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सुपौल: कोरोना वायरस से हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की मौत, मचा हड़कंप - कोरोना वायरस से हड्डी रोग विशेषज्ञ की मौत

सुपौल जिले में कोरोना वायरस से एक डॉक्टर की मौत हो जाने से हड़कंप मच गया है. यह शहर के जाने-माने हड‍्डी रोग विशेषज्ञ रोग के डॉक्टर थे. वहीं परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.

orthopedic doctor die due to corona virus
कोरोना वायरस से डॉक्टर की मौत
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Published : Jul 25, 2020, 12:09 PM IST

सुपौल: जिला मुख्यालय के वार्ड नंबर-25 निवासी जाने-माने हड‍्डी रोग विशेषज्ञ डॉ महेंद्र चौधरी की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. डॉ चौधरी के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि 17 जुलाई को हुई थी. इसके बाद वह 18 जुलाई को इलाज के लिए पटना चले गए थे, जहां पटना एम्स में उनका इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
परिजनों में मचा कोहराम
परिजनों ने बताया कि पटना में बिना कोरोना जांच के कोई भी निजी और सरकारी अस्पताल उन्हें भर्ती करने के लिये तैयार नहीं हो रहा था. इसके बाद डॉ चौधरी को पुन: सुपौल लाया गया और 17 जुलाई को सदर अस्पताल में उनकी कोरोना जांच हुई. इसमें वह कोरोना पॉजेटिव पाए गए. इसके बाद पुन: परिजनों ने उन्हें इलाज के लिए पटना ले गए, जहां उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां शुक्रवार को उनकी मौत हो गई. चिकित्सक के शव को अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को सौंप दिया है. परिजनों का कहना है कि उनका अंतिम संस्कार पटना स्थित बांस घाट में किया जाएगा. चिकित्सक की मौत के बाद उनके परिजनों में कोहराम मचा हुआ है. परिजनों ने बताया कि डॉ चौधरी छुट्टी लेकर अपने सुपौल स्थित निवास पर ही रह रहे थे.

orthopedic doctor die due to corona virus
कोरोना वायरस से डॉक्टर की मौत
परिजनों ने इलाज में लापरवाही बरतने का लगाया आरोपपरिजनों का आरोप है कि एम्स में डॉ के इलाज में अस्पताल प्रबंधन ने लापरवाही बरती है. चिकित्सक के पुत्र रितिक कुमार ने बताया कि यदि बेहतर चिकित्सा सुविधा दी जाती तो उनके पिता की जान बच सकती थी. रितिक ने बताया कि उन्हें एम्स में जनरल वार्ड मुहैया कराया गया, जहां वेटीलेटर की सुविधा भी नहीं थी. वहीं गुहार लगाने के बाद 22 जुलाई को उन्हें वेंटीलेटर मुहैया कराया गया, जिसके बाद शुक्रवार की सुबह उनकी मौत हो गई.

सुपौल: जिला मुख्यालय के वार्ड नंबर-25 निवासी जाने-माने हड‍्डी रोग विशेषज्ञ डॉ महेंद्र चौधरी की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. डॉ चौधरी के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि 17 जुलाई को हुई थी. इसके बाद वह 18 जुलाई को इलाज के लिए पटना चले गए थे, जहां पटना एम्स में उनका इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
परिजनों में मचा कोहराम
परिजनों ने बताया कि पटना में बिना कोरोना जांच के कोई भी निजी और सरकारी अस्पताल उन्हें भर्ती करने के लिये तैयार नहीं हो रहा था. इसके बाद डॉ चौधरी को पुन: सुपौल लाया गया और 17 जुलाई को सदर अस्पताल में उनकी कोरोना जांच हुई. इसमें वह कोरोना पॉजेटिव पाए गए. इसके बाद पुन: परिजनों ने उन्हें इलाज के लिए पटना ले गए, जहां उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां शुक्रवार को उनकी मौत हो गई. चिकित्सक के शव को अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को सौंप दिया है. परिजनों का कहना है कि उनका अंतिम संस्कार पटना स्थित बांस घाट में किया जाएगा. चिकित्सक की मौत के बाद उनके परिजनों में कोहराम मचा हुआ है. परिजनों ने बताया कि डॉ चौधरी छुट्टी लेकर अपने सुपौल स्थित निवास पर ही रह रहे थे.

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कोरोना वायरस से डॉक्टर की मौत
परिजनों ने इलाज में लापरवाही बरतने का लगाया आरोपपरिजनों का आरोप है कि एम्स में डॉ के इलाज में अस्पताल प्रबंधन ने लापरवाही बरती है. चिकित्सक के पुत्र रितिक कुमार ने बताया कि यदि बेहतर चिकित्सा सुविधा दी जाती तो उनके पिता की जान बच सकती थी. रितिक ने बताया कि उन्हें एम्स में जनरल वार्ड मुहैया कराया गया, जहां वेटीलेटर की सुविधा भी नहीं थी. वहीं गुहार लगाने के बाद 22 जुलाई को उन्हें वेंटीलेटर मुहैया कराया गया, जिसके बाद शुक्रवार की सुबह उनकी मौत हो गई.
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