सुपौल: लॉक डाउन के 19वें दिन भी प्रवासी मजदूरों का जिले में आना निरंतर जारी है. रविवार को 103 से अधिक की संख्या में सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया सहित अन्य जिलों के मजदूर उत्तर प्रदेश से पैदल चलकर सुपौल पहुंचे. जहां प्रशासन की मुस्तैदी से उन्हें डिग्री कॉलेज के पास रोककर हजारी उच्च माध्यमिक विद्यालय गौरवगढ़ में बने अस्थाई क्वारंटाईन सेंटर में रखा गया.
रविवार को मेडिकल टीम ने सभी मजदूरों का स्क्रीनिंग कर उन्हें सबंधित प्रखंड को सौंप दिया. बता दें कि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कई मजदूरों की रोजी-रोटी छीन गयी है. इसकी वजह से बाहर प्रदेश में फंसे मजदूर दाने-दाने को मोहताज हो गये हैं और अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. पैदल पहुंचे मजदूरों में बनमनखी निवासी शिवशंकर ने बताया कि कई दिनों तक लगातार भूखे रहने के बाद वे यूपी के यशवंत नगर से करीब 950 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अपने घर पहुंचे.
कई जगह सहनी पड़ी पुलिस कि पिटाई
यशवंत नगर स्थित जय बाबा तिरूपती कोल्ड स्टोर में कोशी इलाके के विभिन्न जिले से तकरीबन 100 से ज्यादा प्रवासी मजदूर काम करते थे. सहरसा जिले के कैदली निवासी मजदूर हरेराम यादव ने बताया कि उनके साथ करीब 55 मजदूर चले थे. वहीं अन्य कोल्ड स्टोर में काम कर रहे लगभग 55-60 की संख्या में इस इलाके के मजदूर भी इनके साथ आ गए. काम बंद होने के बाद वे लोग दाने-दाने को तरस रहे थे. जिसके बाद पेट की आग की आगे पुलिस का डंडा भी कमजोर पड़ने लगा. रास्ते में कई जगह पुलिस की पिटाई भी सहनी पड़ी.
सात दिन पैदल चलकर पहुंचे सुपौल
जानकारी के अनुसार सभी मजदूर भूखे-प्यासे निरंतर चलते हुए सातवें दिन सुपौल पहुंचे. प्रशासन ने सभी लोगों को क्वारंटाइन सेंटर पर लाकर उनकी जांच करवाई. बाद में सुनिश्चित होकर मजदूरों को घर भेज दिया गया. इसमें सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड के 18, नवहट्टा प्रखंड के 47, कहरा के 01, मधेपुरा जिले के आलमनगर के 12, पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड के 12, रूपौली के 10 व सुपौल सदर प्रखंड के 03 के सभी मजदूरों को उनके संबंधित प्रखंड के हवाले कर दिया गया. इस मौके पर राजस्व पदाधिकारी समेत नप के कनीय अभियंता अमरेंद्र यादव, डॉ प्रदीप कुमार, हेल्थ मैनेजर हरिवंश सिंह आदि मौजूद थे.