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पूर्णिया में 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' के तहत जागरुकता अभियान शुरू

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Published : Mar 19, 2021, 1:32 PM IST

टीबी के मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये के पोषाहार के रूप में राशि दी जाती है. वहीं, टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को 500 रुपये और उस मरीज को पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी निजी चिकित्सकों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

Awareness campaign started under 'TB Harega, Desh Jeetega' in Purnia
Awareness campaign started under 'TB Harega, Desh Jeetega' in Purnia

पूर्णिया: राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता के लिए पूरे देश में 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' अभियान चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में जिले में विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. यक्ष्मा विभाग, केयर इंडिया और डब्ल्यूएचओ के द्वारा कृत्या नगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सभागार में एक दिवसीय जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया, जहां टीबी रोग के प्रति आगाह करते हुए इससे बचाव से संबंधित उपाय और उपचार के बारे में लोगों को जानकारी दी गई.

नगर प्रखण्ड के बीडीओ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया वैश्विक महामारी कोविड-19 जैसा यह एक संक्रामक बीमारी है. जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ जन आंदोलन के रूप में लड़ने की जरूरत है. अमूमन ऐसा देखा गया है कि टीबी के मरीज गरीब परिवारों के बीच से ही आते हैं. यह कुपोषित व्यक्तियों या बच्चों में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है.

'टीबी मुक्त बनेगा बिहार'
डीपीसी आलोक कुमार ने बताया टीबी मुक्त अभियान के आंदोलन में डब्ल्यूएचओ और केयर इंडिया की टीम जिले के सभी प्रखंडों में एसटीएस, एसटीएलएस और एलटी के साथ ही यक्ष्मा सहायकों को प्रखंड स्तर पर सहयोग कर रही है. इसके साथ ही सामुदायिक स्तर पर अन्य गतिविधियों में भी सहयोग किया जाना सुनिश्चित किया गया है. स्थानीय स्तर पर आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका सहित स्वस्थ्य विभाग व सहयोगी संस्थाओं के कर्मियों का सहयोग लिया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: पवन सिंह का भोजपुरी गाना 'लहंगवा लस लस करता' की धूम, मिले करोड़ों व्यूज

टीबी के मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये के पोषाहार के रूप में राशि दी जाती है. वहीं, टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को 500 रुपये और उस मरीज को पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी निजी चिकित्सकों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. ट्रीटमेंट सपोर्टर को अगर कोई टीबी के मरीज छह माह में ठीक हो गया है तो उसे 1000 रुपये और एमडीआर के मरीज के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन दी जाती है. अगर कोई आम व्यक्ति भी किसी मरीज को सरकारी अस्पताल में लेकर आता है और उस व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो लाने वाले व्यक्ति को भी 500 रुपये देने का प्रावधान है.

टीबी रोग की ऐसे होती है पहचान!
यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय तक लगातार खांसी की शिकायत हो तो उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर अपने बलगम की जांच करा लेनी चाहिए. बलगम के साथ खून आना या नहीं आना, शाम के समय बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर का वजन कम होना, सीने में दर्द की शिकायत, रात में पसीना आना टीबी रोग से जुड़े लक्षण हो सकते हैं. टीबी संक्रमण की पुष्टि होने पर पूरे कोर्स की दवा रोगी को मुफ्त उपलब्ध करायी जाती है. जांच से इलाज की पूरी प्रक्रिया निशुल्क है.

पूर्णिया: राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता के लिए पूरे देश में 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' अभियान चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में जिले में विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. यक्ष्मा विभाग, केयर इंडिया और डब्ल्यूएचओ के द्वारा कृत्या नगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सभागार में एक दिवसीय जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया, जहां टीबी रोग के प्रति आगाह करते हुए इससे बचाव से संबंधित उपाय और उपचार के बारे में लोगों को जानकारी दी गई.

नगर प्रखण्ड के बीडीओ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया वैश्विक महामारी कोविड-19 जैसा यह एक संक्रामक बीमारी है. जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ जन आंदोलन के रूप में लड़ने की जरूरत है. अमूमन ऐसा देखा गया है कि टीबी के मरीज गरीब परिवारों के बीच से ही आते हैं. यह कुपोषित व्यक्तियों या बच्चों में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है.

'टीबी मुक्त बनेगा बिहार'
डीपीसी आलोक कुमार ने बताया टीबी मुक्त अभियान के आंदोलन में डब्ल्यूएचओ और केयर इंडिया की टीम जिले के सभी प्रखंडों में एसटीएस, एसटीएलएस और एलटी के साथ ही यक्ष्मा सहायकों को प्रखंड स्तर पर सहयोग कर रही है. इसके साथ ही सामुदायिक स्तर पर अन्य गतिविधियों में भी सहयोग किया जाना सुनिश्चित किया गया है. स्थानीय स्तर पर आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका सहित स्वस्थ्य विभाग व सहयोगी संस्थाओं के कर्मियों का सहयोग लिया जा रहा है.

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टीबी के मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये के पोषाहार के रूप में राशि दी जाती है. वहीं, टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को 500 रुपये और उस मरीज को पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी निजी चिकित्सकों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. ट्रीटमेंट सपोर्टर को अगर कोई टीबी के मरीज छह माह में ठीक हो गया है तो उसे 1000 रुपये और एमडीआर के मरीज के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन दी जाती है. अगर कोई आम व्यक्ति भी किसी मरीज को सरकारी अस्पताल में लेकर आता है और उस व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो लाने वाले व्यक्ति को भी 500 रुपये देने का प्रावधान है.

टीबी रोग की ऐसे होती है पहचान!
यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय तक लगातार खांसी की शिकायत हो तो उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर अपने बलगम की जांच करा लेनी चाहिए. बलगम के साथ खून आना या नहीं आना, शाम के समय बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर का वजन कम होना, सीने में दर्द की शिकायत, रात में पसीना आना टीबी रोग से जुड़े लक्षण हो सकते हैं. टीबी संक्रमण की पुष्टि होने पर पूरे कोर्स की दवा रोगी को मुफ्त उपलब्ध करायी जाती है. जांच से इलाज की पूरी प्रक्रिया निशुल्क है.

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