वैशाली: बिहार के वैशाली जिले में चल रहे विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला (world famous sonepur mela) में वैसे तो बच्चे घूमने के मकसद से आते हैं. अमूमन मेले में झूला झूलना, चिड़िया बाजार सहित अन्य बाजारों को देखना, पशुओं को देखना और मन पसंद की चीजें खाना, शॉपिंग करना बच्चों की प्राथमिकता होती है. लेकिन सोनपुर मेले में इस बार का नजारा थोड़ा अलग है. यहां छोटे बच्चों भविष्य में आने वाले आपदाओं से बचने के उपाय सीखने (Children are learning method to fight disasters) के लिए आ रहे हैं. सोनपुर मेले में पटना सहित पूरे बिहार के चयनित सरकारी स्कूल के बच्चों को राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक के द्वारा भूकंप, सड़क दुर्घटना, आग लगने पर बचाव के उपाया सहित अन्य आपदाओं में बचने के उपाय सिखाए जा रहे है.
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एक महीने तक चलेगा प्रशिक्षण: सोनपुर मेले में आपदा प्रबंधन का कैंप (Disaster management camp at Sonpur fair) 1 महीने तक चलाया जाएगा. जिसमें राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक बच्चों को विभिन्न आपदाओं से लड़ने का प्रशिक्षण देगे. इस प्रशिक्षण में कई महिला और पुरुष प्रशिक्षक बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. प्रशिक्षण में आपदा के समय बच्चें क्या करें इसे लेकर रिहर्सल भी करवाया जा रहा है. प्रशिक्षण में शामिल होने आए बच्चे भी बेहद तत्परता से प्रशिक्षण ले रहे हैं. साथ ही बच्चे यह भी बता रहे है कि उन्हें किस तरीके से खुद की और अन्य लोगों की भी मदद करनी है.
पटना सहित कई जिलों के बच्चों को मिल रहा है प्रशिक्षण: सोनपुर मेले में वैसे तो देश-विदेश से लोग मेला घूमने आते हैं. लेकिन इस बार बिहार के अलग-अलग जिलों के बच्चे भी आपदा विभाग के द्वारा दिए जा रहे प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं. जिसमें शामिल हो रहे बच्चों को किसी भी असामान्य स्थिति से निपटने के लिए प्रॉपर ट्रेनिंग दी जा रही है. राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक डॉक्टर श्रवण का कहना है कि सरकार की यह योजना है कि इन बच्चों के माध्यम से आपदा प्रबंधन के तहत बच्चे कैसे बचेंगे और दूसरों को भी कैसे बचाएंगे इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित कर रहे हैं. इसमें ग्रामीण और शहरी दोनों ही स्कुलो के बच्चे हैं.
"मैंम ने हम लोगों को बताया है कि भूकंप से कैसे बचना है. आग लगेगी तो कैसे सब को बचाना है. इसके अलावा घायलों को कैसे बचाना है. यह भी सीखा है" - परी प्रिया, छात्रा
"यह कार्यक्रम आपदा प्रबंधन का है. किसी के साथ किसी भी समय कोई असामान्य स्थिति हो सकती है और उन असामान्य स्थितियों में बच्चे कैसे अपनी क्षमता से अपने आपको बचा ले जाएं अपने मित्रों को बचा ले जाए. यही संदेश आज घर लेकर जाएंगे. वह अपने घर में अपने अभिभावकों को भी यह बताएंगे. यानी हमारा मिशन यहां से इनके घर से समुदाय तक पहुंचना है और विपरीत परिस्थितियों को अपने अनुरूप बदल देने में कामयाब बच्चों को पढ़ाना है. उन के माध्यम से हम को सफल होना है".- डॉक्टर श्रवण, राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक
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