निधन हुआ है मुझे तुम्हारे घर आना चाहिए. कितनी दूरी पर तुम्हारा घर है. मैंने कहा कि गवर्नर हाउस से 10 से 15 मिनट की दूरी है."
पटना आते ही घर पर की दोस्त से मुलाकात: परवेज बताते हैं कि कॉल आने के आधे घंटे के अंदर में सिक्योरिटी के लोग डॉग स्क्वॉड के साथ पूरे घर की छानबीन करने आ गए. कुछ ही देर के बाद फोन आया कि गवर्नर साहब पहुंच रहे हैं. आरिफ साहब घर आए मेरे छोटे भाई के बच्चों को बुलाया उनसे बातचीत की और जाते वक्त उन्होंने कहा कि मैं अब पटना में हूं, तुम्हें जो भी जरूरत हो बेहिचक मेरे पास आ जाना.
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आरिफ साहब पढ़ने-लिखने के शौकीन: परवेज अहमद ने बताया कि आरिफ मोहम्मद खान को शुरू से ही पढ़ने लिखने में रुचि रही है. उन्होंने एक किताब लिखी है "टेक्स्ट एंड कॉन्टेक्स्ट" यह किताब कुरान पर लिखी गई है. यह किताब लोगों को पढ़नी चाहिए, खासकर के उन मौलवियों को जो हर बात पर अलग दलील देते हैं. परवेज अहमद ने बताया कि जब रामविलास पासवान केंद्र में मंत्री थे तो उनके साथ आरिफ मोहम्मद खान पटना आए हुए थे. उनसे मिलने जब वह होटल गए तो देखा की आरिफ साहब लैपटॉप पर कुछ लिख रहे हैं. जब उनसे पूछा कि क्या कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि किताब के लिए कुछ प्वाइंट्स लिख रहा हैं, वो किसी किताब के बारे में लिख रहे थे. इस बार जब वह पटना आए और उनसे मिले तो उन्होंने बताया कि अभी एक दो और किताब लिख रहे हैं.
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बिहार की शिक्षा व्यवस्था में करेंगे सुधार: आरिफ मोहम्मद खान के बारे में परवेज अहमद ने बताया कि पटना में जब उनसे मुलाकात हुई तो वह केरल की बहुत तारीफ कर रहे थे. एजुकेशन के बारे में केरल में किये जा रहे काम की उन्होंने बहुत तारीफ की इससे लग रहा है कि वह बिहार में भी शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर बेहतर प्रयास करेंगे. बिहार के लोग उनका साथ देंगे क्योंकि उनका स्वभाव इतना मिलनसार है कि उनका कोई विरोध नहीं कर सकता. परवेज अहमद ने बताया कि आरिफ मोहम्मद खान उन्हें बता रहे थे कि केरल में उनका कार्यकाल खत्म हो गया था फिर भी केंद्र की सरकार ने उन्हें बिहार में काम करने का अवसर दिया है तो कुछ बेहतर ही करूंगा.
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