सिवानः कुआं हमारी परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है. इसका जल संरक्षण में काफी महत्व है. लगभग 3 दशक पूर्व तक अधिकांश गांवों और शहरों में पेयजल और सिंचाई के लिए सबसे अधिक प्रयोग में आने वाले कुओं का वजूद अब समाप्ति की कगार पर है. अब लोग चापाकल और बोरिंग पर निर्भर हो गए हैं, जिससे कुआं एकदम खत्म ही हो चुका है.
किसी कुएं पर है कब्जा तो किसी का अस्तित्व खत्म
सिवान नगर परिषद अंतर्गत कुल 43 कुंए हैं, जिसमें किसी पर कब्जा है, तो किसी का अस्तित्व ही खत्म होने की कगार पर है. वहीं कोई सड़क के लेवल में आ गया है. जल जीवन हरियाली योजना के तहत कुंओं, नदी और तालाब का जीर्णोद्धार कराना है, ताकि जल संरक्षण हो सके.
कुंओं की नहीं होती साफ-सफाई
नगर परिषद सभापति सिंधु देवी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने जो जल जीवन हरियाली अभियान चलाया था, उसके तहत सिवान नगर में जितने भी कुंए बंद पड़े हैं. उनके जीर्णोद्धार के लिए जगह चयनित किया जा रहा है. जो बंद कुएं हैं तो उन्हें फिर से चालू कराया जाएगा.
क्या कहते हैं अधिकारी?
सिवान नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अजीत कुमार ने बताया कि सभी कुंओं को चिन्हित कर लिया गया है, जिसका जल्द ही जीर्णोद्धार किया जाएगा.