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आतंकियों से संबंध को लेकर पहले भी सिवान जेल से बंदी को ले गई थी एनआईए

आतंकियों से संबंध रखने के मामले (relation with terrorists case) में पहले भी सिवान जेल में बंद एक अपराधी को एनआईए पूछताछ के लिए (NIA to interrogate the criminal)ले गई थी. इसलिए एनआईए याकूब को पूछताछ के लिए ले गई है तो कोई नई बात नहीं है.

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Published : Jul 28, 2022, 6:51 PM IST

Updated : Jul 29, 2022, 5:20 PM IST

सिवान केस
सिवान केस

सिवान: आतंकियों का बिहार से कनेक्शन (Terrorists' connection to Bihar) लगातार जुड़ता जा रहा है. एक तरफ फुलवारीशरीफ मॉड्यूल को लेकर एनआईए इस मामले को अपने हाथ में लेकर छानबीन में जुटी है. दूसरी ओर बिहार के सिवान जिले के चार युवकों की भी आतंकियों से कनेक्शन जुड़ता दिख रहा है. बिहार के सिवान जेल में बंद याकूब खान को एनआईए की टीम अपने साथ जम्मू-कश्मीर पूछताछ के लिए रिमांड पर लेकर गई (NIA to interrogate the criminal) है. याकूब खान बसंतपुर थाना क्षेत्र के निवासी सल-ए- इमाम का पुत्र है. जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर के शोपियां से जुड़े एक मामले में पूछताछ के लिए एनआईए इसे रिमांड पर ले गई है.



एक को पूछताछ के लिए जम्मू ले जा चुकी है एनआईए: यह कोई पहला मामला नहीं है कि सिवान जेल से किसी कैदी को आतंकियों से सांठ-गांठ मामले में पूछताछ के लिए ले जाया गया है. इसके पहले भी सीवान मंडल कारा से एक बंदी को एनआईए की टीम पूछताछ के लिए जम्मू ले गई थी. उस पर एक आतंकी गिरोह के सदस्य के साथ सांठ-गांठ होने व हथियार सप्लाई करने का आरोप था. इसी के बाद से एनआईए की टीम दूसरी बार जिले में आई थी. ये टीम यहां कई दिनों तक रहने के बाद कुछ लोगों से पूछताछ कर कई अहम मामलों के बारे में जानकारी हासिल की.

रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह का बयान



गृह मंत्रालय ने चार युवकों की मांगी है जानकारी :याकूब खान को पूछताछ के लिए रिमांड पर जम्मू-कश्मीर ले जाने के बाद गृह मंत्रालय की ओर से राज्य सरकार को सिवान जिले के चार संदिग्धों के बारे में पत्र लिखकर जानकारी दी गई है. पत्र में बताया गया है कि ये सभी जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम किया करते थे. इन चारों युवकों की रिपोर्ट 5 दिनों के अंदर गृह मंत्रालय को देने का निर्देश दिया गया है, जिसके बाद कहीं न कहीं सिवान पुलिस की ओर से लगातार इन संदिग्धों के बारे में साक्ष्य जुटाया जा रहा है और इनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी अभियान भी चलाया जा रहा है.यह चारों संदिग्ध युवक सिवान जिले के पंचरुखी थाना, बसंतपुर, बड़हरिया और महाराजगंज थाना इलाके के रहने वाले हैं.

आतंकियों को हथियार पहुंचाने का काम : एनआईए के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, याकूब के बाद जिन चार युवकों की तलाश सिवान पुलिस कर रही है ये सभी कहीं न कहीं आतंकियों को हथियार पहुंचाने का काम करते थे. इनका किसी न किसी रूप में आतंकियों से कनेक्शन मिला हुआ है. यह कोई पहला मामला नहीं है. साल 2021 के फरवरी महीने में भी जम्मू-कश्मीर पुलिस में बिहार पुलिस के सहयोग से छपरा के मोहल्ला थाना क्षेत्र के देव बहुआरा गांव से जावेद को गिरफ्तार किया था. जावेद की गिरफ्तारी कश्मीर के मुस्ताक को बिहार के मुंगेर में बनी पिस्टल मुहैया करवाने को लेकर हुई थी. इस पर आरोप था कि आतंकियों तक बिहार से हथियार पहुंचाया करता था. मुस्ताक जो कि खुद लश्कर- ए- मुस्तफा नाम के आतंकी संगठन का सदस्य है, पुलिस ने उसे पंजाब से पकड़ा था. पूछताछ के दौरान उसने जावेद आलम से हथियार खरीदने की बात स्वीकार की थी.

ये भी पढ़ें :- सिवान जेल में बंद याकूब को NIA ले गई जम्मू कश्मीर, घाटी के आतंकी संगठन से जुड़े तार


आतंकियों का सेफ जोन बन गया है बिहार : रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह की मानें तो बिहार कहीं न कहीं आतंकियों का सेफ जोन बन गया है. पहले भी बिहार के मिथिलांचल, सीमांचल, गोपालगंज, सिवान, छपरा, गया और भागलपुर से कई आतंकियों की गिरफ्तारी हुई है. जिस तरह से फुलवारी प्रकरण में गुरुवार को एनआईए की ओर से बिहार के किशनगंज, अररिया, नालंदा और पटना सहित कई जिलों में छापेमारी की जा रही है, इससे यह प्रतीत होता है कि बिहार में आतंकियों की ओर से कई जिलों में स्लीपर सेल तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से याकूब से एनआईए की ओर से पूछताछ की जा रही है, उसके बाद सिवान के चार युवकों की संलिप्तता आज इस तरह से आतंकियों से सामने आई है. कहीं ना कहीं बिहार के कई युवा आतंकी संगठन से जुड़े हुए हैं या यूं कहें कि आतंकियों तक बिहार से हथियार पहुंचाने का भी काम किया जा रहा है. रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, भारत-बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते आतंकी पहले भी बिहार में घुसते आए हैं और कहीं न कहीं बिहार का सीमांचल, मिथिलांचल इलाका आतंकियों के लिए सेफ जोन बन गया है. पहले भी 2 दर्जन से अधिक आतंकियों की गिरफ्तारी बिहार से हो चुकी है.

ये भी पढ़ें :-जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में मुठभेड़, दो से तीन आतंकवादी घिरे

सिवान: आतंकियों का बिहार से कनेक्शन (Terrorists' connection to Bihar) लगातार जुड़ता जा रहा है. एक तरफ फुलवारीशरीफ मॉड्यूल को लेकर एनआईए इस मामले को अपने हाथ में लेकर छानबीन में जुटी है. दूसरी ओर बिहार के सिवान जिले के चार युवकों की भी आतंकियों से कनेक्शन जुड़ता दिख रहा है. बिहार के सिवान जेल में बंद याकूब खान को एनआईए की टीम अपने साथ जम्मू-कश्मीर पूछताछ के लिए रिमांड पर लेकर गई (NIA to interrogate the criminal) है. याकूब खान बसंतपुर थाना क्षेत्र के निवासी सल-ए- इमाम का पुत्र है. जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर के शोपियां से जुड़े एक मामले में पूछताछ के लिए एनआईए इसे रिमांड पर ले गई है.



एक को पूछताछ के लिए जम्मू ले जा चुकी है एनआईए: यह कोई पहला मामला नहीं है कि सिवान जेल से किसी कैदी को आतंकियों से सांठ-गांठ मामले में पूछताछ के लिए ले जाया गया है. इसके पहले भी सीवान मंडल कारा से एक बंदी को एनआईए की टीम पूछताछ के लिए जम्मू ले गई थी. उस पर एक आतंकी गिरोह के सदस्य के साथ सांठ-गांठ होने व हथियार सप्लाई करने का आरोप था. इसी के बाद से एनआईए की टीम दूसरी बार जिले में आई थी. ये टीम यहां कई दिनों तक रहने के बाद कुछ लोगों से पूछताछ कर कई अहम मामलों के बारे में जानकारी हासिल की.

रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह का बयान



गृह मंत्रालय ने चार युवकों की मांगी है जानकारी :याकूब खान को पूछताछ के लिए रिमांड पर जम्मू-कश्मीर ले जाने के बाद गृह मंत्रालय की ओर से राज्य सरकार को सिवान जिले के चार संदिग्धों के बारे में पत्र लिखकर जानकारी दी गई है. पत्र में बताया गया है कि ये सभी जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम किया करते थे. इन चारों युवकों की रिपोर्ट 5 दिनों के अंदर गृह मंत्रालय को देने का निर्देश दिया गया है, जिसके बाद कहीं न कहीं सिवान पुलिस की ओर से लगातार इन संदिग्धों के बारे में साक्ष्य जुटाया जा रहा है और इनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी अभियान भी चलाया जा रहा है.यह चारों संदिग्ध युवक सिवान जिले के पंचरुखी थाना, बसंतपुर, बड़हरिया और महाराजगंज थाना इलाके के रहने वाले हैं.

आतंकियों को हथियार पहुंचाने का काम : एनआईए के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, याकूब के बाद जिन चार युवकों की तलाश सिवान पुलिस कर रही है ये सभी कहीं न कहीं आतंकियों को हथियार पहुंचाने का काम करते थे. इनका किसी न किसी रूप में आतंकियों से कनेक्शन मिला हुआ है. यह कोई पहला मामला नहीं है. साल 2021 के फरवरी महीने में भी जम्मू-कश्मीर पुलिस में बिहार पुलिस के सहयोग से छपरा के मोहल्ला थाना क्षेत्र के देव बहुआरा गांव से जावेद को गिरफ्तार किया था. जावेद की गिरफ्तारी कश्मीर के मुस्ताक को बिहार के मुंगेर में बनी पिस्टल मुहैया करवाने को लेकर हुई थी. इस पर आरोप था कि आतंकियों तक बिहार से हथियार पहुंचाया करता था. मुस्ताक जो कि खुद लश्कर- ए- मुस्तफा नाम के आतंकी संगठन का सदस्य है, पुलिस ने उसे पंजाब से पकड़ा था. पूछताछ के दौरान उसने जावेद आलम से हथियार खरीदने की बात स्वीकार की थी.

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आतंकियों का सेफ जोन बन गया है बिहार : रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह की मानें तो बिहार कहीं न कहीं आतंकियों का सेफ जोन बन गया है. पहले भी बिहार के मिथिलांचल, सीमांचल, गोपालगंज, सिवान, छपरा, गया और भागलपुर से कई आतंकियों की गिरफ्तारी हुई है. जिस तरह से फुलवारी प्रकरण में गुरुवार को एनआईए की ओर से बिहार के किशनगंज, अररिया, नालंदा और पटना सहित कई जिलों में छापेमारी की जा रही है, इससे यह प्रतीत होता है कि बिहार में आतंकियों की ओर से कई जिलों में स्लीपर सेल तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से याकूब से एनआईए की ओर से पूछताछ की जा रही है, उसके बाद सिवान के चार युवकों की संलिप्तता आज इस तरह से आतंकियों से सामने आई है. कहीं ना कहीं बिहार के कई युवा आतंकी संगठन से जुड़े हुए हैं या यूं कहें कि आतंकियों तक बिहार से हथियार पहुंचाने का भी काम किया जा रहा है. रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, भारत-बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते आतंकी पहले भी बिहार में घुसते आए हैं और कहीं न कहीं बिहार का सीमांचल, मिथिलांचल इलाका आतंकियों के लिए सेफ जोन बन गया है. पहले भी 2 दर्जन से अधिक आतंकियों की गिरफ्तारी बिहार से हो चुकी है.

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Last Updated : Jul 29, 2022, 5:20 PM IST
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