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छपरा नगर आयुक्त को झटका, पटना हाईकोर्ट ने दायर अर्जी को किया खारिज - PATNA HIGH COURT

छपरा नगर आयुक्त को पटना हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने नए भवन निर्माण को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है.

अदालत की प्रतिकात्मक तस्वीर
अदालत की प्रतिकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 31, 2025, 10:42 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट ने छपरा नगर आयुक्त को बड़ा झटका देते हुए नए भवन निर्माण को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कहा है कि जिस आधार पर याचिका दायर की, वह पूरी तरह से गलत है. पटना हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने छपरा नगर आयुक्त की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दी. कोर्ट ने एकलपीठ के फैसला में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.

छपरा नगर आयुक्त की याचिका खारिज:अदालत ने कहा कि टोपो लैंड पर भवन बनाने के लिए दिये गये नक्शा को इस आधार पर अस्वीकृत नहीं किया जा सकता कि जमीन टोपो लैंड हैं. कोर्ट ने कहा कि नक्शा पारित करने के लिए ऐसे दस्तावेज मांगे जाने चाहिए, जिससे यह प्रदर्शित हो कि जमीन आवेदक की है।साथ ही निर्माण किये जाने के लिए नियमों और उपनियमों के अनुसार सही है.

पूरा शहर टोपो जमीन पर अवस्थित है: गौरतलब है कि मामले पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव के साथ कोर्ट को बताया गया कि छपरा का पूरा शहर टोपो जमीन पर अवस्थित है. उनका कहना था कि राज्य सरकार ने प्रदेश के किसी भी नगर निगम को वैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने से रोके जाने को लेकर ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया है. महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि टोपो लैंड को सुधारने की प्रक्रिया चल रही है.

राज्य सरकार से जवाब-तलब: वहीं एक अन्य सुनवाई में पटना हाईकोर्ट ने खगौल रूपसपुर नहर के समीप रह रहे लगभग 24 कुष्ठ रोगियों को एक पुनर्वास करने के मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार एवं जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने रमेश प्रसाद की जनहित याचिका पर सुनवाई की.

14 फरवरी को होगी सुनवाई: पटना हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए महाधिवक्ता पी के शाही से अनुरोध किया है कि वे संबंधित विभाग के वरीय अधिकारियों से बात करें कि क्या उन कुष्ठ रोगियों को राज्य सरकार से संचालित किसी ऐसे केयर होम में पुनर्वास किया जा सकता है. जो सिर्फ कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए बने हो. इस मामले की सुनवाई फिर 14 फरवरी,2025 को की जाएगी.

पटना: पटना हाईकोर्ट ने छपरा नगर आयुक्त को बड़ा झटका देते हुए नए भवन निर्माण को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कहा है कि जिस आधार पर याचिका दायर की, वह पूरी तरह से गलत है. पटना हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने छपरा नगर आयुक्त की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दी. कोर्ट ने एकलपीठ के फैसला में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.

छपरा नगर आयुक्त की याचिका खारिज:अदालत ने कहा कि टोपो लैंड पर भवन बनाने के लिए दिये गये नक्शा को इस आधार पर अस्वीकृत नहीं किया जा सकता कि जमीन टोपो लैंड हैं. कोर्ट ने कहा कि नक्शा पारित करने के लिए ऐसे दस्तावेज मांगे जाने चाहिए, जिससे यह प्रदर्शित हो कि जमीन आवेदक की है।साथ ही निर्माण किये जाने के लिए नियमों और उपनियमों के अनुसार सही है.

पूरा शहर टोपो जमीन पर अवस्थित है: गौरतलब है कि मामले पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव के साथ कोर्ट को बताया गया कि छपरा का पूरा शहर टोपो जमीन पर अवस्थित है. उनका कहना था कि राज्य सरकार ने प्रदेश के किसी भी नगर निगम को वैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने से रोके जाने को लेकर ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया है. महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि टोपो लैंड को सुधारने की प्रक्रिया चल रही है.

राज्य सरकार से जवाब-तलब: वहीं एक अन्य सुनवाई में पटना हाईकोर्ट ने खगौल रूपसपुर नहर के समीप रह रहे लगभग 24 कुष्ठ रोगियों को एक पुनर्वास करने के मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार एवं जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने रमेश प्रसाद की जनहित याचिका पर सुनवाई की.

14 फरवरी को होगी सुनवाई: पटना हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए महाधिवक्ता पी के शाही से अनुरोध किया है कि वे संबंधित विभाग के वरीय अधिकारियों से बात करें कि क्या उन कुष्ठ रोगियों को राज्य सरकार से संचालित किसी ऐसे केयर होम में पुनर्वास किया जा सकता है. जो सिर्फ कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए बने हो. इस मामले की सुनवाई फिर 14 फरवरी,2025 को की जाएगी.

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