सुपौल: बिहार के सुपौल के सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत नगर परिषद से जुड़ा यह पूरा मामला है, जहां एक आवेदन बीते 7 सितंबर 2021 को सदर थाना कांड संख्या 641/21 दर्ज किया गया था. आवेदन में पीड़ित ने पड़ोस के ही एक युवक पर अपनी 6 वर्षीय पुत्री के अपहरण का आरोप लगाया था.
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दो साल बाद मासूम को मिला न्याय: हालांकि पुलिस जब मामले की छानबीन में जुटी तो आरोपी के घर से एक मचान के नीचे से मासूम बच्ची का दफन किया हुआ शव बरामद हुआ. अपर लोक अभियोजक राजेश कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस पूछताछ में आरोपी ने हत्या की बात स्वीकार की. वहीं कोर्ट ट्रायल के दौरान अभियोजन की ओर से कुल 13 गवाह प्रस्तुत हुए, जिसके आधार पर सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार जायसवाल की कोर्ट ने आरोपी को मंगलवार को ही दोषी करार दिया था.
हत्या मामले में आया कोर्ट का फैसला: बुधवार को सजा पर सुनवाई हुई. जिसमें धारा 364 के तहत 7 साल का सश्रम कारावास और 10 हजार रुपए अर्थदंड सुनाया गया. अर्थदंड की राशि नहीं देने पर 1 वर्ष अतिरिक्त सश्रम कारावास सुनाया गया. जबकि धारा 302 के तहत सश्रम आजीवन कारावास और 10 हजार रुपए अर्थदंड सुनाया गया.अर्थदंड की राशि नहीं देने पर एक वर्ष अतिरिक्त सश्रम कारावास सुनाया गया.
दोषी को आजीवन कारावास: वहीं धारा 201 के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास और पांच हजार रुपए का अर्थदंड सुनाया गया. अर्थदंड की राशि नहीं देने पर 6 महीने का अतिरिक्त सश्रम कारावास सुनाया गया. ट्रायल के दौरान बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता राजकुमार सिंह प्रस्तुत हुए.
"एक छह वर्षीय बच्ची 2021 में गुम हो गई थी. जिसके बाद पिता ने पड़ोस के युवक को आरोपी बनाया. पुलिस ने आरोपी को पकड़ा तो उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया था. पुलिस की जांच के बाद चार्जशीट हुआ और 13 साक्षियों का साक्ष्य हुआ. कोर्ट ने आज दोषी को सजा सुना दिया है."- राजेश कुमार सिंह, अपर लोक अभियोजक