सुपौल: बिहार पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिस महिला की हत्या के आरोप में पुलिस ने पति समेत पूरे परिवार को जेल भेज दिया था. वह महिला 6 महीने बाद जिंदा ससुराल लौट आई. जिसके बाद कोर्ट ने बिहार पुलिस के जांच पर सवाल उठाए हैं. साथ ही कोर्ट ने बिहार पुलिस को 6 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि देने का भी आदेश दिया है.
क्या है पूरा मामला
स्थानीय लोगों के मुताबिक सोनिया देवी अपने ससुराल से 24 मई 2018 को मायके जाने के लिए निकली थी. उसके बाद उसका कोई पता नहीं चल पाया. दो दिनों के बाद पुलिस को एक अज्ञात लाश मिली. जिसके बाद पुलिस ने हत्या के आरोप में उसके पति रंजीत, ससुर विशुन देव पासवान और सास गीता देवी पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
इस मामले में कोर्ट ने बिहार पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस कार्य के लिए सुपौल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं. कोर्ट ने कहा कि मामले की सही से जांच नहीं की गई. यह बिहार पुलिस की शर्मनाक करतूत है. कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि यह घटना बिल्कुल हास्यास्पद और कानून की नजर में मजाक बन गई है. जो जीवित है. जांच अधिकारी ने उसकी मृत्यु का आरोप पत्र कोर्ट में दायर किया है.
गरीब का सहारा बना आरटीआई कार्यकर्ता
रंजीत के परिवार की गरीबी को देखकर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह ने उसे न्याय दिलाने का बीड़ा उठाया. कोर्ट में न्यायिक लड़ाई लड़ी. लगभग डेढ साल चली लंबी लड़ाई के बाद कोर्ट ने पीड़ित रंजीत, उसके पिता और मां को हत्या के इस फर्जी मामले में दोष मुक्त करते हुए बरी कर दिया. आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा कि वो दोषी पुलिस अधिकारी पर कारवाई के लिए इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करेंगे.