सुपौल: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन विभिन्न छठ घाटों पर व्रतियों ने डूबते सूर्य की आराधना कर उन्हें दूध और जल का अर्घ्य दिया. इससे पहले छठ व्रती और श्रद्धालु डाला में पूजा की सभी सामग्री लेकर घाट पर पहुंचे. वहीं कई श्रद्धालुओं ने दंड प्रणाम देते छठ घाट पहुंच कर भगवान भाष्कर की आराधना की.
गांधी मैदान पोखर पर प्रशासन की चुस्त दुरुस्त सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली. वहीं पोखर में एनडीआरएफ की टीम बोट पर गस्त लगाते रहे. छठ व्रतियों ने सूर्यास्त होने पर गंगा मइया की पूजा-अर्चना कर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया.
अस्ताचलगामी सूर्य को दिया गया अर्घ्य
लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. इसको लेकर छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. छठव्रतियों ने शाम को पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजा कर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. बता दें कि छठव्रति पूरे दिन निर्जला उपवास रहकर नदी, तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. साथ ही पूजा के समाप्त होते ही अगली सुबह की पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती है. इसके बाद से व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक निर्जला उपवास पर रहती हैं. सुबह वाले अर्घ्य के बाद पारण होता है.
लंबी उम्र की कामना
मान्यता है कि छठ का पर्व दीर्घायु, पारिवारिक सामंजस्य समेत अन्य के लिए किया जाता है. यदि आदित्य ह्रदय स्त्रोत से पाठ करते हुए पीतल के पात्र में दूध मिश्रित जल से अर्घ्य देने से स्वास्थ्य लाभ होता है. शाम और प्रात:कालीन अर्घ्य देने से आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है.