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यू-ट्यूब पर वीडियो देख इस तरह शुरु किया मछलीपालन, अब कर रहे हैं लाखों में कमाई

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Published : Aug 19, 2019, 11:56 PM IST

मत्स्य पदाधिकारी जयशंकर ओझा ने कहा कि सरकार द्वारा मछली पालन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. हमारे सहयोगी गांव में जाकर जागरुकता फैला रहे हैं और मछली पालन से होने वाले मुनाफों के बारे में बता रहे हैं.

डिजाइन इमेज

सिवान: यू ट्यूब पर वीडियो देखने के शौकीन दरौली प्रखंड के प्रभु शर्मा ने सोशल मीडिया से ही आईडिया लेकर एक ऐसा काम शुरू किया, जो कई लोगों के लिये प्रेरणास्त्रोत होने के साथ-साथ स्वरोजगार का विकल्प हो सकता है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखकर प्रभु शर्मा ने बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन शुरू किया. 1 लाख से ज्यादा लागत वाले इस काम में प्रभु शर्मा 2 लाख 40 हजार तक का मुनाफा कमा लेते हैं.

प्रभु शर्मा ने यूट्यूब पर मछलीपालन का वीडियो देखा, जिसके बाद उन्होंने भी बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन शुरू कर दिया. प्रभु ने 60 हजार की लागत से एक 10 हजार लीटर वाला पानी टैंक खरीदा और उसमें लगभग 5000 मांगुर मछली को पालना शुरू किया. उन्होंने बताया कि बायोफ्लॉक तकनीक में टेम्प्रेचर का ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है. इसके साथ ही मछलियों के लिए पानी में ऑक्सीजन के लिए बिजली की व्यवस्था भी जरूरी है. प्रभु शर्मा की मछली पालने की कुल लागत 1 लाख 20 हजार हुई और अगर मुनाफे की बात करें तो वो 2 लाख 40 हजार कमाते हैं.

lakhs of earning by fish farming in siwan
मछली पालन.

क्या है बायोफ्लॉक तकनीक
मछली पालन में सबसे ज्यादा खर्च दाना पर होता है. इस तकनीक में बायोफ्लोकॉन बैक्टेरिया की मदद से मछलियों के अपशिष्ट को भोजन में बदल दिया जाता है. मछली के दाने में तीस फीसदी तक की बचत होती है. इसके साथ ही मछली को कृत्रिम रूप से ऑक्सीजन दिया जाता है.

'दूसरे प्रदेश में जाने से बेहतर स्वरोजगार'
प्रभु शर्मा का कहना है कि जो लोग कम पैसे कमाने के लिये बिहार से बाहर जाते हैं, उन लोगों से मेहनत भी ज्यादा कराई जाती है और पैसे भी कम मिलते हैं. इसी कारण से मैंने सोचा कि खुद का एक अच्छा व्यापार शुरू किया जाए. फिर मैंने गूगल और यूट्यूब से मछली पालने का तरीका देखकर यह व्यापार शुरू किया. करीब 1लाख 20 हजार की लागत से मैंने यह मछली पालन का व्यापार शुरू किया.

lakhs of earning by fish farming in siwan
जिला मत्स्य कार्यालय

युवाओं को किया प्रेरित
प्रभु ने कहा कि मैंने मांगुर मछली का पालन शुरू किया. मछली पालन के लिये पानी को स्वस्थ्य बनाए रखना, मछलियों के आहार प्रबंधन के साथ ही साथ इनको प्रभावित करने वाले रोगों से बचाव इत्यादि का खास ख्याल रखना जरूरी है. मछली के इस व्यापार में लाखों का फायदा है, इसलिए मैंने ये व्यापार किया. प्रभु शर्मा ने बेरोजगार युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि जो लोग अपने राज्य को छोड़कर दूसरी जगह कमाने जाते हैं, वो खुद का अपना व्यवसाय शुरू करें.

जानकारी देते मछली पालक और मत्स्य अधिकारी

क्या कहते है मत्स्य पदाधिकारी
वहीं, जिले के मत्स्य पदाधिकारी जयशंकर ओझा ने कहा कि सरकार द्वारा मछली पालन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. हमारे सहयोगी गांव में जाकर जागरुकता फैला रहे हैं और मछली पालन से होने वाले मुनाफों के बारे में बता रहे हैं.

सिवान: यू ट्यूब पर वीडियो देखने के शौकीन दरौली प्रखंड के प्रभु शर्मा ने सोशल मीडिया से ही आईडिया लेकर एक ऐसा काम शुरू किया, जो कई लोगों के लिये प्रेरणास्त्रोत होने के साथ-साथ स्वरोजगार का विकल्प हो सकता है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखकर प्रभु शर्मा ने बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन शुरू किया. 1 लाख से ज्यादा लागत वाले इस काम में प्रभु शर्मा 2 लाख 40 हजार तक का मुनाफा कमा लेते हैं.

प्रभु शर्मा ने यूट्यूब पर मछलीपालन का वीडियो देखा, जिसके बाद उन्होंने भी बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन शुरू कर दिया. प्रभु ने 60 हजार की लागत से एक 10 हजार लीटर वाला पानी टैंक खरीदा और उसमें लगभग 5000 मांगुर मछली को पालना शुरू किया. उन्होंने बताया कि बायोफ्लॉक तकनीक में टेम्प्रेचर का ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है. इसके साथ ही मछलियों के लिए पानी में ऑक्सीजन के लिए बिजली की व्यवस्था भी जरूरी है. प्रभु शर्मा की मछली पालने की कुल लागत 1 लाख 20 हजार हुई और अगर मुनाफे की बात करें तो वो 2 लाख 40 हजार कमाते हैं.

lakhs of earning by fish farming in siwan
मछली पालन.

क्या है बायोफ्लॉक तकनीक
मछली पालन में सबसे ज्यादा खर्च दाना पर होता है. इस तकनीक में बायोफ्लोकॉन बैक्टेरिया की मदद से मछलियों के अपशिष्ट को भोजन में बदल दिया जाता है. मछली के दाने में तीस फीसदी तक की बचत होती है. इसके साथ ही मछली को कृत्रिम रूप से ऑक्सीजन दिया जाता है.

'दूसरे प्रदेश में जाने से बेहतर स्वरोजगार'
प्रभु शर्मा का कहना है कि जो लोग कम पैसे कमाने के लिये बिहार से बाहर जाते हैं, उन लोगों से मेहनत भी ज्यादा कराई जाती है और पैसे भी कम मिलते हैं. इसी कारण से मैंने सोचा कि खुद का एक अच्छा व्यापार शुरू किया जाए. फिर मैंने गूगल और यूट्यूब से मछली पालने का तरीका देखकर यह व्यापार शुरू किया. करीब 1लाख 20 हजार की लागत से मैंने यह मछली पालन का व्यापार शुरू किया.

lakhs of earning by fish farming in siwan
जिला मत्स्य कार्यालय

युवाओं को किया प्रेरित
प्रभु ने कहा कि मैंने मांगुर मछली का पालन शुरू किया. मछली पालन के लिये पानी को स्वस्थ्य बनाए रखना, मछलियों के आहार प्रबंधन के साथ ही साथ इनको प्रभावित करने वाले रोगों से बचाव इत्यादि का खास ख्याल रखना जरूरी है. मछली के इस व्यापार में लाखों का फायदा है, इसलिए मैंने ये व्यापार किया. प्रभु शर्मा ने बेरोजगार युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि जो लोग अपने राज्य को छोड़कर दूसरी जगह कमाने जाते हैं, वो खुद का अपना व्यवसाय शुरू करें.

जानकारी देते मछली पालक और मत्स्य अधिकारी

क्या कहते है मत्स्य पदाधिकारी
वहीं, जिले के मत्स्य पदाधिकारी जयशंकर ओझा ने कहा कि सरकार द्वारा मछली पालन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. हमारे सहयोगी गांव में जाकर जागरुकता फैला रहे हैं और मछली पालन से होने वाले मुनाफों के बारे में बता रहे हैं.

Intro:बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन कर कमा रहे लाखो रुपये

सिवान।

यूं तो यूट्यूब पर हजारों वीडियो प्रतिदिन देश विदेश में अपलोड होते रहते हैं लेकिन उनमें से कई ऐसे वीडियो होते हैं जो किसी व्यक्ति का सोचने ,काम करने, जीवन जीने का नजरिया ही बदल देता है. ऐसा ही कुछ हुआ सिवान जिले के दरौली प्रखंड के रहने वाले प्रभु शर्मा के साथ. यूट्यूब पर वीडियो देखने के शौकीन प्रभु शर्मा को एक दिन अचानक मछली पालन का एक वीडियो दिखा उन्होंने उस वीडियो को बेहद गंभीरता से देखा और अचानक उन्हें लगा की इस तरह का कार्य तो मैं भी कर सकता हूं बस फिर क्या था प्रभु शर्मा ने यूट्यूब से मछली पालन का वीडियो देख बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन शुरू कर दिया.उन्होंने 60 हजार की लागत से एक 10 हजार लीटर वाले पानी टैंक लिया और उसमें लगभग 5000 मांगुर मछली का पालन शुरू किया.बायोफ्लॉक तकनीक में टेम्प्रेचर का ख्याल रखना बहुत जरूरी है.इसके साथ ही मछलियों के लिए पानी मे ऑक्सीजन के लिए बिजली की व्यवस्था भी जरूरी है.इनकी मछली पालने की कुल लागत 1 लाख 20 हजार हुई और अगर मुनाफा की बात करें तो 2 लाख 40 हजार ये कमाते हैं.







Body:क्या है बायोफ्लॉक तकनीक

मछली पालन में सबसे ज्यादा खर्च दाना पर होता है.इस तकनीक में बायोफ्लोकॉन बैक्टेरिया की मदद से मछलियों के अपशिष्ट को भोजन में बदल दिया जाता है.मछली के दाना में तीस फीसदी तक कि बचत होती है.इसके साथ ही मछली को कृतिम रूप से ऑक्सीजन दिया जाता है.

क्या कहते हैं प्रभु शर्मा

जो लोग कम पैसे में बिहार से बाहर कमाने जाते हैं उन सबसे मेहनत भी ज्यादा कराई जाती है और पैसे भी कम मिलते हैं इसी की वजह से हमारे दिमाग में आया कि क्यों ना एक अच्छा सा खुद का व्यापार शुरू किया जाए फिर मैंने गूगल और यूट्यूब से मछली पालन देख यह व्यापार शुरू किया करीब 1लाख 20 हजार की लागत से मैंने यह मछली पालन का व्यापार शुरू किया. मैंने मांगुर मछली का पालन शुरू किया.पालन करने के साथ आपको पानी को स्वस्थ बनाए रखें,मछलियों के आहार प्रबंधन के साथ ही साथ इनको प्रभावित करने वाले रोगों से बचाव इत्यादि का खास ख्याल रखें. मछली के इस व्यापार में लाखों का फायदा है इसलिए मैंने यह व्यापार को किया. हम बेरोजगार युवाओं से यही कहना चाहेंगे जो लोग अपने राज्य को छोड़कर दूसरे जगह कमाने जाते हैं वो खुद का अपना व्यवसाय शुरू करें अगर उन्हें किसी चीज की मदद की जरूरत हो तो हमसे आकर मिले.


Conclusion:क्या कहते है मत्स्य पदाधिकारी-जय शंकर ओझा

सरकार के द्वारा मछली पालन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जागरूकता के लिए हमारे सहयोगी गांव में जाकर जागरूकता फैला रहा है और मछली पालन से होने वाले मुनाफों के बारे में बता रहे हैं.

बाइट-प्रभु शर्मा(मछली पालन व्यव्सायी)
बाइट-जय शंकर ओझा(मत्स्य पदाधिकारी, सिवान)


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