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इन गांव में आज भी नहीं है शौचालय, खुले में शौच जाने को मजबूर

खुले में शौच मुक्त बिहार बनाने के लिए सिर्फ शौचालय बनाना ही काफी नहीं है. शौचालय बनाने के साथ-साथ लोगों को जागरूक भी करना पड़ता है.

गांव में नहीं बनी शौचालय
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Published : Mar 29, 2019, 8:00 PM IST

सिवान: जिले के कई गांव में आज भी पुरुष, महिलाओं और बच्चों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है. सरकार की हर घर शौचालय योजना इन गांव में दम तोड़ती नजर आ रही है. ऐसे कई गांव है जहां आज भी सुबह और रात में बड़ी संख्या में लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है.

खुले में शौच मुक्त बिहार बनाने के लिए सिर्फ शौचालय बनाना ही काफी नहीं है. शौचालय बनाने के साथ-साथ लोगों को जागरूक भी करना पड़ता है. ताकी लोग अपने घरों में सरकार के पैसे पर आश्रित ना रहकर खुद से घर में शौचालय का निर्माण करवाएं. वहीं कई गांवो में पूरे 12 हजार राशि नहीं मिलने के कारण गांव के ग्रामीण अपना शौचालय पूरा नहीं बना पाते हैं.

गांव में आज भी नहीं है शौचालय

पर्याप्त राशिनहीं, शौचालय नहीं
वहीं 12 हजार रूपय में से 2 से 3 हजार रूपय शौचालय पास करने के नाम पर दलाल निगल जाते हैं. इस कारण ग्रामीण शौचालय नहीं बनवा पाते, मजबूरन उन्हें खुले में शौच जाना पड़ रहा है.वहीं जब इस संबंध में उप विकास आयुक्त से पूछा गया तो उन्होंने आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए कहा कि अभी इस संबंध में कुछ भी नहीं किया जा सकता. चुनाव खत्म होने के बाद ही इस पर कुछ किया जा सकता है.

सिवान: जिले के कई गांव में आज भी पुरुष, महिलाओं और बच्चों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है. सरकार की हर घर शौचालय योजना इन गांव में दम तोड़ती नजर आ रही है. ऐसे कई गांव है जहां आज भी सुबह और रात में बड़ी संख्या में लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है.

खुले में शौच मुक्त बिहार बनाने के लिए सिर्फ शौचालय बनाना ही काफी नहीं है. शौचालय बनाने के साथ-साथ लोगों को जागरूक भी करना पड़ता है. ताकी लोग अपने घरों में सरकार के पैसे पर आश्रित ना रहकर खुद से घर में शौचालय का निर्माण करवाएं. वहीं कई गांवो में पूरे 12 हजार राशि नहीं मिलने के कारण गांव के ग्रामीण अपना शौचालय पूरा नहीं बना पाते हैं.

गांव में आज भी नहीं है शौचालय

पर्याप्त राशिनहीं, शौचालय नहीं
वहीं 12 हजार रूपय में से 2 से 3 हजार रूपय शौचालय पास करने के नाम पर दलाल निगल जाते हैं. इस कारण ग्रामीण शौचालय नहीं बनवा पाते, मजबूरन उन्हें खुले में शौच जाना पड़ रहा है.वहीं जब इस संबंध में उप विकास आयुक्त से पूछा गया तो उन्होंने आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए कहा कि अभी इस संबंध में कुछ भी नहीं किया जा सकता. चुनाव खत्म होने के बाद ही इस पर कुछ किया जा सकता है.
Intro:खुले में शौच मुक्त सिवान की क्या है हकीकत

सिवान।

महात्मा गांधी के जयंती के 150 साल पूरे होने पर देश को खुले में शौच मुक्त बनाने का प्रधानमंत्री का सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है कम से कम बिहार के सिवान जिले में जो वर्तमान की स्थिति है उसे देखते हुए पूरा जिला खुले में शौच मुक्त घोषित हो इसकी संभावना कम ही दिख रही है.


Body:जिले के कई गांव में आज भी पुरुष, महिलाओं व बच्चों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है सरकार की हर घर शौचालय योजना इन गांव में दम तोड़ रही है ऐसा ही गांव है अंदर प्रखंड का बलिया,शिवपुर सकरा,चकदहवां, मनियां, तथा अन्य कई गांव जहां आज भी सुबह और रात में बड़ी संख्या में महिलाये,पुरुष व बच्चे खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. खुले में शौच मुक्त बिहार बनाने के लिए सिर्फ शौचालय बनाना ही काफी नहीं होगा शौचालय बनाने के साथ-साथ लोगों को जागरूक भी करना पड़ेगा कि लोग अपने घरों में सरकार के पैसे पर आश्रित ना रहकर खुद से घर में शौचालय का निर्माण करवाएं. वहीं कई गाँवो में पूरे 12 हजार राशि नहीं मिलने के अभाव में गाँव के गरीब ग्रामीण अपना शौचालय पूरा नहीं बना पाते वही 12 हजार में से 2 से 3 हजार शौचालय पास करने के नाम मे दलाल ले लेते हैं. जिससे ग्रामीण शौचालय नहीं बनवा पाते, मजबूरन उन्हें खुले में शौच जाना पड़ रहा है.


Conclusion:वही जब इस संबंध में उप विकास आयुक्त से पूछा गया तो उन्होंने आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए कहा कि अभी हम इस संबंध में कुछ भी नहीं कर सकते चुनाव खत्म होने के बाद ही इस पर कुछ बताया जा सकता है.

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